भारत में पाया जाता है ये खास सांप, अंतरराष्ट्रीय बाजार में लाखों रुपए में बेच रहे तस्कर
By स्वाति सिंह | Published: October 20, 2020 02:04 PM2020-10-20T14:04:22+5:302020-10-20T14:04:22+5:30
वैज्ञानिकों के मुताबिक ये सांप बहुत ही शांत प्रवृत्ति के होते हैं और इनमें ज्यादा जहर भी नहीं होता है। ये आमतौर पर छोटे जानवरों जैसे चूहा, कीड़े आदि का शिकार करते हैं। दोमुंहा सांप का मतलब ये नहीं है कि इनके दो मुंह होते हैं।
नई दिल्ली: भारत के मरुस्थलीय इलाके राजस्थान में लाल रंग का एक खास सांप पाया जाता है। स्थानीय भाषा में इस दोमुंहा सांप भी कहते हैं। इसका असली नाम नाम रेड सेंड बोआ है। माना जाता है कि दवा से लेकर तांत्रिक विद्या में इस सांप का काफी इस्तेमाल होता है, जिस वजह से इसकी स्मगलिंग बढ़ गई है। इसकी बढ़ती मांग के चलते तस्कर अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसे 3 करोड़ से 25 करोड़ के बीच बेचते हैं। सरकार ने 1972 के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत इसे संरक्षित घोषित किया है। इसकी तस्करी करने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।
इस सांप की खास बात यह है कि इस सांप की पूंछ का आकार ही ऐसा होता है, जो मुंह की तरह नजर आता है। इस कारण यह देखने में दो मुंहा सांप लगता है। यह कीमत सांप के वजन पर निर्भर होती है। एक किलो की कीमत एक करोड़ तक होती है। वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट मानें तो यह सांप शांत प्रवृति का होता है। इसमें जहर भी नहीं होता। यह इतना शांत होता है कि यदि किसी के घर में आ जाए, तो उसे आसानी से बाहर किया जा सकता है।
रेड सेंड बोआ को लेकर है ये मिथ
भारत में रेड सेंड बोआ को लेकर कुछ मिथ भी है, जैसे इस सांप की स्टीम से चेहरे की खोई रौनक लौट जाती है, या इसे खाने से आदमियों की पौरुष क्षमता बढ़ती है। यह सब अफवाहें हैं, जो इसकी कीमत के लिए जिम्मेदार हैं। कई तंत्र-मंत्र वाले लोग भी इस सांप का इस्तेमाल करते हैं। वे इस सांप की बलि तक चढ़ाते हैं। कुछ मानते हैं कि इस सांप की स्टीम से चेहरे की खोई रौनक लौट जाती है, या इसे खाने से आदमियों की पौरुष क्षमता बढ़ती है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक ये सांप बहुत ही शांत प्रवृत्ति के होते हैं और इनमें ज्यादा जहर भी नहीं होता है। ये आमतौर पर छोटे जानवरों जैसे चूहा, कीड़े आदि का शिकार करते हैं। दोमुंहा सांप का मतलब ये नहीं है कि इनके दो मुंह होते हैं। इनकी पूंछ की बनावट ऐसी होती है, जो मुंह की तरह लगती है। वहीं खतरा देखने पर ये पूंछ को भी फन की तरह हवा में उठा लेते हैं। भारत के अलावा ये पाकिस्तान और ईरान में भी बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। तस्करी को देखते हुए भारत सरकार इनके संरक्षण के लिए हर संभव कदम उठा रही है।