सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में एक ऐतिहासिक संकल्प पेश किया, जिसमें जम्मू-कश्मीर राज्य से संविधान का अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य का विभाजन जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख के दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का प्रस्ताव किया गया है।
भारत सरकार के इस बड़े फ़ैसले पर दुनिया भर से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। पड़ोसी देश पाकिस्तान की मीडिया और आम लोगों में भी अनुच्छेद-370 ख़त्म किए जाने को लेकर खासी हलचल है। पाकिस्तान के अख़बार एक्सप्रेस ने लिखा है कि भारत प्रशासित कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म।
अखबार लिखता है कि अनुच्छेद 370 ख़त्म किए जाने के कारण फ़लस्तीनियों की तरह कश्मीरी भी अब बेवतन हो जाएंगे, क्योंकि करोड़ों की संख्या में ग़ैर-कश्मीरी वहां बस जाएंगे और उनकी ज़मीन, संसाधनों और नौकरी पर क़ब्ज़ा कर लेंगे।
अख़बार लिखता है कि भारत सरकार के इस फ़ैसले से कश्मीर की आबादी, भौगोलिक और धार्मिक स्थिति सबकुछ बदल जाएगी। पाकिस्तानी अख़बार 'डॉन'ने लिखा है, "भारत ने संसद में भारी विरोध के बीच कश्मीर का ख़ास दर्जा ख़त्म करने के लिए प्रस्ताव पेश किया।"
अख़बार लिखता है कि अब कश्मीरियों को ये डर सता रहा है कि यह इलाका मुसलमान बहुल होने के बजाय हिंदू बहुल हो जाएगा। 'द नेशन' की हेडलाइन है: भारत सरकार ने अपने संविधान से अनुच्छेद 370 ख़त्म करने का ऐलान किया। 'पाकिस्तान टुडे' ने लिखा है, "अमित शाह के ऐलान के बाद जम्मू-कश्मीर में तनाव फैल गया है।''
पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ने #KashmirBleeds के साथ ट्वीट किया, "भारतीय कश्मीर में लोगों पर लगातार अत्याचार हो रहा है. अतिवादी भारतीय सरकार के इरादे साफ़ हैं. कश्मीर में भारत की आक्रामकता के मद्देनज़र राष्ट्रपति को संसद का संयुक्त सत्र तुरंत बुलाना चाहिए।"
अंदलीब अब्बास ने लिखा है, "भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा का स्रोत हिंदू और फासीवादी आरएसएस है. वे लोग कश्मीरियों को प्रताड़ित करने और आतंकित करने के नए तरीके ढूंढ रहे हैं। आर्टिकल 35A और 370 को हटाने से इलाके में शांति भंग होगी....ये दुनिया शांत क्यों है?''
पाकिस्तान के जाने-माने पत्रकार हामिद मीर ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संयुक्त राष्ट्र को टैग करते हुए लिखा है, "भारत सरकार ने अपने संविधान से अनुच्छेद 370 हटाने की कोशिश करके एक जंग छेड़ दी है।"
पत्रकार आज़ाद एसा ने ट्वीट किया है, "...और इन सबके बीच भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कश्मीर में सेना के साथ वक़्त बिता रहे हैं और इधर ये जुल्म हो रहा है. खेल, राष्ट्रवाद, पौरुष, नायकत्व, नफ़रत और फासीवाद...ये सब आपस में उलझे हुए हैं।"