अमेरिका: समलैंगिक विवाह से जुड़ा ऐतिहासिक बिल हुआ पास, बाइडन बोले- अब जी सकते है खुशहाल जिंदगी...बना सकते है अपना परिवार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 30, 2022 13:48 IST2022-11-30T11:49:01+5:302022-11-30T13:48:01+5:30
इस बिल पर बोलते हुए सीनेट में बहुसंख्यक नेता चुक शुमर ने कहा कि यह विधेयक ‘‘लंबे समय से लंबित’’ था और ‘‘वृहद समानता की ओर अमेरिका की मुश्किल, लेकिन अडिग राह’’ का हिस्सा है।

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वाशिंगटन डीसी: अमेरिकी सीनेट ने समलैंगिक शादियों को मान्यता देने से जुड़ा एक द्विदलीय विधेयक मंगलवार को पारित कर दिया है। यह कदम इस मुद्दे पर राष्ट्रीय राजनीति में आए बदलाव का संकेत देता है।
36 के मुकाबले 61 मतों से पारित विधेयक हुआ पारित
इससे उन हजारों समलैंगिक जोड़ों को राहत मिली है, जिन्होंने उच्चतम न्यायालय के 2015 के फैसले के बाद शादी की थी। इस फैसले के तहत देशभर में समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता दी गई थी। विधेयक को मंगलवार को 36 के मुकाबले 61 मतों से पारित कर दिया गया है।
नेता चुक शुमर ने क्या कहा
इस विधेयक को लेकर रिपब्लिकन पार्टी के 12 सदस्यों ने भी इसका समर्थन किया है। सीनेट में बहुसंख्यक नेता चुक शुमर ने कहा कि यह विधेयक ‘‘लंबे समय से लंबित’’ था और ‘‘वृहद समानता की ओर अमेरिका की मुश्किल, लेकिन अडिग राह’’ का हिस्सा है।
विधेयक को लेकर राष्ट्रपति जो बाइेडन ने क्या कहा
ऐसे में राष्ट्रपति जो बाइडन ने दोनों दलों के सदस्यों द्वारा विधेयक का समर्थन किए जाने की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि अगर यह विधेयक प्रतिनिधि सभा में पारित हो जाता है तो वह इस पर ‘‘तेजी से और गर्व के साथ’’ हस्ताक्षर करेंगे। बाइडेन ने कहा कि इससे सुनिश्चित होगा कि एलजीबीटीक्यू (समलैंगिक) समुदाय के लोग ‘‘यह जानते हुए बड़े होंगे कि वे भी पूरी तरह से खुशहाल जिंदगी जी सकते हैं और अपना खुद का परिवार बसा सकते हैं।’’
समलैंगिक विवाह को मान्यता की मांग वाली याचिकाओं पर न्यायालय ने केंद्र से मांगा है जवाब
वहीं इधर भारत में वयस्कों के बीच सहमति से बनाये गये समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटाने के फैसले के चार साल बाद उच्चतम न्यायालय ने दो समलैंगिक जोड़ों की अलग-अलग याचिकाओं पर केंद्र और अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि को शुक्रवार को नोटिस जारी किया है।
पीठ ने नोटिस जारी कर केंद्र सरकार को क्या कहा है
ऐसे में समलैंगिक जोड़ों की इस याचिका में विवाह के उनके अधिकार को लागू करने और इसे विशेष विवाह कानून के तहत मान्यता देने का अनुरोध किया गया है। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की एक पीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करने के साथ ही इन याचिकाओं के निपटारे के लिए अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि से सहयोग भी मांगा।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ शीर्ष अदालत की उस संविधान पीठ का हिस्सा थे जिसने 2018 में सहमति से समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था। पीठ ने कहा, ‘‘नोटिस जारी किया जाता है, जिसके जवाब के लिए चार सप्ताह का समय दिया जाता है। भारत के अटॉर्नी जनरल को भी नोटिस जारी किया जाए।’’