शख्स के खोपड़ी में 18 वर्षों तक फंसी रही गोली, बेंगलुरु के डॉक्टरों ने ऑपरेशन करके बचाई जान, जानिए पूरा किस्सा

By अनुभा जैन | Published: December 13, 2023 10:42 AM2023-12-13T10:42:18+5:302023-12-13T10:47:48+5:30

बेंगलुरु के डॉक्टरों ने एक ऐसे शख्स की जान बचाई, जो बीते 18 सालों से अपनी खोपड़ी में बंदूक की गोली लिये जिंदगी बसर कर रहा था।

Bullet remained stuck in man's skull for 18 years, Bengaluru doctors operated and saved his life, know the whole story | शख्स के खोपड़ी में 18 वर्षों तक फंसी रही गोली, बेंगलुरु के डॉक्टरों ने ऑपरेशन करके बचाई जान, जानिए पूरा किस्सा

फाइल फोटो

Highlightsएक शख्स बीते 18 सालों से अपनी खोपड़ी में बंदूक की गोली लिये जिंदगी बसर कर रहा थाबेंगलुरु के डॉक्टरों ने बचाई उस शख्स की जान, ऑपरेशन करके निकाली गोली 29 साल का युवक लगभग 18 वर्षों से सिर में 3 सेंटीमीटर लंबी मेटल गोली के साथ बिता रहा था जिंदगी

बेंगलुरु: कहते हैं कि डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं और इस कथन को बेंगलुरु के डॉक्टरों ने उस वक्त सच साबित कर दिया, जब उन्होंने एक ऐसे शख्स की जान बचाई, जो बीते 18 सालों से अपनी खोपड़ी में बंदूक की गोली लिये जिंदगी बसर कर रहा था।

जी हां, बेंगलुरु में मिडिल इस्ट के देश यमन के रहने वाले 29 वर्षीय एक  युवक लगभग 18 वर्षों से अपने सिर में 3 सेंटीमीटर लंबी मेटल गोली के साथ जिंदगी बिता रहा था। लेकिन हाल ही में डॉक्टरों ने बेंगलुरु स्थित एक अस्पताल में उसका ऑपरेशन करके उस गोली से उसे मुक्ति दिला दी।

डॉक्टरों ने बताया कि गोली युवक की बायीं टेम्पोरल हड्डी (खोपड़ी की हड्डी) में फंसी हुई थी, जिससे उसे सिर में लगातार सिरदर्द रहता था। हालत इतनी खराब हो गई थी कि उसके बहरे होने की स्थिति हो गई थीं। उसका लगातार हर रहा था और गोली के कारण कान के नाजुक अंगों पर लगातार चोट लग रही थी।

ऑपरेशन के जरिये बंदूक की गोली से मुक्ति पाने वाले शख्स ने बताया कि उसे वह गोली 10 साल की छोटी उम्र में उस वक्त लगी थी, जब वह अपने घर लौट रहा था लेकिन दो समूहों के बीच हो रही झड़प के बीच फंस गया। उस झड़प के दौरान गोली चली और वो गंभीर रूप से जख्मी हो गया।

आनन-फानन में उसे अस्पताल भेजा गया। उसका खून लगातार बह रहा था। अस्पताल में इलाज के दौरान डॉक्टरों ने घाव तो भर दिया लेकिन खून बहने के डर से गोली नहीं निकाली। गोली कान के माध्यम से शरी में घुसी थी, जिससे कान का प्रवेश द्वार संकीर्ण हो गया था और उसमें मवाद बनने के साथ लगातार स्राव हो रहा था। उस कारण कान में लगातार संक्रमण होता रहा।

गोली का अंदरूनी सिरा हड्डी में फंस गया था। ऐसे में एक घाव बन गया था, जो ठीक नहीं हो रहा था। इस कारण उसे गंभीर सिरदर्द की शिकायत शुरू हो गई। उसके बाद उसे बेंगलुरु में कॉक्लियर इम्प्लांट के लिए मशहूर एस्टर आरवी अस्पताल के बारे में पता चला और उसने वहां के डॉक्टरों से संपर्क किया।

आखिर वो शख्स एस्टर आरवी अस्पताल पहुंचा, जहां ईएनटी और कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी के प्रमुख सलाहकार डॉक्टर रोहित उदय प्रसाद और वरिष्ठ ईएनटी विशेषज्ञ डॉक्टर विनायक कुर्ले ने डॉक्टर सुब्रमण्यम की अध्यक्षता वाली एनेस्थीसिया टीम के साथ मिलकर कुछ घंटे तक उसकी सर्जरी की। इस दौरान रक्त वाहिका की चोट से संबंधित किसी भी आपात स्थिति के लिए इंटरवेंशन रेडियोलॉजी टीम भी तैयार थी।

डॉक्टर रोहित उदय प्रसाद ने लोकमत की अनुभा जैन को बताया कि मरीज की सर्जरी बहुत जटिल थीष इसलिए वो लोग ऑपरेशन योजनाबद्ध तरीके से करना चाहते थे क्योंकि गोली महत्वपूर्ण संवहनी संरचना या वस्कुलर संरचना में बहुत करीब से फंसी हुई थी और उस कारण मरीज को गंभीर रक्तस्राव का खतरा था।

डॉक्टर रोहित ने सर्जरी की जटिलताओं के बारे में बात करते हुए अनुभा जैन से बात करते हुए कहा, “गोली की लोकेशन बहुत जटिल थी। टेम्पोरल हड्डी खोपड़ी का आधार और कान की हड्डी का हिस्सा बनाती है। इस हड्डी के माध्यम से आंतरिक कैरोटिड धमनी नामक एक रक्त वाहिका यात्रा करती है।"

उन्होंने कहा, "गोली इस रक्त वाहिका के निकट लगी थी। बड़ी चुनौती यह थी कि जब हम गोली बाहर निकालते तो प्रश्न यह था कि क्या यह गोली रक्त वाहिकाओं में कुछ समस्या पैदा कर सकती थी। कभी-कभी अनियंत्रित रक्तस्राव, रक्त वाहिकाओं पर दबाव, फाइब्रोसिस, या रक्त वाहिका की दीवार को नुकसान जैसे बहुत सारी समस्याएं इससे जुड़ी रहती हैं। इसे ध्यान में रखते हुए सर्जिकल टीम ने रक्त वाहिकाओं के साथ गोली की निकटता जानने के लिए सीटी स्कैन, कंट्रास्ट सीटी एंजियोग्राफी और कई एक्स-रे किया।"

डॉक्टर रोहित ने आगे बताया, "एहतियात के उपलब्ध सभी विकल्पों के साथ टीम गोली की गतिशीलता के लिए उसके आसपास की हड्डियों और वाहिकाओं से गोली को मुक्त करके उसे बाहर निकालने में कामयाब रही। गोली के चारों ओर फ़ाइब्रोटिक टिश्यू थे, जो मरीज को किसी भी तरह की क्षति से बचाते थे और गोली को बाहर निकालने में आसानी होती क्योंकि गोली किसी भी रक्त वाहिका से सीधे जुड़ी नहीं थी। इस तरह से आख़िरकार गोली सफलतापूर्वक निकाल ली गई।"

उसके बाद मरीज एक महीने तक अस्पताल में रहने के बाद पूरी तरह से ठीक हो गया और वापस अपने देश यमन चला गया। ऑपरेशन से युवक को तीव्र दर्द, कान बहने से राहत मिली है और उसकी सुनने की क्षमता भी बहाल हो गई है।

सिर में धातु होने के बावजूद व्यक्ति 18 साल तक जीवित कैसे रहा, इस सवाल का जवाब देते हुए डॉक्टर रोहित ने कहा कि सिर अथवा खोपड़ी विभिन्न हड्डियों से बनी होती है और मस्तिष्क खोपड़ी के भीतर होता है। गोली सबसे बाहरी परत और खोपड़ी के निचले सिरे, जो की बहुत मोटी और बड़ी टेम्पोरल हड्डी में लगी थी। युवक को गोली आंशिक रूप से कान के मार्ग में लगी थी। बाहरी हवा के संपर्क में आने के कारण युवक को कान बहने, दर्द और बार-बार कान में संक्रमण हो रहा था।

Web Title: Bullet remained stuck in man's skull for 18 years, Bengaluru doctors operated and saved his life, know the whole story

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