डोनाल्ड ट्रंप पर हमला अब अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों का सिर दर्द बना, खड़े हुए सवाल, कैसे सिक्योरिटी को चीरते हुए शूटर पहुंचा इतने करीब

By आकाश चौरसिया | Updated: July 14, 2024 16:42 IST2024-07-14T16:20:12+5:302024-07-14T16:42:00+5:30

अमेरिका में शनिवार को हुए डोनाल्ड ट्रंप पर हमले के कारण पूरे विश्व को सख्ते में डाल दिया है। इस बीच अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह वाक्या गले की फांस बन गया है, क्योंकि इतनी बड़ी वारदात का घट जाना और वो भी 360 डिग्री सुरक्षा घेरे में, ऐसे सवाल उठना लाजिमी है।

attack on Donald Trump now become crucial for American security agencies questions arise how did shooter reach so close | डोनाल्ड ट्रंप पर हमला अब अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों का सिर दर्द बना, खड़े हुए सवाल, कैसे सिक्योरिटी को चीरते हुए शूटर पहुंचा इतने करीब

फोटो क्रेडिट- एक्स

Highlightsअमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति पर हमला सुरक्षा एजेंसियों की गले की फांस बनाअब उठ रहे सवालदेखना होगा कि क्या रिपोर्ट सुरक्षा एजेंसी देती हैं..

Donald Trump:अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और डेमोक्रेटिक पार्टी के आगामी राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के सिर पर हमलावर और शूटर का टारगेट था, लेकिन वो किसी तरह जान बचाने में सफल रहे। अब सामने आ रही खबरों की मानें तो अमेरिका की सुरक्षा में तैनात जवानों और पूर्व निर्धारित इस तरह की सुरक्षा घेरे को भेदने पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। 

जबकि, भारतीय विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को केवल 180 डिग्री सुरक्षा देने में सक्षम है, वहीं ट्रंप पर पीएम मोदी की तुलना में कई गुना ज्यादा है और ऐसे में उन्हें पेंसिलवेनिया के बटलर की रैली में 360 डिग्री पर सुरक्षा मुहैया करवाई गई थी। इस दौरान किसी तरह का संदिग्ध व्यक्ति का रैली के पास और वो भी लगातार पांच राउंड गोली चला देना, उससे भी सुरक्षा एजेंसियों पर सवाल उठने लाजिमी हैं।

आखिरी कुछ सेकेंड और हो जाता खेल
जब पीएम मोदी बोलते हैं तो भारतीय एसपीजी मंच से 200 वर्ग मीटर की दूरी तय करती है और दूसरी तरफ जनता और बोलने वाले VVIP के बीच लगभग 50-100 मीटर का अंतर होता है। बटलर वाली रैली में, हत्यारे को मंच से मात्र 120 गज की दूरी पर देखा गया और शूटर थॉमस मैथ्यू क्रुक्स द्वारा 5 गोलियां मारने के बाद सीक्रेट सर्विस के स्नाइपर ने उसे मार गिराया था। खबरों के मुताबकि, अगर ट्रंप आखिरी मिलीसेकेंड पर नहीं मुड़ते तो गोली को अपना लक्ष्य मिल जाता।

इस पूरे घटनाक्रम का एक रिव्यू फुटेज देखा गया और इसमें पता चला कि वीवीआईपी की सुरक्षा उचित थी, जिसमें एक लंबे कद का सुरक्षा अधिकारी ट्रंप को सुरक्षा देते हुए दिखा और इस दौरान उसने शूटर पर गोली भी चलाई। सिक्योरिटी कुछ इस तरह राष्ट्रपति उम्मीदवार को मंच से उतारने में कामयाब रही। हालांकि, जब तक हमलावर को मारा नहीं गया, तब तक सुरक्षा दस्ते ने उसे जमीन पर मुठभेड़ जारी रखी। हालांकि,  सुरक्षा विवरण में बुलेट-प्रतिरोधी ढाल या स्नाइपर फायर से कोई सुरक्षा नहीं थी। हत्यारे द्वारा इस्तेमाल की गई AR-15 राइफल की प्रभावी रेंज 400 मीटर है। 

टॉप भारतीय सुरक्षा एक्सपर्ट के मुताबिक, वो यूएस सीक्रेट सर्विस को इस घटना पर 10 में से 6 मार्क देंगे। इस तरह की बड़ी चूक वो भी वीवीआईपी के कार्यक्रम के दौरान होना, बड़ी घटना है। जब वीवीआईपी को उनके वाहन में ले जाया जा रहा था, तो उनका सिर असुरक्षित था। इससे वह हत्यारे की गोली उनका शिकार कर सकती थी, अगर उस क्राइमसीन पर हमलावरों की एक टीम होती।

हालांकि, अमेरिकी सीक्रेट एजेंसी डोनाल्ड ट्रंप को निकालने में जरूर कामयाब रही, लेकिन कर्मी घबराए हुए दिखाई दिए और स्थिति पर नियंत्रण नहीं रख पाए, क्योंकि लंबे पुरुष अधिकारी पीछे से ट्रंप की सुरक्षा कर रहे थे और एक छोटी महिला अधिकारी सामने से लंबे रिपब्लिकन उम्मीदवार की रक्षा कर रही थी, जिससे ट्रंप का सिर खुला हुआ था।

Web Title: attack on Donald Trump now become crucial for American security agencies questions arise how did shooter reach so close

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