स्कूल की अनोखी पहल, पढ़ने के लिए फीस की जगह कचरा, गेट पर रखा है डस्टबिन, स्वच्छ बनाने की पहल
By एस पी सिन्हा | Published: November 21, 2022 06:35 PM2022-11-21T18:35:45+5:302022-11-21T18:36:55+5:30
बिहार के गया का मामला है। पद्मपानी एजुकेशनल एंड सोशल फाउंडेशन से संचालित पद्मपानी स्कूल के बच्चे जो भी कचरा लेकर आते हैं, उसे री-साइकिल होने के लिए भेजा जाता है।
पटनाः निजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए मोटी रकम फीस के रूप में की जाती है। लेकिन बिहार के गया जिले में एक अनोखा स्कूल जहां बच्चों से फीस के बदले सूखा कचरा मंगवाया जाता है। बोधगया के बसाड़ी ग्राम पंचायत के सेवा बीघा में एक ऐसा ही स्कूल है जहां ना तो बच्चों से फीस ली जाती है और न ही उनसे पैसे मांगे जाते हैं।
उन्हें र्सिफ पढ़ने के लिए रास्ते पर पड़ा सूखा कचड़ा लाना होता है। साथ ही उस कचरे को स्कूल के बाहर रखे कचरे के डिब्बे में रखना होता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पद्मपानी एजुकेशनल एंड सोशल फाउंडेशन से संचालित पद्मपानी स्कूल के बच्चे जो भी कचरा लेकर आते हैं, उसे री-साइकिल होने के लिए भेजा जाता है।
इन कचरों को बेच कर जो भी पैसा इकट्ठा होता है, उन पैसों को बच्चों के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में स्कूल को काफी ज्यादा फायदा भी होता है। साथ ही बच्चों की पढ़ाई भी हो जाती हैं। बताया जाता है कि इन पैसों से ही बच्चों के लिए पढ़ाई, खाना, कपड़ा और किताब खरीदा जाता है।
साथ ही इन ही पैसों से शिक्षकों को वेतन भी दी जाती है। पद्मपानी स्कूल में बिजली का कनेक्शन तक नहीं है बल्कि इस स्कूल का संचालन सौर ऊर्जा से किया जाता है। संस्था के को फाउंडर राकेश रंजन ने बताया कि यहां हर साल हजारों की तादाद में पर्यटक घूमने आते हैं। ऐसे में यहां पर्यटक कई बार सड़कों पर ही कचरा फेंक देते हैं।
ऐसे में जब भी बच्चे सड़कों से कचरा उठाते हैं, वहां मौजूद लोग उन्हें देखकर जागरूक होते हैं। ऐसे में सड़क की सफाई के साथ ही लोग कचरा को लेकर जागरूक भी होते हैं। बता दें कि इस स्कूल की शुरुआत साल 2014 में हुआ था, लेकिन इस कार्य की शुरुआत साल 2018 से चल रहा है।