70 एकड़ में फैला है सत्यनारायण का प्राइवेट जंगल, 5 करोड़ पेड़ों पर रहते हैं 32 तरह के पक्षी, जानिए प्रकृति को बचाने की इस दिलचस्प मुहिम को

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 18, 2022 03:41 PM2022-03-18T15:41:48+5:302022-03-18T15:49:44+5:30

तेलंगाना के सूर्यापेट जिले के रहने वाले दुशरला सत्यनारायण के 70 एकड़ में फैले प्राइवेट जंगल में लगभग पांच करोड़ पेड़ हैं, जिनपर पूरे साल फल लगते हैं, जो जंगल में रहने वाले पक्षियों और बंदरों के साथ अन्य जानवरों के भोजन के काम में आते हैं।

Satyanarayan's private forest is spread over 70 acres, 32 types of birds live on 5 crore trees, know this interesting campaign to save nature | 70 एकड़ में फैला है सत्यनारायण का प्राइवेट जंगल, 5 करोड़ पेड़ों पर रहते हैं 32 तरह के पक्षी, जानिए प्रकृति को बचाने की इस दिलचस्प मुहिम को

70 एकड़ में फैला है सत्यनारायण का प्राइवेट जंगल, 5 करोड़ पेड़ों पर रहते हैं 32 तरह के पक्षी, जानिए प्रकृति को बचाने की इस दिलचस्प मुहिम को

Highlightsदुशरला सत्यनारायण ने अपनी 70 एकड़ पुश्तैनी जमीन पर खुद का जंगल तैयार किया है सत्यनारायण ने अपने बच्चों से कह दिया है कि उन्हें इस जंगल की संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलेगासत्यनारायण को कई बार जंगल की जमीन बेचने का ऑफर मिला लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया

सूर्यापेट:तेलंगाना के सूर्यापेट जिले के रहने वाले दुशरला सत्यनारायण ने अपने पुश्तैनी जमीन पर एक खूबसूरत जंगल तैयार किया है। प्रकृति प्रेमी दुशरला सत्यनारायण के 70 एकड़ में फैले इस जंगल में पक्षियों की 32 किस्में पायी जाती हैं।

मौजूद समय में उनके जंगल में लगभग पांच करोड़ पेड़ हैं, जिनपर पूरे साल फल लगते हैं, जो जंगल में रहने वाले पक्षियों और बंदरों के साथ अन्य जानवरों के भोजन के काम में आते हैं।

दिलचस्प बात यह है कि दुशरला सत्यनारायण के जंगल के लिए न तो गेट है और न ही यहां कोई बाड़ लगी हुई है। यहां सात तालाब और छोटी झीलें भी हैं, जिनमें खिलने वाले कमल के फूल आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं।

सत्यनारायण का कहना है कि वो इस जंग में अभी कम से कम 10 और तालाब बनावाएंगे। सत्यनारायण कहते हैं कि उन्होंने अपना पूरा जीवन सूर्यपेट जिले के राघवपुरम गांव में फैले इस विशाल जंगल के अलावा अपने बच्चे की परवरिश, सुरक्षा और संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया।

सत्यनारायण ने व्यावहारिक रूप से अपना पूरा जीवन सूर्यपेट जिले के राघवपुरम गाँव में अपने 'प्यारे बच्चे' की परवरिश, सुरक्षा और संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया। 68 साल के सत्यनारायण ने कहा, “मैंने अपने दो बच्चों से कहा है कि उन्हें इस संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा। जंगल हमेशा पेड़ों, पक्षियों और जानवरों का होता है।"

सत्यनारायण ने बताया कि उन्हें कई बार जंगल की जमीन बेचने का ऑफर मिला, लेकिन उन्होंने विनम्रतापूर्वक उसे ठुकरा दिया। सत्यनारायण ने छह दशकों तक इस जंगल का पालन-पोषण और संरक्षण किया है। उन्होंने इस मुहिम को तब शुरू किया था जब वह केवल सात साल के थे।

हैदराबाद की एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से बीएससी करने वाले सत्यनारायण एक बैंक में अधिकारी भी रहे लेकिन बाद में नलगोंडा जिले में लंबे समय तक पानी के मुद्दों को उठाने के लिए खुद को समर्पित करने के लिए नौकरी छोड़ दी।

उन्होंने जो जंगल विकसित किया है, उसमें प्राकृतिक ईको सिस्टम है। पेड़ नहीं काटे जाते। पेड़ों की शाखाओं के जमीन पर गिरने के बाद भी उन्हें हटाया नहीं जाता है। पक्षियों और जानवरों की बदौलत सत्यनारायण के जंगल का तेजी से विकास हो रहा है।

सत्यनारायण कहते हैं कि इस जंगल में किसी भी आगंतुक का स्वागत नहीं किया जाता है क्योंकि उनके आने से जंगली पशुओं को परेशानी होती है।

सत्यनारायण इस जंगल में केवल उन्हें ही आने देते हैं, जो वास्तव में जंगल से, प्रकृति से और पशु-पक्षियों से प्रेम करते हैं। आज के दौर में सत्यनारायण जिस तरह से अपने प्राइवेट जंगल को विकसित कर रहे हैं, उसे देखकर पर्यावरणविद आश्चर्यचकित हैं।

Web Title: Satyanarayan's private forest is spread over 70 acres, 32 types of birds live on 5 crore trees, know this interesting campaign to save nature

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