लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय ने बुधवार (25 दिसंबर) को एनपीआर और एनआरसी पर हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार इस मसले पर झूठ बोल रही है। अरुंधति रॉय ने दिल्ली विश्वविद्यालय में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध सभा को संबोधित करते हुए कहा कि एनपीआर भी एनआरसी का ही भाग है। एनपीआर के लिए जब सरकारी कर्मचारी जानकारी मांगने आपके घर आएं तो उन्हें अपना नाम रंगा बिल्ला बताइए। या अपने मन से कोई भी पांच नाम चुन लीजिए...जो आपको सही लगता हो। अपने घर का पता देने के बजाए प्रधानमंत्री के घर का पता लिखवाएं।' अरुंधति रॉय अपने इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल हो रही हैं। ट्विटर पर हैशटैग #RangaBilla और #ArundhatiRoy ट्रेंड कर रहा है।
यहां देखें अरुंधति रॉय का रंगा-बिल्ला वाला भाषण
कई यूजर लिख रहे हैं कि अरुंधति रॉय एक रेपिस्ट का उदाहरण देकर देश के छात्रों को संबोधित कर रही हैं। रंगा-बिल्ला जो की एक रेपिस्ट और हत्यारे थे...उनके बारे में देश के छात्रों को बता रही हैं और कह रही हैं कि वह अपना रंगा-बिल्ला रख लें। ये बहुत ही शर्मनाक है।
टीवी पत्रकार और एंकर रोहित सरदाना ने लिखा है, ''जानी-मानी लेखिका अरुंधति राय का कहना है कि जब एनपीआर के लिए उनसे जानकारी मांगी जाए, तो वो अपना नाम रंगा-बिल्ला बताएं और पता बता दें रेसकोर्स रोड। धन्य हैं इस देश के 'बुद्धिजीवी''!
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रेप और हत्या के आरोप में दोनों आरोपी रंगा-बिल्ला को फांसी दी गई थी, जानें गीता चोपड़ा और संजय चोपड़ा रेप मर्डर केस के बारे में
रंगा-बिल्ला को 16 साल की गीता चोपड़ा और उनके 14 साल के भाई संजय चोपड़ा की हत्या और गीता के रेप के मामले में फांसी दी गई थी। 1978 में रंगा-बिल्ला ने 16 साल की गीता चोपड़ा और उनके 14 साल के भाई संजय चोपड़ा को किडनैप किया था। पहले उन्होंने सोचा था कि किडनैप कर घरवालों से फिरौती वसूल करेंगे। लेकिन फिर गीता का रेप कर उसके भाई के साथ दोनों की तलवार से काटकर हत्या कर दी थी। दोनों बच्चों को जब किडनैप किया गया था तो वो लोग आकाशवाणी में शो करने जा रहे थे।
रंगा-बिल्ला को 31 जनवरी 1982 को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी। दो किशोर बच्चों की हत्या और लड़की गीता चोपड़ा के साथ रेप ने पूरे भारत को हिला कर रख दिया था।