खारतूम, छह नवंबर (एपी) सूडान में असैन्य सरकार लाने के लिए चल रहे आंदोलन में शामिल कार्यकर्ताओं ने पिछले महीने के तख्तापलट के बाद सेना के साथ सत्ता साझेदारी के समझौते पर लौटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थित पहल को खारिज कर दिया है और रविवार से दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा की गयी।
लोकतंत्र की ओर हस्तांतरण के लिए असैन्य सरकार लाने के लिहाज से आंदोलन शुरू किया गया है। देश के मुख्य राजनीतिक दल के एक नेता ने सैन्य नेतृत्व पर गलत मंशा से बातचीत करने का आरोप लगाया।
सूडान की सेना ने 25 अक्टूबर को सत्ता पर कब्जा कर लिया था और अंतरिम प्रशासन को भंग करते हुए दर्जनों सरकारी अधिकारियों एवं नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
सेना के सत्ता पर कब्जे ने लोकतांत्रिक शासन की ओर देश के अस्थिरतापूर्ण हस्तांतरण की प्रक्रिया को बाधित कर दिया है। इससे करीब दो साल पहले विद्रोह की वजह से लंबे समय से काबिज निरंकुश उमर अल-बशीर और उनकी इस्लामवादी सरकार को हटना पड़ा था।
इस सैन्य तख्तापलट के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचनाएं देखने को मिलीं और खारतूम तथा सूडान के अन्य शहरों में सड़कों पर बड़े स्तर पर प्रदर्शन शुरू हो गये।
इस घटनाक्रम के बाद से अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने पहले ही अशांत इस अफ्रीकी क्षेत्र को और अस्थिरता की ओर ले जाने वाले संकट से बाहर निकलने के लिए मध्यस्थता के प्रयास तेज कर दिये हैं।
अल-बशीर के खिलाफ विद्रोह की अगुवाई करने वाले सूडानीज प्रोफेशनल्स एसोसिएशन ने शुक्रवार को कहा कि सेना और असैन्य नेताओं के बीच नये सिरे से समझौते के प्रस्ताव वाली मध्यस्थता पहल देश के संकट को और बढ़ाएगी।
संगठन ने तब तक प्रदर्शन करते रहने का संकल्प लिया, जब तक लोकतंत्र की ओर हस्तांतरण के वास्ते पूर्ण रूप से असैन्य सरकार आसीन नहीं हो जाती।
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