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चीन ने ताइवान में लोकतंत्र समर्थक 7 ताइवानी राजनेताओं और अधिकारियों पर लगाया प्रतिबंध

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: August 16, 2022 15:58 IST

चीन ने इस महीने के शुरुआत में अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा के मद्देनजर ताइवान के 7 लोकतंत्र समर्थक नेताओं और अधिकारियों को प्रतिबंधित कर दिया है।

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ठळक मुद्देचीन ने ताइवान में लोकतंत्र के सात प्रबल समथकों पर प्रतिबंध लगा दिया हैसभी प्रतिबंधित लोगों को चीन, हांगकांग या मकाऊ में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगीप्रतिबंधित नेताओं और अधिकारियों को चीन से व्यापार और लाभ कमाने की अनुमति नहीं होगी

बीजिंग:चीन ने बीते कुछ समय में ताइवान में अमेरिकी नेताओं के लगातार हो रहे हस्तक्षेप के बीच एक बड़ा कदम उठाते हुए मंगलवार को लोकतंत्र समर्थक सात ताइवानी नेताओं और अधिकारियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। चीन के प्रतिबंधित दायरे में न केवल ताइवान के नेता हैं बल्कि अधिकारी भी शामिल हैं।

इस महीने के शुरुआत में अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी और बीते सोमवार को डेमोक्रेटिक सीनेटर एड मार्के के प्रतिनिधि मंडल ने ताइवान का दौरा किया था, जिसके बाद बीजिंग, न्यूयॉर्क और ताइपे के बीच स्थिति बेहद संघर्षमय हो गई थी। इन्हीं सब कारणों ने चीन ने ताइवान के लोकतंत्र समर्थक 7 व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है।

बताया जा रहा है कि पिछले हफ्ते यूरोपीय संघ के सदस्य लिथुआनिया के उप परिवहन और संचार मंत्री एग्ने वैसीयूकेविशिएट ने भी ताइवान का दौरा किया। जिसके बाद चीन ने अमेरिकी राजनेता नैन्सी पेलोसी और एग्ने वैसीयूकेविशिएट के भविष्य में ताइवान आगमन पर प्रतिबंध लगा दिया था।

इतना ही नहीं चीन ने ताइवान में, जिसे वो अपना हिस्सा मानता है। खौफ पैदा करने के लिए ताइवान के समुद्री क्षेत्र में सैन्य अभ्यास भी किया था, जिसके बाद चीन और ताइवान के बीच सशस्त्र संघर्ष की आशंका बढ़ गई थी।

दरअसल चीन को नैन्सी पेलोसी की यात्रा के बाद इस बात का भय सता रहा है कि अमेरिका और ताइवान के लोकतांत्रिक मांग को समर्थन करने वाले देशों के नेताओं के आने का सिलसिला न शुरू हो जाए।

यही कारण है कि चीन ने ताइवान के सात नेताओं और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंधों की घोषणा कर दी है क्योंकि उन्होंने अलग-अलग मंचों पर ताइवान की स्वतंत्रता का मुखर होकर समर्थक किया है।

सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के ताइवान मामलों के कार्यालय ने मंगलवार को इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि जिन लोगों को प्रतिबंधित किया गया है, उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को चीन, हांगकांग या मकाऊ में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

शिन्हुआ के चीनी सरकारी कार्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा, "ताइवान के जिन लोगों को प्रतिबंधित किया गया है, उन्हें चीन से व्यापार करने की अनुमति नहीं दी जाएगी और उनसे संबद्ध कंपनियों और वित्तीय प्रायोजकों को चीन से कोई लाभ नहीं लेने दिया जाएगा।"

इसके अलावा चीन के ताइवान कार्यालय द्वारा उनके खिलाफ अन्य आवश्यक कदम भी उठाए जाएंगे और वो आजीवन प्रतिबंधित रहेंगे।

इस जानकारी के साथ चीन के ताइवान मामलों के कार्यालय के प्रवक्ता ने कहा, "ताइवान की स्वतंत्रता की बात करने वाले छोटे समूह ने इस बात को उकसाने के लिए अब बाहरी ताकतों के साथ मिलीभगत करना शुरू कर दिया है। वो जानबूझकर क्रॉस-स्ट्रेट टकराव को हवा दे रहे हैं ताकि ताइवान की शांति और स्थिरता को जानबूझकर कमजोर किया जा सके। अमेरिकी नेता नेन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा के दौरान इन लोगों ने बेहद खराब प्रदर्शन किया है।"

चीनी प्रवक्ता ने कहा, "ताइवान में प्रतिबंधित किये गये 7 लोगों की संख्या मंगलवार को घोषित कट्टर अलगाववादियों के नामों सूची का एक हिस्सा मात्र है, इसमें अभी और नाम सामने आएंगे।"

जानकारी के मुताबिक चीन की प्रतिबंध सूची में शामिल सात लोगों में से छह ताइवान की स्वतंत्रता-प्रमुख डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) के सदस्य हैं। इनमें अमेरिका में ताइवान के प्रतिनिधि ह्सियाओ बी-खिम और विधायिका के डीपीपी कॉकस प्रमुख केर चिएन-मिंग भी शामिल हैं।

वहीं अन्य लोगों में विधायक वांग टिंग-यू भी है, जो विदेशी संबंधों और रक्षा समिति में बैठते हैं। उनके अलावा वेलिंगटन कू द्वीप की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के महासचिव, त्साई ची-चांग, ​​डीपीपी के महासचिव, ताइवान की विधायिका के उपाध्यक्ष और लिन फी-फैन भी शामिल हैं।

हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार न्यू पावर पार्टी के विधायक और अध्यक्ष चेन जियाउ-हुआ को भी प्रतिबंधित किया गया है, जो गैर-डीपीपी सदस्य हैं।

मालूम हो कि इससे पहले पिछले दिसंबर में चीन ने ताइवान के प्रधानमंत्री सु त्सेंग-चांग, ​​ताइवान के विधायक अध्यक्ष यू सी-कुन और ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू के खिलाफ प्रतिबंधों की घोषणा की थी।

उस मामले में भी चीनी प्रवक्ता ने कहा था, "उनसे जुड़े व्यवसायों के साथ-साथ उनके प्रायोजकों को चीन से कोई लाभ नहीं कमाने दिया जाएगा और उनके खिलाफ अन्य दंडात्मक उपाय भी किए जाएंगे साथ ही उन्हें कानून के अनुसार आजीवन प्रतिबंधित रखा जाएगा।"

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