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बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के बिजली बिल को लेकर किया ट्वीट, यूजर्स ने किया ट्रॉल

By पल्लवी कुमारी | Updated: December 17, 2019 17:19 IST

बीजेपी के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने शुक्रवार( 13 दिसंबर) को भड़की हिंसा के मद्देनजर शनिवार (14 दिसंबर) को जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की कुलपति नजमा अख्तर को पत्र लिखा था।

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ठळक मुद्देदिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के पास हुई हिंसा में कथित तौर पर शामिल आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 10 लोगों को पुलिस ने 16 दिसंबर को गिरफ्तार किया।नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन चल रहा है।

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने नागरिकता कानून पर मचे बवाल के बीच एक ऐसा ट्वीट किया, जो चर्चा में आ गया।  राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल पर ट्वीट कर लिखा, जामिया मिल्लिया (जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय) का बिजली बिल एक साल 2018-19 का मात्र 19 करोड़ है!। इस ट्वीट पर राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ट्रॉल हो गए हैं। कुछ लोग इस तरह की राजनीति नहीं करने की सलाह दे रहे हैं तो वहीं कुछ लोग कह रहे हैं कि लाखों विश्वविद्यालय हैं जहां बेसिक सुवीधाऐं भी नहीं है, सिर्फ संसाधनों की कमी से। क्यों न सबको बराबर सुवीधाएं दी जाएं?,तो कुछ लोग कह रहे हैं कि बिजली का बिल सांसदों को अपनी जेब से नहीं देना होता तो आपको इतनी तकलीफ क्यों हो रही है?

विश्वविद्यालय में रविवार (15 दिसंबर) को उस वक्त जंग के मैदान में तब्दील हो गया था जब पुलिस परिसर में घुस आई थी और वहां बल प्रयोग किया था। दरअसल, संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा और आगजनी हुई थी जिसमें चार डीटीसी बसों, 100 निजी वाहनों और 10 पुलिस वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया जिसके बाद पुलिस ने यह कार्रवाई की। 

देखें लोगों की प्रतिक्रिया 

वहीं कुछ यूजर ने चुनाव प्रचार में बीजेपी द्वारा किए गए खर्च पर भी तंज किया है। 

राकेश सिन्हा ने जामिया हिंसा के लिए कुलपति को लिखा था पत्र

बीजेपी के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने शुक्रवार( 13 दिसंबर) को भड़की हिंसा के मद्देनजर शनिवार (14 दिसंबर) को जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की कुलपति नजमा अख्तर को पत्र लिखा था। सिन्हा ने पत्र लिखकर लीग मानसिकता के साथ सांप्रदायिक तत्वों द्वारा की गई हिंसा की जांच के लिए एक समिति बनाने का आग्रह किया था। 

उन्होंने अपने पत्र में लिखा था, 13 दिसंबर को हुई हिंसा किसी भी केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए एक दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक घटना है। विरोध प्रदर्शन लोकतंत्र का एक हिस्सा है, लेकिन यह तब अस्वीकार्य है, जब इसे फासीवादी तरीके से किया जाता है।"

टॅग्स :नागरिकता संशोधन कानून 2019जामिया मिल्लिया इस्लामियाभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
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