Azerbaijan-Armenia War: आर्मेनिया पर रॉकेटों की बारिश कर रहा अजरबैजान, नागोर्नो-काराबाख के कई इलाकों को कब्जाया
By गुणातीत ओझा | Published: October 4, 2020 11:36 AM2020-10-04T11:36:46+5:302020-10-04T11:36:46+5:30
अजरबैजान की सेना ने नागोर्नो-काराबाख के कई इलाकों पर अपना कब्जा जमाने का दावा किया है। इस युद्ध में अबतक 200 से ज्यादा लोगों की मौत की आशंका जताई जा रही है, जिसमें दोनों पक्षों के लोग शामिल हैं।
बाकू (अजरबैजान)। आर्मीनिया और अजरबैजान ने कहा कि अलगाववादी क्षेत्र नागोरनो-काराबाख को लेकर भीषण लड़ाई अब भी जारी है। अजरबैजान के राष्ट्रपति ने शनिवार को कहा कि उनकी सेनाओं ने एक शहर और कई गांवों पर कब्जा कर लिया है जबकि आर्मीनियाई अधिकारियों ने कहा कि उनकी सेना ने विरोधी पक्ष को भारी नुकसान पहुंचाया है। इस क्षेत्र में 27 सितंबर को दोनों देशों के बीच संघर्ष शुरू हुआ था जो अजरबैजान के तहत आता है लेकिन इस पर स्थानीय आर्मीनियाई बलों का नियंत्रण है।
150 से ज्यादा सैनिकों की मौत
यह 1994 में खत्म हुए युद्ध के बाद इस इलाके में सबसे गंभीर संघर्ष है। आर्मीनिया के रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता सूसन स्टेपेनियन ने कहा कि शनिवार को “समूचे अग्रिम क्षेत्र में भारी लड़ाई जारी रही” और आर्मीनियाई सेना ने तीन विमानों को मार गिराया। अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने किसी विमान को गिराये जाने से इनकार करते हुए कहा कि आर्मीनियाई सेना ने नागरिक क्षेत्रों में गोलाबारी की। अजरबैजान के राष्ट्रपति इलहम अलियेव ने कहा कि देश की सेना ने मदागिज शहर और सात गांवों में “झंडा फहरा दिया” है। नागोरनो-काराबाख अधिकारियों ने कहा कि उनके पक्ष के अब तक 150 से ज्यादा सैनिकों की मौत हो चुकी है। अजरबैजान के अधिकारियों ने अपनी तरफ के हताहत सैनिकों का विवरण नहीं दिया है लेकिन कहा कि उनके यहां 19 नागरिकों की जान जा चुकी है जबकि 55 अन्य घायल हुए हैं।
दोनों देशों का अलग-अलग दावा
नागोरनो-काराबाख के राष्ट्रपति के प्रवक्ता वहराम पोघोश्यान ने शनिवार को फेसबुक पर दावा किया कि खुफिया आंकड़ों के मुताबिक लड़ाई में अजरबैजान के करीब 3,000 लोगों की जान गई है। आर्मीनिया के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता आर्टस्ट्रन ओवान्नीसियन ने बाद में कहा कि अजरबैजान के करीब 2,300 सैनिकों की मौत हुई है जिनमें से 400 की मौत बीते दिन हुई। अजरबैजान के सैनिकों के हताहत होने के बारे में टिप्पणी नहीं करने से आर्मीनिया के दावों की पुष्टि नहीं की जा सकी।
कई देश प्रभावित हो सकते हैं
अगर यह युद्ध लंबे समय तक चला तो कई देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस क्षेत्र से गैस और तेल पाइपलाइनें गुजरती हैं। इन पाइपलाइन के माध्यम से रूस और तुर्की को तेल की आपूर्ति होती है। इसमें मुख्य रूप से बाकू-त्बिलिसी-सेहान तेल पाइपलाइन, पश्चिमी मार्ग निर्यात तेल पाइपलाइन, ट्रांस एनाटोलियन गैस पाइपलाइन और दक्षिण काकेशस गैस पाइपलाइन शामिल हैं। अजरबैजान में तुर्कों की बड़ी आबादी है। यही कारण है कि तुर्की इसे एक मित्र देश मानता है। आर्मीनिया के साथ तुर्की के संबंध कभी अच्छे नहीं रहे हैं। जब भी आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच संघर्ष हुआ, तुर्की ने आर्मीनिया के साथ अपनी सीमाओं को बंद कर दिया। विवाद गहराए जाने के बाद तुर्की एक बार फिर आर्मीनिया के खिलाफ खड़ा है। रूस अर्मेनिया के साथ है। रूस के पास यहां एक सैन्य अड्डा भी है। हालांकि, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दोनों देशों से युद्धविराम की अपील की है। साथ ही, तुर्की ने सीधे तौर पर अजरबैजान को इस युद्ध में भाग न लेने की बात दोहराते हुए आगे बढ़ने की सलाह दी है। साथ ही आर्मीनिया से अपील की कि वह पीछे हट जाए।
संयुक्त राष्ट्र ने कहा- तत्काल युद्ध खत्म हो
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच जारी हिंसक युद्ध को तत्काल प्रभाव से रोकने को कहा है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुटेरस ने कहा कि दोनों देश बिना किसी देरी के तनाव दूर करने के लिए वार्ता करें। सुरक्षा परिषद ने यूरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन की केंद्रीय भूमिका के लिए पूरा समर्थन जताया। यह संगठन शांतिवार्ता में मध्यस्थता की कोशिश कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र में नाइजर के राजदूत अबदोउ अबारी ने कहा कि दोनों देश तुरंत शांति प्रक्रिया में शामिल हों।