ये है भारत का आखिरी गांव, रोमांच के साथ यहां मिलेगी सर्द हवाएं

By मेघना वर्मा | Updated: June 16, 2018 15:46 IST2018-06-16T15:46:41+5:302018-06-16T15:46:41+5:30

समुद्रतल से 3450 मीटर की ऊंचाई पर बसा ये गांव भारत के आखिरी गांव में कहा गिना जाता है।

the last village of India Chitkul village before India-Tibet border | ये है भारत का आखिरी गांव, रोमांच के साथ यहां मिलेगी सर्द हवाएं

ये है भारत का आखिरी गांव, रोमांच के साथ यहां मिलेगी सर्द हवाएं

आपने आज तक रील और रियल दोनों ही लाइफों में गांव तो देखा होगा। लहलहाते खेत, पीले सरसों के खेत, आम की बगिया और भी बहुत कुछ लेकिन क्या कभी सोचा है कि भारत का आखिरी गांव कौन सा होगा। जी हां आज हम आपको जिस गांव के बारे में बताने जा रहे हैं उसे भारत का आखिरी गांव कहा जाता है। यहां ना सिर्फ बर्फ से लदी पर्वत की चोटियां हैं बल्कि हरे-भरे घास के मैदान भी हैं। अगर आप भी इन गर्मियों में किसा ऐसी जगह पर घूमने की सोच रहे हैं जहां आप रोमांच के साथ ठंड और प्रकृति का मजा ले सकें तो आप भारत के आखिरी गांव की सैर कर सकते हैं। आप भी जाने कहां है भारत का ये आखिरी गांव।

तिब्बत की सीमा पर बसा है भारत का आखिरी गांव

भारत-तिब्बत सीमा पर बसा छितकुल गांव ऐसा गांव हैं जहां आपको प्रकृति के खूबसूरत नजारे देखने को मिलते हैं। नदियों की अविरल धारा में सूरज का प्रतिबिंब चमकते मोतियों जैसा लगता है। समुद्रतल से 3450 मीटर की ऊंचाई पर बसा ये गांव भारत के आखिरी गांव में कहा गिना जाता है। आप हिमाचल के रास्ते किन्नोर जिले में स्थित बास्पा घाटी  की ओर से यहां का सफर कर सकते हैं। बास्पा नदी के दाहिने तट पर स्थित इस गांव में स्थानीय देवी माथी के तीन मंदिर बने हुए हैं। इस गांव को किन्नौर जिले का क्राउन भी कहा जाता है। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से करीब 250 किलोमीटर की दूरी पर बसा यह गांव प्रकृति की अद्भुत सुंदरता को खुद में समेटे है।

ये भी पढ़ें- देश के इस रेलवे स्टेशन पर जाने के लिए लगता है वीजा

खतरनाक हैं सड़कें, मिलेगा रोमांच

नारकंडा से रामपुर, सराहन, वांगटु, करच्छमा, सांगला से होते हुए आप खतरनाक पहाड़ी रास्तों से होते हुए यहां पहुंचेगें। यहां ड्राइविंग करना किसा चैलेंज से कम नहीं। इसके रास्ते पर जाते हुए आपको हरे मैदान और ऊंची पहाड़ियों पर बर्फ की चादर देखने को मिलेगी। पहाड़ों से निकलती हुई आपको छोटी-छोटी जलधाराएं भी दिखाई देंगी जो बास्पा नदी में मिल जाती हैं। 

ट्रैकर्स के लिए है खास जगह

जो लोग एडवेंचर यानी ट्रैकिंग के शौकीन हैं, वे रक्छम से छितकुल के बीच 10 किलोमीटर की लंबी ट्रैकिंग कर सकते हैं। जो लोग इससे भी ज्यादा ट्रैकिंग करने का साहस रखते हैं, वे रक्छम से 12 किलोमीटर का ट्रैक कर रक्छम कांडा तक जा सकते हैं। यहां नदियों के उद्गम स्थल भी दिखाई देंगे। आप भी अपने दोस्तों के साथ इस जगह को अपना नेक्स डेस्टिनेशन बना सकते हैं। 

ये भी पढ़ें- हनीमून पर जा रहे हों तो याद रखें ये 7 चीजें, प्यार होगा और मजबूत

देखने लायक हैं दर्शनीय स्थल

सांगला वैली के कामरू गांव में करीब 2600 मीटर की ऊंचाई पर कामरू फोर्ट 15वीं शताब्दी में बना था। इसी के प्रांगण में कामाख्या देवी का मंदिर है। लकड़ी का बना यह फोर्ट लकड़ी पर की गई अद्भुत नक्काशी के लिए विख्यात है। यहां पहुंचने के लिए लगभग 500 मीटर पैदल चलना पड़ता है। यहीं से किन्नर कैलाश को भी देखा जा सकता है। यहां से आप रिकांगपियो, पूह विलेज, नाको, काजा होते हुए स्पीति वैली जा सकते हैं।

Web Title: the last village of India Chitkul village before India-Tibet border

मुसाफ़िर से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे