राजेश कुमार यादव का ब्लॉग: हिंदी के नामवर युग का अंत

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 21, 2019 09:11 AM2019-02-21T09:11:01+5:302019-02-21T09:11:01+5:30

हिंदी आलोचना की वाचिक परंपरा के आचार्य डॉ. नामवर सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे. भारतीय साहित्य में दिलचस्पी रखने वाला शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो नामवर सिंह के व्यक्तित्व से वाकिफ नहीं हो

Blog of Rajesh Kumar Yadav: The end of the hindi Namawar singh era tribute | राजेश कुमार यादव का ब्लॉग: हिंदी के नामवर युग का अंत

राजेश कुमार यादव का ब्लॉग: हिंदी के नामवर युग का अंत

(लेखक-राजेश कुमार यादव)

हिंदी आलोचना की वाचिक परंपरा के आचार्य डॉ. नामवर सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे. भारतीय साहित्य में दिलचस्पी रखने वाला शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो नामवर सिंह के व्यक्तित्व से वाकिफ नहीं हो. नामवर सिंह शायद हिंदी में समकालीन विश्व साहित्य के सबसे बड़े बौद्धिक पुरुष थे. नामवर सिंह का कर्मक्षेत्र भले ही दिल्ली रहा हो, पर उनका भाव क्षेत्र हमेशा बनारस रहा. जिस बनारसी मिट्टी ने नामवर को बनाया, इसमें कबीर का साहस, तुलसी का लोकतत्व, प्रेमचंद का समाजशास्त्र और आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का पांडित्य था.

नामवर सिंह के व्यक्तित्व की यही खूबी थी. इसी खूबी ने उन्हें बड़ी-से-बड़ी परंपरा को खारिज करने, अपना झंडा गाड़ने और हिंदी आलोचना में सबसे ऊंचा, आला और अलहदा स्थान बनाने में मदद की. अध्यापक नामवर, चंदौली से चुनाव लड़नेवाले राजनेता नामवर, आलोचक नामवर और अब किंवदंती नामवर.

नामवर बनने की प्रक्रिया के मूल में है उनकी गहन अध्ययनशीलता.  मुङो दिल्ली में उनके आवास पर जाने का अवसर मिला. कसरती बदन के नामवर सिंह, जिन्हें देखकर कभी पहलवान से मिलने का भ्रम होता था, तब कृशकाय हो गए थे. वे बहुत धीरे चलने लगे थे और उनकी आवाज भी मद्धिम हो चली थी.

 नामवर सिंह हिंदी के ऐसे आलोचक थे, जिन्होंने आलोचना की पद्धति और भाषा को बदला. इसलिए आजादी के बाद यदि आलोचना के विकास और सांस्कृतिक परिदृश्य को जानना हो या वैचारिक जद्दोजहद की जानकारी पानी हो तो नामवर सिंह विश्वसनीय आलोचक साबित होंगे, उनकी आलोचना अपने समय के यथार्थ और चुनौतियों से मुठभेड़ करती है. नामवर सिंह के कृतित्व और व्यक्तित्व दोनों का ही, अपने समय की बनती हुई युवा-पीढ़ी पर गहरा प्रभाव पड़ा है. उनके चिंतन, उनकी भाषा, उनकी रचनाशीलता और उनके व्यक्तित्व से नई पीढ़ी को एक नई दिशा मिली है

Web Title: Blog of Rajesh Kumar Yadav: The end of the hindi Namawar singh era tribute

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