नेहरू के दांत के डॉक्टर का बेटा बना पाकिस्तान का राष्ट्रपति, ली शपथ

By जनार्दन पाण्डेय | Published: September 9, 2018 02:21 PM2018-09-09T14:21:51+5:302018-09-10T12:34:24+5:30

पाकिस्तान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने शपथ ले ली है। वह राजनैतिक घटना के दौरान उन्हें गोली भी लग चुकी है।

13th President of Pakistan Arif Alvi has taken oath, Know Neharu Connection | नेहरू के दांत के डॉक्टर का बेटा बना पाकिस्तान का राष्ट्रपति, ली शपथ

बायीं ओर पाकिस्तान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति व दाहिनी तरफ पं जवाहरलाल नेहरू

इस्लामाबाद, 9 सितंबरः पाकिस्तान में आरिफ अल्वी ने देश के राष्ट्रपति के तौर पर रविवार को पद एवं गोपनीयता की शपथ ले ली। अब वे अयूब खान, जुल्फिकार अली भुट्टो, जियाउल हक, परवेज मुशर्रफ, आसिफ अली जदारी की विरासत को संभालेंगे। वह पाकिस्तान के 13 वें राष्ट्रपति हैं। लेकिन अहम बात यह है कि उनका भारत से एक बेहद अनोखा रिश्ता है।

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के पास भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कई खत आज भी मौजूद हैं। असल में ये खत नेहरू ने आरिफ अली के पिता हबीब-उर-रहमान इलाही अल्वी को लिखे थे। हबीब, नेहरू के डेंटिस्ट थे। खुद आरिफ अल्वी भी पेशे से एक डेंटिस्ट हैं। उन्होंने दांतों के इलाज की पढ़ाई पढ़ रखी है।

असल में आरिफ अल्वी आगरा से ताल्लुक रखते हैं। उनका परिवार मूल रूप से आगरा का निवासी था। लेकिन बंटवारे के समय उन्हें पाकिस्तान जाना पड़ा। पाकिस्तान जाते ही अल्वी के पिता ने हबीब अल्वी मुहम्मद अली जिन्ना की बहन शिरीनभाई जिन्ना के ट्रस्ट में ट्रस्टी बन गए और जिन्ना परिवार के करीबी बने। यहीं से अल्वी का राजनीति से लगाव बढ़ा।



इसलिए उन्होंने दंत चिकित्सा से रिटायरमेंट लेकर पूरी तरह राजनीति में आना उचित समझा। वह इस वक्त वह 69 साल के हैं। अल्वी ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के प्रत्याशी एतजाज अहसन और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन प्रत्याशी मौलाना फजल उर रहमान को चुनाव में शिकस्त दी थी। प्रधानमंत्री इमरान खान के एक करीबी सहयोगी और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के संस्थापक सदस्यों में से एक अल्वी को चार सितंबर को राष्ट्रपति चुना गया था।

राजनीति के लिए गोली खा चुके है

अल्वी 2006 से 2013 तक पीटीआई के महासचिव रहे थे। वह 25 जुलाई को हुये चुनाव के दौरान एनए-247 (कराची) से नेशनल एसेंबली का चुनाव जीते थे। वह 2013 के आम चुनाव में नेशनल एसेंबली के सदस्य के रूप में चुने गये थे। असल में अल्वी छात्र जीवन से ही राजनीति में आ गए थे। उन्होंने जमात ए इस्लामी के स्टूडेंट विंग से नाता रखा।

जबकि पूर्व राष्ट्रपति व सैन्य शासक अयूब खान के लिखाफ प्रदर्शन निकालने के लिए भी उन्हें जाना जाता है। तब उन्हें गोली भी लग गई थी। उन्होंने 1979 में जमात ए इस्लामी से चुनाव भी लड़ा था, लेकिन तब उन्हें मात मिली थी। उसके बाद उन्हें वह पार्टी छोड़नी पड़ी। बाद में करीब 1996 में वह पीटीआई में आए। इसके बाद 1997 में वह फिर से चुनावी मैदान में कुदे लेकिन जीत नसीब नहीं हुई। लेकिन 2006-2013 तक पार्टी का महासचिव रहने के दौरान वह इमारान खान काफी करीब आ गए। इसलिए जब इमरान खान के पास राष्ट्रपति उम्मीदवार चुनने का मौका आया तो उन्होंने आरिफ को पहली पसंद बनाई।

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, मैंने कोई कसर नहीं छोड़ी

आरिफ अल्वी के पूर्ववर्ती राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद शनिवार को राष्ट्रपति भवन छोड़ दिया। हुसैन ने कहा कि वह अपने कार्यकाल से संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पाकिस्तान के नागरिकों द्वारा दी गई जिम्मेदारियों को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।’’ 

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