म्यांमा में सैन्य तख्तापलट के 100 दिन, जुंटा के पास नाम का नियंत्रण

By भाषा | Published: May 11, 2021 01:16 PM2021-05-11T13:16:22+5:302021-05-11T13:16:22+5:30

100 days of military coup in Myanmar, control of name near junta | म्यांमा में सैन्य तख्तापलट के 100 दिन, जुंटा के पास नाम का नियंत्रण

म्यांमा में सैन्य तख्तापलट के 100 दिन, जुंटा के पास नाम का नियंत्रण

बैंकाक, 11 मई (एपी) फरवरी में सेना द्वारा आंग सांग सू ची की लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को बर्खास्त कर सत्ता अपने हाथ में लेने के बाद से सैन्य शासक देश में ट्रेनों को समय पर नहीं चलवा पाए, क्योंकि रेलकर्मी सैन्य तख्तापलट के विरोध में एकजुट होने वाले शुरुआती लोगों में शामिल थे और वे हड़ताल पर चले गए।

इसी के साथ, स्वास्थ्य कर्मियों ने भी सैन्य शासकों के खिलाफ सविनय अवज्ञा किया और सरकारी अस्पतालों में जाना बंद कर दिया। कई लोक सेवाकों और सरकारी तथा निजी बैंकों के कर्मियों ने भी काम का बहिष्कार किया।

विश्वविद्यालय विरोध का केंद्र बने और हाल के हफ्तों में प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर शिक्षा व्यवस्था भी चरमरा गई, क्योंकि शिक्षकों, छात्रों एवं अभिभावकों ने सरकारी स्कूलों का बहिष्कार कर दिया।

सैन्य तख्तापटल के 100 दिन बाद, म्यांमा के सत्तारूढ़ जनरलों के पास नाम का नियंत्रण है। नियंत्रण होने का भ्रम इसलिए भी है, क्योंकि उन्हें स्वतंत्र मीडिया की आवाज़ बंद करने और बलों को तैनात कर सड़कों को प्रदर्शनकारियों से खाली कराने में आंशिक कामयाबी मिली है।

स्वतंत्र आंकड़ों के मुताबिक, सुरक्षा बलों ने 750 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों और राहगीरों को मौत के घाट उतार दिया है।

रोम में रह रही पत्रकार थिन लेई विन ने कहा, “ सैन्य शासक चाहते हैं कि लोग समझें कि चीज़े सामान्य हो रही हैं क्योंकि वे उतने लोगों को नहीं मार रहे हैं जितनों को पहले मारा है और सड़कों पर उतने लोग नहीं हैं, जितने पहले थे … जमीन पर लोगों से बात करके हमें पता चल रहा है कि विरोध अभी शांत नहीं हुआ है।”

उन्होंने 2015 में ‘म्यांमा नाउ’ ऑनलाइन समाचार सेवा शुरू कराने में मदद की थी।

उन्होंने कहा कि मुख्य बदलाव यह है कि असंतोष अब उस तरह से नहीं दिख रहा है जैसा प्रदर्शनों के शुरुआती दिनों में दिखता था तब प्रमुख शहरों में मार्च और रैलियों में हजारों लोग जुटते थे, क्योंकि सुरक्षा बलों ने उनपर गोलीबारी की है।

इस बीच अशांत सीमांत क्षेत्रों से सैन्य चुनौतियां बढ़ रही हैं जहां जातीय अल्पसंख्यक समूहों के पास राजनीतिक शक्तियां हैं और गुरिल्ला सेनाएं हैं।

उत्तर में कचिन और पूर्व में करेन समूहों ने आंदोलनों को अपना समर्थन दे दिया है और अपनी लड़ाई तेज़ कर दी है। वहीं सरकारी सेना जबर्दस्त ताकत से जवाब दे रही है और हवाई हमले भी कर रही है।

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Web Title: 100 days of military coup in Myanmar, control of name near junta

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