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गुजरात के इस 'मुस्लिम देवी' की मुरीद हैं सुनिता विलियम्स

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: December 24, 2017 15:28 IST

यह भारत में इकलौता ऐसा मंदिर है जहां हिंदू मंदिर में मुस्लिम देवी की पूजा होती है।

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गुजरात के गांधीगर से करीब 20 किलोमीटर दूर एक गांव है, झुलासन। गांव की खासियत है, डोला माता का मंदिर। इस मंदिर के बारे में जानकर आप हैरान हो सकते हैं क्योंकि इस मंदिर में किसी हिंदूदेवी की नहीं बल्कि एक मुस्लिम देवी की पूजा होती है। इस मंदिर की मान्यता न केवल गुजरात के छोटे से गांव झुलासन बल्कि विदेशों में भी है। इसकी एक खासियत और है। इसमें एक साथ हिंदू-मुस्लिम अपनी-अपनी आस्‍था से एक ही देवी की पूजा करते हैं। एक तरफ हिंदू इस देवी के लिए अगरबत्ती, दीया और फूल माला चढ़ाते हैं तो दूसरी तरफ मुस्लिम माता के मंदिर में चादर चढ़ा कर मत्था टेकते हैं। 

कौन थी डोला माता

कहा जाता है कि आज से 700 साल पहले इस गांव में लुटेरे आते थे और गांव को लूट कर चले जाते थे। एक बार जब लुटेरे गांव की तरफ बढ़ रहे थे, तो पास वाले गांव में एक मुस्लिम महिला ने इन लुटेरों को गांव की तरफ बढ़ते हुए देख लिया। यह वही मुस्लिम महिला थीं जिनका नाम डोला था। डोला ने गांव की रक्षा करने के लिए लुटेरों से डटकर मुकाबला किया। इस जंग में डोला मारी गईं। यह मंदिर वहीं स्थित है जहां उनकी मौत हुई थी। इसके बाद जब गांव वालों को पता चला तो उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया। तब से लेकर इस मंदिर में इस मुस्लिम देवी को पूजा जाता है। यहां के लोगों का मनना है कि हमारी उनमें श्रद्धा है और वो हमारी रक्षा करती हैं। 

सुनिता विलियम्स का पैतृक गांव 

यह मंदिर तब सुर्खियों में आया जब अंतरिक्ष यात्री सुनिता विलियम्स ने इस मंदिर में गईं और माता डोला का दर्शन किया। यह गांव सुनिता विलियम्स का पैतृक गांव है। इनके पिता दीपक पांड्या इस गांव ने 22 साल रहे हैं। अपनी अंतरिक्ष यात्रा से पहले सुनिता विलियम्स अपने पिता के साथ डोला माता का आशीर्वाद लेने झुलासन आईं थी। एक साक्षात्कार में दीपक पांड्या ने बताया कि जब कोई व्यक्ति विदेश से शादी कर इस गांव आता है तो सबसे पहले वह डोला माता का दर्शन करता है। उसके बाद ही घर जाता है। 

अद्भुत गांव है झुलासन 

झुलासन गांव अपने आप में अद्भुत गांव है। इस गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं रहता है। इस गांव के अधिकतर लोग विदेशों में रहते हैं। झुलासन में स्थित यह मंदिर भव्य रूप से बना है। गुरुवार और रविवार के दिन मंदिर भक्तों से भरा होता है।   

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