इंडोनेशिया के इस विशाल मंदिर में बसे हैं 'त्रिदेव'

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: December 14, 2017 02:58 PM2017-12-14T14:58:33+5:302017-12-15T12:15:15+5:30

'त्रिदेव' यानी  ब्रह्मा, विष्णु और महेश जिन्हें हिंदु धर्म में सर्वोत्तम देवों में पूजा जाता है। 

'Tridev' in temple of Indonesia | इंडोनेशिया के इस विशाल मंदिर में बसे हैं 'त्रिदेव'

इंडोनेशिया के इस विशाल मंदिर में बसे हैं 'त्रिदेव'

भारत में देवताओं के अनेक मंदिर स्थापित हैं यहां लोग अपने सुख-समृद्धि की चाहत और शांति के लिए आते हैं। क्या आपको मालूम है कि इन देवताओं का एक ऐसा भव्य मंदिर जो इंडोनेशिया में स्थित है। इस मंदिर में भगवान शिव, विष्णु और महेश के साथ मां दुर्गा की पूजा की जाती है।  10 वीं शताब्दी में बना भगवान शिव का यह प्राचीन मंदिर प्रम्बानन मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर इंडोनेशिया के जावा शहर से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर का नजारा बेहद की खूबसूरत है। यह इंडोनेशिया के पर्यटक स्थलों में से एक है। यहां न केवल भारतीय आते हैं बल्कि इंडोनेशियन की भारी संख्या देखी जा सकती है। यह इंडोनेशिया का सबसे विशाल मंदिर है।

इस मंदिर में भगवान शिव, विष्णु और महेश के साथ मां दुर्गा की पूजा की जाती है। हालांकि यहां स्थापित मूर्ति मां दुर्गा की नहीं बल्कि रोरो जोंग्गरंग की है जो वहां के दैत्य राजा की बेटी थी।

 

कौन थी रोरो जोंग्गरंग   


किंवदंती के मुताबिक एक जमाने में इंडोनेशिया के जावा का प्रबु बका नाम का एक दैत्य राजा था। उस दैत्य राजा कि एक बेटी थी जो बेहद सुंदर थी, जिसका नाम रोरो जोंग्गरंग था। बांडुंग बोंदोबोस नाम का एक व्यक्ति रोरो रोंग्गरंग की खूबसूरती पर फिदा हो गया। बांडुंग को रोरो की खूबसूरती इतनी भायी की उसने रोरो के सामने शादी करने का प्रस्ताव रख दिया। लेकिन रोरो जोंग्गरंग का बांडुंग से शादी करने का कतई मन नहीं था।
 
रोरो ने शादी से बचने के लिए बांडुंग के सामने एक शर्त रखी। शर्त ये था कि बांडुंग को सूर्योदय से पहले 1000 नई मूर्तियों का निर्माण करना होगा। बांडुंग ने शर्त मान लिया और वह मूर्ति बनाने का काम चालू कर दिया। बांडुंग ने एक रात में 999 में मूर्तियां बना दिया और वह आखिरी मूर्ति बनाने में लग गया। रोरो को लगा कि बांडुंग आखिरी मूर्ति सूर्योदय से पहले बना लेगा इसलिए रोरो ने आसपास बुसे इलाकों के धान के खेतों में आग लगवा दिया ताकि बांडुंग को लगे सबेरा हो गया। आग की रोशनी इतनी थी कि बांडुंग को लगा कि सुबह हो गई और उसने मूर्तियों का निर्माण करना बंद कर दिया। इससे वह शर्त हार गया। 


कुछ दिनों के बाद बांडुंग को सच्चाई पता चला तो उसने रोरो जोंग्गरंग को आखिरी मूर्ति बन जाने का श्राप दे दिया। प्रम्बानन मंदिर में रोरो रोंग्गरंग की उसी मूर्ति को माता दुर्गा की मूर्ति मानकर उसकी पूजा करते हैं। इसलिए इस मंदिर को रोरो जोंग्गरंग मंदिर नाम से जानते हैं। 

मूर्तियां ही मूर्तियां 


मुख्य रूप से यहां तीन देवताओं के मंदिर हैं भगवान शिव, ब्रह्मा और विष्णु। इन देवताओं के अलावा मंदिर में बहुत से देवताओं की मूर्तियां बनी हुई है। शिव मंदिर के अंदर चार कमरे हैं। जिसमें भगवान शिव के अलावा विशाल मूर्ति है, दूसरे में शिव के भक्त अगस्त्य की मूर्ति और तीसरे में माता पार्वती की और चौथे में भगवान गणेश की मूर्ति स्थित है। सभी मूर्तियों के मुख पूरब दिशा में है। यहां स्थापित रोरो रोंग्गरंग की मूर्ति को मां दुर्गा के रूप में पूजा जाता है। 

शांति का प्रतीक है मंदिर


अगर आप इंडोनेशिया के जावा शहर में हैं और आप शांति तलाश रहे हैं तो आपको इस मंदिर में जरूर जाना चाहिए। हरियाली से पटे परिसर का माहौल बेहद ही शांत और खुशनुमा होता है। जहां आप इत्मिनान से टहल सकते हैं और कुछ समय व्यतीत कर सकते हैं।   

Web Title: 'Tridev' in temple of Indonesia

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