सूरत शहरः 'ब्रेन डेड' पांच दिन के नवजात के अंगों से तीन बच्चों को नया जीवन मिला, डॉक्टर ने की अपील और माता-पिता ने दी सहमति, जानें कहानी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 19, 2023 17:04 IST2023-10-19T17:03:38+5:302023-10-19T17:04:36+5:30

माता-पिता की खुशी उस वक्त गम में बदल गई जब चिकित्सकों ने बताया कि वह कोई हरकत नहीं कर रहा है।

Surat city Three children got new life from organs 'brain dead' five-day-old newborn doctor appealed and parents agree, know story | सूरत शहरः 'ब्रेन डेड' पांच दिन के नवजात के अंगों से तीन बच्चों को नया जीवन मिला, डॉक्टर ने की अपील और माता-पिता ने दी सहमति, जानें कहानी

सांकेतिक फोटो

Highlightsनवजात को 'ब्रेन डेड' घोषित कर दिया गया।हर्ष एक हीरा कारीगर और अमरेली जिले के रहने वाला है।नवजात के जिगर को नयी दिल्ली में नौ महीने के एक बच्चे में प्रतिरोपित किया गया है।

सूरतः गुजरात के सूरत शहर में 'ब्रेन डेड' नवजात के अंगों से तीन बच्चों को नया जीवन मिला है। इन बच्चों को पांच दिन के नवजात के गुर्दे और जिगर दान के रूप में मिले हैं। नवजात का जन्म 13 अक्टूबर को एक निजी अस्पताल में हुआ था। लेकिन माता-पिता की खुशी उस वक्त गम में बदल गई जब चिकित्सकों ने बताया कि वह कोई हरकत नहीं कर रहा है।

गैर सरकारी संगठन जीवनदीप ऑर्गन डोनेशन फाउंडेशन (जेओडीएफ) के प्रबंध न्यासी विपुल तलाविया ने कहा,''नवजात को सूरत शहर में दूसरे अस्पताल ले जाया गया जहां उसे वेंटिलेटर पर रखा गया। तमाम कोशिशों के बावजूद कुछ नहीं हुआ और नवजात को 'ब्रेन डेड' घोषित कर दिया गया।''

तलाविया ने बताया कि नवजात की स्थिति की जानकारी मिलते ही वह और सरकारी न्यू सिविल अस्पताल के डॉ निलेश कछाडिया शिशु अस्पताल पहुंचे जहां नवजात भर्ती था। उन्होंने नवजात के माता-पिता हर्ष संघानी और उनकी पत्नी से अंगदान करने का आग्रह किया। हर्ष एक हीरा कारीगर और अमरेली जिले के रहने वाला है।

अपील से प्रभावित होकर दंपति और उनके परिवार के सदस्यों ने अंगदान के लिए अपनी सहमति दे दी। तलाविया ने कहा, ''परिवार की सहमति मिलने के बाद पीपी सवानी अस्पताल के चिकित्सकों ने बुधवार को शिशु के शरीर से दोनों गुर्दे, 'कॉर्निया', जिगर और तिल्ली निकाल ली।'' उन्होंने कहा,''हमें अभी पता चला है कि नवजात के जिगर को नयी दिल्ली में नौ महीने के एक बच्चे में प्रतिरोपित किया गया है।''

गुर्दा रोग संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ विनीत मिश्रा ने बताया कि नवजात की दोनों गुर्दों से 13 और 15 वर्ष के दो किशोरों को जीवनदान मिला है। ब्रेन डेड वो अवस्था होती है जिसमें मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है और पीड़ित की चंद घंटों में मृत्यु अपरिहार्य हो जाती है।

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