भारत देश में घूमने के लिए कई जगहें मौजूद हैं जिसमें पहाड़, झील, रेगिस्तान के अलावा ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी शामिल हैं, जहां आप घूम सकते हैं। यदि आप घूमने में दिलचस्पी रखते हैं और अपना बैग पैक कर कहीं भी निकल जाते हैं तो आपको ट्रेकिंग में बहुत ही मजा आएगा। लेकिन अगर आप पहले से ही ट्रेकिंग का शौक रखते हैं तो भारत में ट्रेकिंग के लिए जगहों की कोई कमी नहीं है। नाग टिब्बा ट्रेक, उत्तराखंड के रूपकुंड ट्रेक, चेम्ब्रा पीक ट्रेक केरल, मारखा वेली ट्रेक लद्दाख और भी कई ट्रेक हैं जहां आप जा सकते हैं।
नाग टिब्बा ट्रेक, मसूरी
मसूरी के नजदीक नाग टिब्बा ट्रेक ट्रेकर्स के लिए एक बेहरीन विकल्प है। समुद्र तल से लगभग 10000 फीट ऊपर स्थित 'नाग टिब्बा' या 'सर्पस पीक' गढ़वाल हिमालय के नाग टिब्बा पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित है। ट्रेकिंग के दौरान आप ओक और डूडर्स के खूबसूरत जंगलों के बीच गुजरते हैं। जैसे ही आप नाग टिब्बा शिखर तक पहुंचते हैं वहां आपको बंदरपंच पर्वत, काला नाग पर्वत, स्वर्ग रोहिणी पर्वत, केदार नाथ पर्वत और गंगोत्री चोटियों की श्रृंखला के दर्शन हो जाते हैं। नाग टिब्बा शिखर तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। पहला रास्ता पंतवरी विलेज से शुरू होता है जो देहरादून से 85 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
दूसरा रास्ता, 45 किमी की दूरी पर स्थित देवल्सारी के छोटे से गांव से शुरू होता है। मसूरी से नाग टिब्बा शिखर लगभग 10 किमी की दूरी पर यात्रा करके पहुंचा जा सकता है। 'पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला, धौलाधर पर्वत श्रृंखला और 'डून वैली' के शानदार दृश्यों को देखा जा सकता है क्योंकि आप देवल्सारी से नाग टिब्बा के घुमावदार ट्रेल्स के माध्यम से चलते हैं।
रूपकुंड ट्रेक, उत्तराखंड
एडवेंचर का असली मजा और अनुभव लेने वाले लोगों को रूपकुंड का यह ट्रेक काफी पसंद आएगा। इस ट्रेक के ऊपर से आप रहस्यमयी रूपखंड की मशहूर झील को देख सकते हैं। रूपकुंड झील को कंकाल झील भी कहते हैं, क्योंकि वर्षों पहले इस झील के किनारे पांच सौ से अधिक कंकाल पाए गए थे। यहां ट्रेकिंग के लिए 7 से 9 दिनों का होना जरूरी है। इस ट्रेक के लिए तीन रास्ते का चुनाव कर सकते हैं जो मुंडोली, काठ गोदाम औक लोहजांग के रास्ते पहुंचा जा सकता है।
चेंब्रा शिखर , केरल
केरल की सबसे ऊंची चोटी चेंब्रा प्रर्वत जो समुद्र तल से 2100 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। यह चोटी केरल के वायनाड की खूबसूरत वादियों में बसा है। इसकी चढ़ाई सरल है बस शुरुआत में ढाल के बाद ऊंचाई थोड़ी मुश्किल होगी। यह ट्रेक सितंबर-फरवरी के बीच काफी अच्छा माना जाता है। ट्रेक 9 किमी की दूरी पर फैला है और इसे आसानी से एक दिन में पूरा किया जा सकता है। हालांकि, आगंतुक कुछ दिनों तक अपनी यात्रा का विस्तार करने का विकल्प चुन सकते हैं। इस ट्रेक के बाद शिखर की शीर्ष पर आप दिल के आकार का एक झील देख सकते हैं। ट्रेक के दौरान आप वायनाड की हरियाली का आनंद ले सकते हैं जो काफी सुखद अनुभव देता है।
मारखा वेली ट्रेक, लद्दाख
मारखा घाटी उत्तर भारत के लद्दाख में स्थित है। इसको 'टी हाउस ट्रेक' के नाम से भी जाना जाता है। इसके रास्ते में पैराशूट टेंट में ठहर सकते हैं या रास्ते में पड़ने वाले अधिकांश गांव में होमस्टे का विकल्प भी उपलब्ध रहता है। फिट ट्रेकर अकेले ही बिना किसी गाइड और कुली के ट्रेक को पूरा कर सकते हैं।आमतौर पर खाना या खाने के बर्तन को ले जाने की आवश्यकता बहुत कम होती है।
जून से सितंबर मारखा घाटी जाने के लिए अच्छा समय माना जाता है, हालांकि जून और अगस्त सबसे अच्छे महीने माने जाते हैं। यह ट्रेक 80 किलोमीटर तक का है जिसे पूरा करने में 10 से 14 दिन लग सकता है।