1960 सिंधु जल संधिः बिन पानी सब सून?, अक्ल ठिकाने आने के बाद पाकिस्तान बातचीत को तैयार, जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तजा ने दिया संकेत
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 15, 2025 16:04 IST2025-05-15T16:03:24+5:302025-05-15T16:04:35+5:30
1960 Indus Water Treaty: भारत के कदम के कानूनी आधार पर भी सवाल उठाया कि संधि में कोई निकास संबंधी खंड नहीं है।

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1960 Indus Water Treaty: गत 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर भारत द्वारा 1960 की सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को स्थगित करने के कुछ सप्ताह बाद, पाकिस्तान ने इस संधि के बारे में नई दिल्ली की दीर्घकालिक चिंताओं पर चर्चा करने की इच्छा का संकेत दिया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तजा ने संधि के निलंबन पर भारत सरकार की औपचारिक अधिसूचना का जवाब दिया है। अपनी भारतीय समकक्ष देबश्री मुखर्जी को लिखे पत्र में, मुर्तजा ने नई दिल्ली द्वारा उठाई गई विशिष्ट आपत्तियों पर चर्चा करने के लिए अपनी सरकार की तत्परता व्यक्त की। उन्होंने भारत के कदम के कानूनी आधार पर भी सवाल उठाया कि संधि में कोई निकास संबंधी खंड नहीं है।
हालांकि, भारत सरकार अपने फैसले पर अड़ी हुई है। जल शक्ति मंत्रालय के अधिकारियों से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने इस घटनाक्रम पर आधिकारिक रूप से टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन सरकारी सूत्रों ने संकेत दिया कि मौजूदा परिस्थितियों में, भारत की स्थिति में बदलाव की संभावना नहीं है।
सूत्रों ने दोहराया कि संधि को निलंबित करने का निर्णय ‘जम्मू कश्मीर को लगातार निशाना बनाकर सीमा पार से होने वाले आतंकवाद’ के कारण लिया गया था। गत 24 अप्रैल को लिखे पत्र में मुखर्जी ने मुर्तजा को सूचित किया था कि ‘संधि के तहत प्रस्तावित वार्ता में शामिल होने से पाकिस्तान का इनकार और आतंकवाद को लगातार प्रायोजित करना संधि का उल्लंघन है।’