हिंदी आलोचना की वाचिक परंपरा के आचार्य डॉ. नामवर सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे. भारतीय साहित्य में दिलचस्पी रखने वाला शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो नामवर सिंह के व्यक्तित्व से वाकिफ नहीं हो ...
मातृभाषा के माध्यम से ही मनुष्य का ज्ञान-विज्ञान की दुनिया में पदार्पण होता है. मां के स्तनपान के साथ-साथ अबोध शिशु जिन ध्वनियों और दुनियावी वस्तुओं से परिचना शुरू करता है ...
नामवर सिंह का 92 साल की उम्र में नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में 19 फरवरी को निधन हो गया। नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1926 को चंदौली (तब वाराणसी) जीयनपुर गाँव में हुआ था। ...
नामवर सिंह का 92 साल की उम्र में मंगलवार देर रात निधन हो गया। पाखी पत्रिका ने करीब नौ साल पहले नामवर सिंह से एक एकाक्षरी साक्षात्कार किया था। नामवर सिंह के व्यक्तित्व को समझने के लिए यह साक्षात्कार के कुंजी सरीखा है। पेश है उसका अंश। ...
नामवर सिंह का 19 फ़रवरी 2019 को रात करीब 11.40 पर नई दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में हो गया। नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1926 को वाराणसी के जीयनपुर गाँव में हुआ था। वो हिन्दी के शीर्षस्थ बुद्धिजीवी और आलोचक माने जाते थे। ...
नामवर सिंह की चर्चित किताब 'दूसरी परम्परा की खोज' के बाद से उन्हें हिन्दी साहित्य और आलोचना की 'दूसरी परम्परा' का ध्वजधारक मान लिया गया। नामवर सिंह ने यह किताब अपने गुरु हजारीप्रसाद द्विवेदी के साहित्यिक योगदान को रेखांकित करते हुए लिखी थी। ...