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Amroha: परिवार के 7 लोगों को कुल्‍हाड़ी से काटने वाली Shabnam के बेटे ने कहा-मां को मत दीजिए फांसी!

By प्रतीक्षा कुकरेती | Published: February 18, 2021 01:11 PM2021-02-18T13:11:19+5:302021-02-18T13:11:38+5:30

आजाद भारत में पहली बार किसी महिला अपराधी को फांसी (Death Penalty) होने जा रही है. मथुरा (Mathura) स्थित उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के इकलौते महिला फांसीघर में अमरोहा (Amroha) की शबनम को फांसी पर लटकाया जाना है. प्यार में अंधी शबनम ने अप्रैल 2008 में प्रेमी के साथ मिलकर अपने सात परिजनों की कुल्हाड़ी से काटकर बेरहमी से हत्या कर दी थी.अमरोहा बावनखेड़ी कांड की दोषी शबनम की फांसी की चर्चाओं के बीच अब उसके बेटे ताज ने राष्‍ट्रपति से मां शबनम को माफ करने की गुहार लगााई है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शबनम और सलीम के बेटे ताज ने एक हिंदी अख़बार से बातचीत के दौरान बताया  कि उसने, राष्ट्रपति से अपनी मां को माफ करने की मांग की है. 
 

प्रेमी के साथ मिलकर अपने ही परिवार के सात सदस्यों का कत्ल करने वाली शबनम की हैवानियत के बावजूद बुलंदशहर के एक दंपती ने इसानियत दिखाते हुए उस मासूम को अपनाया, जिसे कोई गोद लेना तो दूर देखना भी नहीं चाहता था.  


13 दिसंबर 2008 को शबनम ने मुरादाबाद की जेल में एक बेटे को जन्म दिया था।जेल में पैदा हुए शबनम के इस बेटे ताज को बुलंदशहर के उस्मान सैफी और उनकी पत्नी ने अपनाया. ताज की परवरिश यह दंपती ही करता है.  शबनम का बेटा अब 12 साल का हो चुका  और वो क्लास 6 th में पड़ता है. बच्चा दंपती को छोटी मम्मी-पापा कहता है.

 

ताज इस बात को याद करते हुए रो पड़ता है  कि कैसे अपनी मां से मिलने के लिए वह रामपुर जेल जाता था. ताज का कहना है कि उसकी मां उससे बेहद प्यार करती हैं. वह उसको गले लगाती हैं और आंचल में छिपा लेती है. उसे पैसे भी देती हैं. ताज ने यह भी कहा कि उसने भारत के पीएम और राष्ट्रपति से अपनी मां के गुनाहों की सजा को माफ करने की अपील की है, ताकि उसके सिर से मां का साया न उठ पाए.

 

हाल ही में शबनम ने जब अपने बेटे ताज से मुलाकात की थी तब उसे समझाया था कि मन से पढ़ाई करना. जब दिल लगा कर पढ़ाई करोगे, तभी आगे बढ़ोगे. वही ताज की परवरिश करने वाले दंपती कहते हैं कि तारीख तय होने पर वह बच्चे को उसकी मां से अंतिम बार मिलवाने जरूर ले जाएंगे. 
शबनम का बेटा 6 साल 7 माह और 21 दिन मां के साथ जेल में रहा था। बाल कल्याण समिति ने बच्चे की अच्छी परवरिश को लेकर 30 जुलाई 2015 को उसे बुलंदशहर के इस दंपती को सौंप दिया था। तब से बच्चा परिवार का हिस्सा है.

 

वही उस्मान बताते हैं कि ताज बुलंदशहर के प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ाई कर रहा है और वह जहां तक पढ़ना चाहे, उसकी पढ़ाई और परवरिश की सारी व्यवस्था है. वह यह भी कहते हैं कि ताज की मां के पास काफी प्रॉपर्टी है. वह शबनम से कह चुके हैं कि वह इस प्रॉपर्टी को स्कूल, कॉलेज, अस्पताल जैसे किसी अच्छे काम के लिए दान कर दें.

बता दें, 15 अप्रैल 2008 को अमरोहा के गांव बामन खेड़ी की रहने वाली शबनम ने अपने प्रेमी सलीम की मदद से प्रेम सम्बन्धों में बाधा बने अपने माता पिता, दो भाई, भाभी, मौसी की लड़की और भतीजे को कुल्हाड़ी से काटकर मौत के घाट उतार दिया था. निचली अदालत से सुप्रीम कोर्ट तक शबनम के इस अपराध पर उसे फांसी की सजा सुनाई गई. राष्ट्रपति ने भी शबनम की सजा को बरकरार रखा और दया याचिका खारिज कर दी. इसी के साथ अब शबनम को फांसी देने की तैयारी शुरू कर दी गई है. मथुरा जिला कारागार स्थित फांसी घर में शबनम को फांसी दी जाएगी. यह आजाद भारत में किसी महिला को पहली फांसी होगी. जेल प्रशासन ने रस्सी बनाने का ऑर्डर और शबनम के वजन के बराबर पत्थर को लटकाने की रिहर्सल शुरू कर दी है. यहां तक कि मेरठ का जल्लाद पवन कई बार मथुरा जिला जेल में फांसी की तैयारी का जायज़ा ले चुका है. हालांकि, अभी जेल प्रशासन को शबनम के डेथ वॉरंट का इंतजार है.

 

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