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Mars Perseverance Rover: भारतीय मूल की बेटी की बदौलत NASA ने रचा इतिहास, मंगल की सतह पर उतारा रोवर

By प्रतीक्षा कुकरेती | Published: February 19, 2021 01:23 PM2021-02-19T13:23:50+5:302021-02-19T13:24:11+5:30

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा(NASA)का Perseverance रोवर(Perseverance Rover) शुक्रवार को मंगल(Mars) ग्रह की सतह पर उतरा.  भारतीय समय के अनुसार शुक्रवार देर रात करीब 2 बजकर 25 मिनट पर नासा के रोवर ने मंगल ग्रह पर लैंड किया. 7 महीने पहले इस खास रोवर ने धरती से टेकऑफ किया था. नासा ने इसके बाद लाल ग्रह से रोवर की पहली तस्वीरें भी जारी की हैं. NASA ने पर्सिवरेंस रोवर को जेजेरो क्रेटर में सफलतापूर्वक लैंड कराया. इसी के साथ अमेरिका मंगल ग्रह पर सबसे ज्यादा रोवर भेजने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है. इस रोवर को मंगल ग्रह पर भेजने का मकसद है प्राचीन जीवन का पता लगाना. मिट्टी और पत्थरों का सैंपल लेकर धरती पर वापस आना.

 

NASA ने अपने ट्विटर हैंडल पर मंगल ग्रह पर पहुंचे रोवर की तस्वीर जारी की। इसके साथ उसने बेहद सुंदर-सा कैप्शन भी दिया, जिसमें Perseverance की ओर से लिखा गया है- 'हेलो दुनिया, मेरे अपने घर से मेरा पहला लुक।' 

 

जेजेरो क्रेटर (Jezero Crater) मंगल ग्रह का अत्यंत दुर्गम इलाका है. जेजेरो क्रेटर में गहरी घाटियां, तीखे पहाड़, नुकीले क्लिफ, रेत के टीले और पत्थरों का समुद्र है. ऐसे में पर्सिवरेंस मार्स रोवर (Perseverance Mars Rover) की लैंडिंग की सफलता पर पूरे समय दुनिया भर के साइंटिस्ट्स की निगाहें टिकी हुई थीं. नासा ने पहले ही कहा था कि ये अब तक की सबसे सटीक लैंडिंग होगी. ऐसा माना जाता है कि जेजेरो क्रेटर (Jezero Crater) में पहले नदी बहती थी. जो कि एक झील में जाकर मिलती थी. इसके बाद वहां पर पंखे के आकार का डेल्टा बन गया. हो सकता है कि वहां पर जीवन के संकेत मिलें. 

 

इसकी लैंडिंग के साथ ही नासा के वैज्ञानिकों व कर्मचारियों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई। उनमें से, विशेष रूप से एक भारतीय मूल की वैज्ञानिक डॉ. स्वाति मोहन के लिए अधिक उत्साह का क्षण था। वैज्ञानिक डॉ. स्वाति मोहन नासा के इस टीम की हिस्सा थी, जिसकी मदद से नासा को इतिहास रचने में कामयाबी मिली है।

 

कौन है भारतीयमूल की वैज्ञानिक स्वाति मोहन?
डॉक्टर स्वाति मोहन एक भारतीय अमेरिकी वैज्ञानिक हैं, जो प्रमुख सिस्टम इंजीनियर होने के अलावा गाइडेंस, नेविगेशन व कंट्रोल के लिए मिशन कंट्रोल स्टाफिंग को शेड्यूल करने का काम करती हैं। स्वाति सिर्फ एक साल की थीं जब वह अपने परिवार के साथ अमेरिका गई थीं। कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल एवं एयरोस्पेस में इंजीनियरिंग से स्नातक की डिग्री हासिल की। एस्ट्रोनॉटिक्स में एमआईटी से एमएस व पीएचडी पूरी की। भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक ने इससे पहले कैसिनी (शनि के लिए एक मिशन) और ग्रेल (GRAIL) (चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उड़ाए जाने की एक जोड़ी) परियोजनाओं पर भी काम किया है।

 

पर्सिवरेंस मार्स रोवर 1000 किलोग्राम वजनी है. जबकि, इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर (Ingenuity helicopter) 2 किलोग्राम वजन का है. मार्स रोवर परमाणु ऊर्जा से चलेगा. यानी पहली बार किसी रोवर में प्लूटोनियम को ईंधन के तौर पर उपयोग किया जा रहा है. यह रोवर मंगल ग्रह पर 10 साल तक काम करेगा. इसमें 7 फीट का रोबोटिक आर्म, 23 कैमरे और एक ड्रिल मशीन है. ये मंगल ग्रह की तस्वीरें, वीडियो और नमूने लेंगे.

पर्सिवरेंस मार्स रोवर और इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर मंगल ग्रह पर कार्बन डाईऑक्साइड से ऑक्सीजन बनाने का काम करेंगे. मौसम का अध्ययन करेंगे. ताकि भविष्य में मंगल ग्रह पर जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स को आसानी हो. रोवर में लगा मार्स एनवायरनमेंटल डायनेमिक्स एनालाइजर यह बताएगा कि मंगल ग्रह पर इंसानों के रहने लायक स्थिति है या नहीं. इसमें तापमान, धूल, Standard atmosphere, धूल और रेडिएशन आदि का अध्ययन किया जाएगा.


‘नासा’ द्वारा भेजा गया छह पहिए वाला यह उपकरण मंगल ग्रह पर उतरकर जानकारी जुटाएगा और ऐसी चट्टानें लेकर आएगा जिनसे इन सवालों का जवाब मिल सकता है कि क्या कभी लाल ग्रह पर जीवन था। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर कभी मंगल ग्रह पर जीवन रहा भी था तो वह तीन से चार अरब साल पहले रहा होगा, जब ग्रह पर पानी बहता था। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि रोवर से दर्शनशास्त्र, धर्मशास्त्र और अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े एक मुख्य सवाल का जवाब मिल सकता है।

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