Kanpur Lok Sabha Elections 2024: कानपुर से इस बार रोचक मुकाबला देखने को मिल रहा है, क्यों सपा-कांग्रेस गठबंधन की ओर से आलोक मिश्रा को अपना उम्मीदवार बनाया है। दूसरी तरफ भाजपा ने मौजूदा सांसद सत्यदेव पचौरी का टिकट काटकर रमेश अवस्थी को टिकट दिया है। कानपुर लोकसभा सीट ब्राह्मण बहुल है और ऐसे में दोनों मुख्य प्रतिद्वंदी पार्टियों ने ब्राह्मण उम्मीदवारों पर अपना दांव लगाया है। ऐसे में मुकाबला काफी अहम हो गया और दो दशकों से यहां की सीट भाजपा के खाते में जाती रही है। संभवत: इसलिए पार्टी नेताओं का मानना है कि इस बार भी भाजपा ये चुनाव जीतेगी।
लेकिन, इस बार कांग्रेस गठबंधन ने एक बार फिर गलती कर दी है, ऐसा पार्टी के कार्यकर्ताओं और प्रदेश के पदाधिकारियों का कहना है। सपा हो या कांग्रेस दोनों के दफ्तरों में टिकट के ऐलान के बाद माना जा रहा था कि समाजवादी पार्टी अपने विधायक अमिताभ बाजपेई को कांग्रेस में शामिल कराकर, उससे टिकट दे सकती है। लेकिन, आलोक मिश्रा के खाते में टिकट जाने से मुकाबला ज्यादा कड़ा नहीं रहा, बल्कि यह एकतरफा हो गया है।
लेकिन, गौरतलब है कि कानपुर नगर की 5 विधानसभा सीटों में से 3 पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है और 2 पर भाजपा ने अपना परचम लहराया हुआ है। इसलिए अभी भी सूत्र बता रहे हैं कि सपा-कांग्रेस गठबंधन अपने उम्मीदवार पर विचार कर रही है और हो सकता है कि अमिताभ बाजपेई को टिकट दे दी जाए।
कानपुर कैंट से मोहम्मद हसन रूमी, सीसामऊ से इरफान सोलंकी जो अभी जेल में है, आर्यनगर से अमिताभ बाजपेई, गोविंद नगर से सुरेंद्र मैथानी (भाजपा) और किदवई नगर से महेश त्रिवेदी (भाजपा) से हैं। सीसामऊ विधायक के जेल में रहने से भाजपा को इस लोकसभा चुनाव में फायदा हो सकता है, क्योंकि इरफान की छवि शहर में काफी खराब है। इसलिए शहरवासियों का मन तो बदल सकता है और साथ ही मुस्लिम बहुल सीटों से वोट ट्रांसफर होने की पूरी उम्मीद है।
कानपुर में 1998, 2004 और 2009 में कांग्रेस नेता श्रीप्रकाश जायसवाल सांसद रह चुके हैं। इस दौरान भाजपा का वर्चस्व भी टूटा था और मैदान में अकेले कांग्रेस थी। यही नहीं इस दौरान कानपुर ग्रामीण में भी कांग्रेस ने सीट जीती थी। लेकिन, साल 2014 में नरेंद्र मोदी के चेहरे पर हुए चुनाव में भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक मुरली मनोहर जोशी यहां से जीते, लेकिन लगातार दिल्ली में बने रहने के कारण शहरवासियों में उनके खिलाफ नाराजगी उत्पन्न हो गई। तब पार्टी ने साल 2019 में हुए चुनाव में सत्यदेव पचौरी को मौका दिया और वो चुनाव जीते।
इस बार के लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने प्रत्याशी तो उतार दिया है, लेकिन बाहरी होने की बात सामने आई और कार्यकर्ताओं के बीच जान-पहचान न होने से पार्टी के कुछ वोटों पर विपक्षी सेंध लगा सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक राजनीतिक पंडितों का मानना था कि सपा को विधायक अमिताभ बाजपेई को मौका देना चाहिए था, क्योंकि वो बड़ा चेहरा और फायर ब्रांड नेता हैं।
कानपुर की जनसंख्या2024 में कानपुर की वर्तमान मेट्रो क्षेत्र की जनसंख्या कुल 3,286,000 है, जो 2023 से 1.61 फीसद की वृद्धि दर्ज हुई। 2023 में कानपुर की मेट्रो क्षेत्र की जनसंख्या 3,234,000 थी, जो 2022 से 1.38 फीसदी की तुलना में बढ़ी थी। साल 2021 की तुलना में 2022 में कानपुर की जनसंख्या 1.17 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई थी। 2011 के आंकड़ों के मुताबिक, कानपुर में हिंदू 78.03 फीसदी हैं, इस्लाम को मानने वाला 19.85 फीसद, सिख 1 फीसद और ईसाई समुदाय के 0.47 प्रतिशत हैं। इन सभी में से ब्राह्मणों समुदाय की संख्या सबसे ज्यादा है।