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इस मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को पहननी पड़ती है साड़ी, जानें क्या है कारण

By धीरज पाल | Updated: January 24, 2018 18:18 IST

केरल में स्थित एक ऐसा मंदिर है जो अपनी अनोखी परंपरा के लिए जाना जाता है, यहां पुरुष बिना साड़ी पहने प्रवेश नहीं कर सकते हैं।

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भारत में ऐसे कई देवी-देवताओं के मंदिर स्थित हैं जो अपनी प्राचीनतम परंपराओं के लिए जाने जाते हैं। किसी मंदिर के देवता शराब पीते हैं, तो किसी मंदिर में चूहों को दूध का भोग लगाकर इसके बाद भक्तों में उस दूध को बांटा जाता है। कुछ मंदिरों की परंपरा ऐसी भी है जहां महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति तक नहीं है। इसी क्रम में आज हम एक और अद्भुत मंदिर की कहानी लेकर आए हैं, ये एक ऐसा मदिर है जहां पुरुषों को कपड़े बदलकर अन्दर जाना पड़ता है।

जी हां... दक्षिण भारत के केरल में स्थित है एक ऐसा मंदिर जो अपनी अनोखी परंपरा के लिए जाना जाता है। देशभर में कोत्तानकुलांगरा देवी मंदिर नाम से मशहूर इस मंदिर में पुरूषों को जाने की अनुमति नहीं है। लेकिन अगर उन्हें अन्दर जाना है तो एक अनोखी परंपरा को निभाना होगा, जो यहां सदियों से चली आ रही है। 

मंदिर में प्रवेश के लिए पुरूषों को करना पड़ता है ये काम 

केरल के कोल्लम जिले में स्थित इस मंदिर में पुरूषों पर रोक लगी हुई है। दरअसल, इस मंदिर की प्रथा रही है कि इसमें केवल महिलाएं ही जा सकती हैं। अगर पुरुष जाते हैं तो उन्हें महिलाओं के वस्त्र धारण करने पड़ते हैं। इतना ही नहीं महिलाओं की तरह साजो श्रृंगार भी करना पड़ता है। अगर पुरुष ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाता है। 

क्या है इसके पीछे की किंवदंती 

इस मंदिर में पुरुष के प्रवेश ना करने के पीछे एक प्रचलित किंवदंती है। माना जाता है कि कुछ चरवाहों ने जब यहां स्थित माता की मूर्ति को पहली बार देखा था तो उन्होंने महिलाओं के कपड़े पहनकर पत्थर पर फूल चढ़ाए थे, जिसके बाद उस पत्थर से दिव्य शक्ति निकलने लगी। इसके बाद इस मंदिर का निर्माण किया गया। एक मान्यता यह भी है कि कुछ लोग पत्थर पर नारियल फोड़ रहे थे और इसी दौरान पत्थर से खून निकलने लग गया। जिसके बाद से यहां की पूजा होने लगी।

बताया जाता है कि इस मंदिर में देवी की मूर्ति खुद-ब-खुद प्रकट हुई थी। दुनिया में अपनी अनोखी मान्यता के लिए मशहूर इस मंदिर के ऊपर न तो कोई छत है और न ही कोई कलश। इस राज्य का यह ऐसा एकमात्र मंदिर है जिसके गर्भगृह के ऊपर छत या कलश नहीं है।

पुरुषों के तैयार होने के लिए बनाए गए हैं मेकअप रूम

इस मंदिर में प्रत्येक साल श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है। पोंगल पर यहां भव्य आयोजन किया जाता है। इस पर्व के दौरान पुरुष श्रद्धालु आते हैं। उनके तैयार होने के लिए मंदिर में अलग से मेकअप रूम बनाया गया है। इसमें पुरुष न सिर्फ साड़ी पहनते हैं, साथ ही बाकायदा लिपस्टिक और बालों में गजरा भी लगाते हैं। पूरी तरह से श्रृंगार करने के बाद ही उन्हें मंदिर में प्रवेश की इजाजत दी जाती है। मंदिर में आपको ट्रांसजेंडर भी दिखाई देते हैं जो पूजा अर्चना के लिए यहां आते हैं। 

टॅग्स :रहस्यमयी मंदिरहिंदू धर्मकेरलपूजा पाठ
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