छत्रपति शिवाजी जयंती: देश के इन 4 किलों पर 'मराठा झंडा' लहराने में सफल हुए थे शिवाजी, जानें उनकी विजय प्राप्ति की कहानी

By मेघना वर्मा | Updated: February 19, 2018 11:20 IST2018-02-19T10:31:00+5:302018-02-19T11:20:53+5:30

Chatrapati Shivaji Birth Anniversary 2018: शिवाजी का अपनी माता के प्रति गहरा समर्पण भाव था। उनकी माता अत्याधिक धार्मिक विचारों वाली थीं। घर के धार्मिक माहौल का शिवाजी पर बहुत गहरा असर पड़ा। उन्होंने कम उम्र में ही रामायण और महाभारत का अध्ययन कर लिया।

Chhatrapati Shivaji Birthday special, Chhatrapati Shivaji's best of these forts in the country | छत्रपति शिवाजी जयंती: देश के इन 4 किलों पर 'मराठा झंडा' लहराने में सफल हुए थे शिवाजी, जानें उनकी विजय प्राप्ति की कहानी

छत्रपति शिवाजी जयंती: देश के इन 4 किलों पर 'मराठा झंडा' लहराने में सफल हुए थे शिवाजी, जानें उनकी विजय प्राप्ति की कहानी

देश में जब भी योद्धाओं की बात होगी मराठा की शान छत्रपति शिवाजी का नाम जरूर आएगा। मराठा साम्राज्य के इस महान योद्धा को उनके नियोजन और अच्छे प्रशासन ने विजय की राह तक पहुंचाया। शिवाजी महाराज ने अपने शासनकाल में लगभग 360 किले जीते। आज  छत्रपति शिवाजी की जयंती के मौके पर हम आपको उनके किलों की सैर कराएंगें, जो वर्तमान में देश के जाने-माने पर्यटक स्थल हैं। 

प्रतापगढ़ किला

महाराष्ट्र के सतारा में स्थित प्रतापगढ़ किला शिवाजी की जीत को बताता है। प्रतापगढ़ में हुए युद्ध से भी इस किले को जाना जाता है। शिवाजी ने नीरा और कोयना नदियों के किनारों और उनके पार दर्रे की सुरक्षा के लिए यह किला बनवाया था। बताया जाता है कि यह किला सन् 1665 में बनकर तैयार हुआ था। 10 नवम्बर 1656 को छत्रपति शिवाजी और अफजल खान के बीच युद्ध हुआ था। जिसमें शिवाजी की जीत हुई थी। प्रतापगढ़ किले की इस जीत को मराठा साम्राज्य के लिए नींव माना जाता है।

शिवनेरी किला

बताया जाता है कि छत्रपति शिवाजी का जन्म इसी किले में हुआ था। पुणे के जुन्नर गांव में स्थित इस किले में लोग आज भी पर्यटन करने आते हैं। किले के अंदर माता शिवाई के मंदिर का दर्शन लोगों के दिल को सुकून देता है। इसी किले में मीठे पानी के दो स्त्रोत है जिन्हें लोग गंगा-जमुना भी कहते हैं। बताया ये भी जाता है कि साल भर यहां से पानी निकलता है। इस किले के कई गुफाएं भी हैं जो अब बंद पड़ी हुयी हैं। कहा जाता है कि इन गुफाओं के अंदर ही शिवाजी ने गुरिल्ला युद्ध का अभ्यास भी लिया था। 

पुरंदर का किला

पुणे से 50 किमी की दूरी पर सासवाद गांव में पुरंदर का किला स्थित है। इस किले में दूसरे छत्रपति साम्बाजी राज भौसले का जन्म हुआ था। साम्बाजी छत्रपति शिवाजी के बेटे थे। शिवाजी ने पहली जीत इसी किले पर कब्जा करके की थी। मुगल सम्राट औरंगजेब ने 1665 में इस किले पर कब्जा कर लिया था जिसे महज पांच सालो बाद शिवाजी ने छुड़ा लिया था और पुरन्दर के किले पर मराठा झंडा लहरा दिया था। 

सुवर्ण दुर्ग

सुवर्ण दुर्ग किले को गोल्डन फोर्ट के नाम से भी जाना जाता है।  शिवाजी ने इस किले पर 1660 में कब्जा किया था। उन्होंने अली आदिलशाह द्वितीय को हराकर सुवर्णदुर्ग को मराठा साम्राज्य में मिला दिया था। समुद्री ताकत को बढ़ाने के लिए इस किले पर कब्जा किया गया था। इसी किले में शिवाजी के बाद के राजाओं ने मराठा जल सेना भी बनाई थी। इस किले के जरिये मराठों ने कई समुद्री आक्रमणों को भी रोका था।

मराठा साम्राज्य की शान छत्रपति शिवाजी ने अपनी नीतियों से ना सिर्फ फतह हासिल की बल्कि अपनी बातों और विचारों से लोगों में देश के प्रति जोश भी जगाया। आज भी उनके कहे गए वाक्यों से देशभक्ति और त्याग की भावना जागती है। 

Web Title: Chhatrapati Shivaji Birthday special, Chhatrapati Shivaji's best of these forts in the country

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