चीन: मुस्लिम कैदियों को खिलाया जा रहा है 'वर्जित' मांस, विरोध करने पर कम्युनिस्ट सरकार ने दी ये सजा
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: May 18, 2018 08:23 AM2018-05-18T08:23:06+5:302018-05-18T08:23:06+5:30
इस्लामी चरमपंथ से लड़ने के लिए चीनी सरकार कोई सैन्य अभियान नहीं चला रही बल्कि इसके लिए उसने एक अलग ही तरीका ढूंढ निकाला है। वह इस्लामी कैदियों का ब्रेनवाश कर उन्हें वैचारिक रूप से बदल रही है।
चीन/अल्माटी (कजाख्स्तान), 18 मई। इस्लामी चरमपंथ से लड़ने के लिए चीनी सरकार कोई सैन्य अभियान नहीं चला रही बल्कि इसके लिए उसने एक अलग ही तरीका ढूंढ निकाला है। वह इस्लामी कैदियों का ब्रेनवाश कर उन्हें वैचारिक रूप से बदल रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, चीन के शिविरों में रहे उमर बेकाली और अन्य बंदियों को अपनी इस्लामी मान्यताओं को छोड़ना पड़ा, खुद की और अपने प्रियजनों की आलोचना करनी पड़ी और सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की प्रशंसा करनी पड़ी।
खाना मांगने में परोसा गया प्रतिबंधित मांस
इन सब के लिए कैदियों को घंटों तक मानसिक यंत्रणा दी गई। एक कजाख मुस्लिम बेकाली ने आदेशों को मानने से इनकार किया तो उसे पांच घंटे तक एक दीवार पर खड़े रहने के लिए के मजबूर कर दिया गया। इसके एक सप्ताह बाद उसे काल कोठरी में डाल दिया गया। जहां उसे 24 घंटे तक खाना नहीं दिया गया। खाना मांगने पर उसे प्रतिबंधित मांस, और शराब दी गई। ये इस्लाम में हराम माना जाता है। भारी सुरक्षा वाले इस शिविर में 20 दिन के बाद चीन की प्रताड़ना से तंग आकर ये शख्स खुद को खत्म करना चाहता था।
ब्रेनवॉश, मनोवैज्ञानिक दबाव
बेकाली ने बताया कि, मनोवैज्ञानिक दबाव बहुत बड़ गया है। चीनी सरकार हमें खुद की आलोचना और अपनी ही सोच की निंदा करने के लिए हमें मजबूर कर रही है। अब भी हम हर रात, सूरज निकलने तक इस बारे में सोचते हैं। कैद से छठने के बावजदू हम ठीक से सो नहीं पा रहे हैं। हर समय शिविर की यादें कैदियों के जहन में होती है।
जवाब देने से बच रहा है चीन
वहीं चीनी अधिकारी शिविरों पर बात करने ने बच रहे हैं, लेकिन कुछ के हवाले से सरकारी मीडिया में कहा गया है कि अलगाववाद और इस्लामी चरमपंथ से लड़ने के लिए वैचारिक परिवर्तन की जरूरत है। हाल के कुछ सालों में कट्टरपंथी मुस्लिम उइगरों ने सैकड़ों लोगों की हत्या कर दी है, और चीन इस क्षेत्र को देश में शांति के लिए खतरा मानता है जहां बहुमत में हान चीनी है।
शिविरों के संबंध में प्रतिक्रिया लिए जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि उन्होंने ऐसी किसी स्थिति के बारे में नहीं सुना है। चीनी सरकार चीन में विदेशियों के अधिकारों की रक्षा करती है और उन्हें भी कानून का पालन करना चाहिए।