यूपी में बुजुर्ग माता-पिता को सताया तो संपत्ति से होंगे बेदखल, केंद्र सरकार की नियमावली में राज्य सरकार करेगी संशोधन

By राजेंद्र कुमार | Published: August 27, 2023 07:22 PM2023-08-27T19:22:01+5:302023-08-27T19:23:00+5:30

मनमोहन सिंह सरकार के उक्त अधिनियम की नियमावली में सूबे के विधि आयोग ने तीन संशोधन करने की सिफारिश वर्ष 2020 में की थी।

If elderly parents are harassed in UP, they will be evicted from the property, the state government will amend the rules of the central government | यूपी में बुजुर्ग माता-पिता को सताया तो संपत्ति से होंगे बेदखल, केंद्र सरकार की नियमावली में राज्य सरकार करेगी संशोधन

फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो

लखनऊ:उत्तर प्रदेश में सख्त कानून लाने के लिए विख्यात योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बुजुर्ग नागरिकों को पारिवारिक उत्पीड़न से बचाने पर ध्यान केंद्रित किया है। जिसके चलते अब उत्तर प्रदेश में बूढ़े माता-पिता या वरिष्ठ नागरिकों को सताने या उन पर अत्याचार करने वाले वारिस को संपत्ति से बेदखल किए जाएगा।

इसके लिए सूबे की योगी सरकार माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण तथा कल्याण नियमावली-2014 में संशोधन करेगी। इस संबंध में तैयार किए गए प्रस्ताव को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कैबिनेट के समक्ष रखने से पहले समाज कल्याण विभाग को महाधिवक्ता से सलाह लेने के निर्देश दिए है।

इसके बाद बुजुर्ग माता-पिता को सताने वाले वारिसों को संपत्ति से बेदखल करने संबंधी प्रस्ताव को कैबिनेट में चर्चा करने के बाद मंजूरी दी जाएगी।

समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यूपी में केंद्र सरकार का माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 लागू है। इसे प्रदेश में वर्ष 2012 से लागू कर इस अधिनियम के लिए वर्ष 2014 में नियमावली जारी की गई थी। मनमोहन सिंह सरकार के उक्त अधिनियम की नियमावली में सूबे के विधि आयोग ने तीन संशोधन करने की सिफारिश वर्ष 2020 में की थी।

आयोग का कहना है कि यह नियमावली, केंद्रीय अधिनियम के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए पर्याप्त सक्षम साबित नहीं हो रही है। अभी नियमावली के तहत बुजुर्गों का ध्यान न रखने पर प्रति माह अधिकतम 10 हजार रुपये भरण-पोषण भत्ता देने या एक माह की सजा का प्रावधान है।

आयोग ने पाया है कि इस अधिनियम के बाद भी बुजुर्गों के साथ उनके वारिसों का व्यवहार अधिकतर मामलों में ठीक नहीं रहा है। इस आधार पर सप्तम विधि आयोग ने नियमावली के नियम-22 में तीन उप धाराएं जोड़ने की सिफारिश की है। इसमें वरिष्ठ नागरिकों का ध्यान न रखने पर बच्चों या नातेदारों को उस संपत्ति से बेदखल करने के प्रावधान की बात की गई है।

इस प्रावधान की वजह से वरिष्ठ नागरिकों का कानूनी अधिकार होगा और वह सताने या अत्याचार करने वाले अपने वारिस को संपत्ति से बेदखल कर सकेगा।

उक्त संशोधन को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद सूबे में कोई भी बुजुर्ग सताने वाले अपने वारिस को संपत्ति से बेदखल करने के लिए अधिकरण के समक्ष आवेदन दाखिल कर सकेगा।

अधिकरण में सुनवाई के बाद बुजुर्ग माता-पिता को सताने वाले वारिस को संपत्ति से बेदखल करने की कार्रवाई का जाएगी। यह कार्य कैसे होगा? इस बारे में भी विधि आयोग के प्रस्ताव में विस्तार से बताया गया है।

विधि आयोग द्वारा बताया गया प्रस्तावित संशोधन : 

- वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं की सुनवाई के लिए हर तहसील में एसडीएम की अध्यक्षता में अधिकरण और जिले में डीएम की अध्यक्षता में अपील अधिकरण है। वरिष्ठ नागरिक अपनी संपत्ति से संतानों एवं रिश्तेदारों की बेदखली के लिए इस अधिकरण को आवेदन देंगे। अगर वरिष्ठ नागरिक स्वयं आवेदन करने में असमर्थ हैं तो कोई संस्था भी उनकी ओर से ऐसा आवेदन दाखिल कर सकती है। अधिकरण को यह अधिकार होगा कि वे बेदखली का आदेश जारी कर सकें।  

- तथ्यों से संतुष्ट होने पर अधिकरण बेदखली का आदेश कर सकता है।  संबंधित पक्ष को तीन दिन के भीतर वरिष्ठ नागरिक की संपत्ति से बेदखली के आदेश का पालन करना होगा। 

- कोई व्यक्ति आदेश जारी होने से 30 दिनों के अंदर वरिष्ठ नागरिक की संपत्ति से बेदखली आदेश को नहीं मानता है तो अधिकरण उस संपत्ति पर पुलिस की मदद से कब्जा कर सकता है।  संबंधित पुलिस भी बेदखली आदेश का पालन कराने के लिए बाध्य होगी।  अधिकरण ऐसी संपत्ति बुजुर्ग को सौंप देगा।  जिला मजिस्ट्रेट अगले माह की सात तारीख तक ऐसे मामलों की मासिक रिपोर्ट सरकार को भेजेंगे। 

- अधिकरण के आदेश के खिलाफ वरिष्ठ नागरिक जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित अपीलीय अधिकरण में 60 दिन के भीतर अपील भी कर सकता है।  

Web Title: If elderly parents are harassed in UP, they will be evicted from the property, the state government will amend the rules of the central government

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