अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत को ब्रिटेन नहीं देगा मान्यता, विदेश मंत्री ने कहा- नयी हकीकत से बैठाना होगा तालमेल

By सतीश कुमार सिंह | Published: September 3, 2021 05:57 PM2021-09-03T17:57:18+5:302021-09-03T20:08:37+5:30

विदेश मंत्री डोमिनिक राब दोहा में कतर के अमीर और वहां के विदेश मंत्री से मुलाकात की और अफगानिस्तान की स्थिति और युद्धग्रस्त देश से ब्रिटेन के नागरिकों तथा अफगानिस्तान के समर्थकों को बाहर निकालने पर चर्चा की।

Britain will not recognise Taliban new govt in Kabul but must dealnew realities in Afghanistan Foreign Secretary Dominic Raab | अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत को ब्रिटेन नहीं देगा मान्यता, विदेश मंत्री ने कहा- नयी हकीकत से बैठाना होगा तालमेल

यूनाइटेड किंगडम की अपनी सरकार को मान्यता देने की तत्काल कोई योजना नहीं है।

Highlights2013 से दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय को शुरू करना भी शामिल है।कतर दौरे की शीर्ष प्राथमिकता में विदेशी एवं अफगान नागरिकों को सुरक्षित रास्ता देने और काबुल हवाई अड्डे के संचालन पर वार्ता करना शामिल है।खाड़ी देश ने काबुल हवाई अड्डे की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बारे में पहले ही चर्चा शुरू कर दी है।

लंदनः ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने तालिबान को कड़ा संदेश दिया है। राब ने कहा कि ब्रिटेन तालिबान को काबुल में नई सरकार के रूप में मान्यता नहीं देगा। अफगानिस्तान में नई हकीकत से तालमेल बैठाना होगा। 

ब्रिटेन के विदेश सचिव ने पहले कहा था कि अफगानिस्तान पर तालिबान के साथ जुड़ने की जरूरत है, लेकिन ब्रिटेन की अपनी सरकार को मान्यता देने की तत्काल कोई योजना नहीं है। राब ने कहा कि ब्रिटेन भविष्य में किसी भी समय तालिबान को मान्यता नहीं देगा। उन्होंने कहा कि वह पहले तालिबान को उसके कार्यों से आंकेगा, शब्दों से नहीं।

ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमनिक राब ने शुक्रवार को कहा कि ब्रिटिश नागरिकों के लिए सुरक्षित मार्ग समेत विविध कारणों से अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के साथ संवाद करना महत्वपूर्ण है लेकिन उन्होंने उसे आधिकारिक रूप से मान्यता देने की चर्चा को ‘जल्दबाजी’ करार देकर खारिज कर दिया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मोहम्मद कुरैशी के साथ यहां संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल एवं विकास विषयक मंत्री राब ने कहा कि कुछ हद तक तालिबान के सहयोग के बगैर करीब 15000 लोगों को काबुल से निकालना संभव नहीं होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘ हम जो रुख अपना रहे हैं , वह यह है कि हम तालिबान को बतौर सरकार मान्यता नहीं देते हैं लेकिन हमें उसके साथ सहयोग एवं सीधा संवाद कर पाने में अहमियत नजर आता है, कारण यह है कि बहुत सारे मुद्दे हैं जिन पर चर्चा की जरूरत है , उनमें ब्रिटिश नागरिकों और ब्रिटिश सरकार के साथ काम कर चुके अफगानों के लिए सुरक्षित मार्ग का प्रश्न भी शामिल है।’’

वैसे तो राब ने उम्मीद जतायी की कि तालिबान देश में स्थायित्व लाएगा एवं हिंसा पर पूर्ण विराम लगाएगा लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल तालिबान को मान्यता देने के बारे में चर्चा करना ‘जल्दबाजी’ होगा। उन्होंने कहा कि तालिबान ने कई आश्वासन दिये हैं, तथा ‘‘उनमें से कुछ तो कथनी के स्तर पर सकारात्मक हैं’’ लेकिन इस बात को परखने की जरूरत है कि क्या वे करनी में तब्दील होते हैं, और यदि फिलहाल कुछ संवाद नहीं होता है तो वे संभव नहीं होंगे।

तालिबान से उम्मीदों तथा उनके ‘चरमपंथी प्रवृतियों की ओर’ धकेले जाने के संबंध में पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए राब ने कहा कि शुरुआती तौर पर तालिबान के वादों को परखने की जरूरत है और यह देखने की जरूरत है कि क्या उसमें ईमानदारी है और वह उन वादों का पूरा करेगा। तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया । आखिरी विदेशी सैनिक 31 अगस्त को अफगानिस्तान से चले गये और इस तरह आर्थिक विघटन एवं व्यापक भुखमरी के भय के बीच 20 साल की लड़ाई का समापन हो गया।

पश्चिमी देशों ने अफगानिस्तान को अपना सहयोग भुगतान काफी सीमित कर दिया है। राब ने ब्रिटिश नागरिकों को सुरक्षित ढंग से निकालने को लेकर पाकिस्तान सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन मानवीय आधार पर सहायता प्रदान करता रहेगा। राब ने कहा, ‘‘ हम पाकिस्तान समेत अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों की मदद करते रहेंगे... हम समृद्ध अफगानिस्तान देखना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा कि ब्रिटेन पाकिस्तान के साथ अपने ऐतिहासिक रिश्ते को अहमियत देता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हम पाकिस्तान के साथ अपना संबंध मजबूत करना चाहते हैं।’’ जब कुरैशी से पूछा गया कि क्या तालिबान के साथ पाकिस्तान का संबंध शर्तों पर आधारित होगा तो उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की भौगोलिक समीपता, व्यापार एवं 20,000-25,000 लोगों की सीमापार आवाजाही जैसी कुछ बाध्यताएं हैं जो इस देश के रुख को अनोखा बनाती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ कुछ के पास (अफगानिस्तान)को छोड़ देने का विकल्प है लेकिन हमारे पास नहीं है। हम पड़ोसी हैं, हमें साथ ही रहना है। भूगोल हमें जोड़ता है और हमारा रुख कुछ भिन्न एवं वास्तविक ही होगा।’’ कुरैशी ने कहा, ‘‘ अफगानिस्तान के लोगों को अपनी भावी सरकार के बारे में फैसला करना है एवं हम उनके चुनाव को स्वीकार करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि 40 साल बाद अफगानिस्तान में अब शांति के लिए मौका है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने पेरिस स्थित वित्तीय कार्य बल की ग्रे सूची से निकलने के लिए कई विधायी एवं प्रशासनिक कदम उठाये हैं।

Web Title: Britain will not recognise Taliban new govt in Kabul but must dealnew realities in Afghanistan Foreign Secretary Dominic Raab

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