हिन्दी में 'भविष्य के लेखक' आ रहे हैं, स्वागत नहीं करोगे!

By रंगनाथ सिंह | Published: February 27, 2019 07:30 PM2019-02-27T19:30:31+5:302019-02-27T19:39:38+5:30

मुझे तो लगता था कि भविष्य के लेखकों को भविष्य के लोग ही देख सकेंगे लेकिन पहली बार हिन्दी में वर्तमान में ही 'भविष्य के लेखक' देखे जाएंगे।

Hindi publisher and Hindi writer chutzpah | हिन्दी में 'भविष्य के लेखक' आ रहे हैं, स्वागत नहीं करोगे!

मुझे उम्मीद है कि राजधानी के समस्त सहित्यप्रेमी इस जलसे में ज़रूर शिरकत करेंगे। कुछ निजी कारणों से मैं नहीं आ पाउँगा।

आप सब ने हर तरह के लेखक देखे होंगे लेकिन 'भविष्य के लेखक' शायद ही देखें हों।

अतीत के लेखक आपने देखे होंगे। कुछ लोग कहते हैं लेखक अतीतजीवी प्राणी होता है। वो अपने आप, परिवार, जाति, धर्म, इतिहास और अपने देश-समाज के अतीत की स्मृतियों को कुरेद-कुरेद कर साहित्य रचता है।

लेखकों में एक ख़ास प्रवृत्ति यह भी पायी जाती है कि वो अतीत के लेखकों से ऑब्सेस्ड रहते हैं।मैं भी लियो तोलस्तोय, मोपासां, प्रेमचंद या भारतेंदु हरिश्चंद्र जैसे अतीत के लेखकों पर मोहित रहता हूँ।

आपने वर्तमान के लेखक देखे होंगे। कम देखे होंगे लेकिन देखे होंगे। ऐसे लेखक जो वर्तमान में रहकर वर्तमान के बारे में लिखते हैं।

आपने ऐसे लेखक भी देखे होंगे जो वर्तमान में रहकर अतीत के बारे में लिखते रहते हैं,जैसे आचार्य चतुरसेन शास्त्री।

कुछ ऐसे लेखक भी होते हैं जो वर्तमान में रहकर भविष्य के बारे में लिखते रहते हैं, जैसे जॉर्ज ऑरवेल या एडुलस हक्सले। लेकिन ऐसे लेखक भी होते वर्तमान के ही लेखक हैं।

कई बार अतीत के लेखक औचक ही वर्तमान के लेखक बनकर सामने आ जाते हैं। जैसे जॉन एलिया को ही ले लो। फ़ेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया पर जॉन एलिया मिर्जा ग़ालिब को टक्कर देते नज़र आते हैं।

मुझे तो लगता था कि भविष्य के लेखकों को भविष्य के लोग ही देख सकेंगे लेकिन पहली बार हिन्दी में वर्तमान में ही 'भविष्य के लेखक' देखे जाएंगे।

जिस तरह कई दुर्लभ जीव केवल चिड़ियाघर में देखे जा सकते हैं, उसी तरह 1991 में हिन्दी साहित्य में एमए पास कर चुके एक बड़े भाई बता रहे थे कि दिल्ली में जल्द ही ऐसा ही एक जलसा होने वाला है जिसमें “भविष्य के लेखक” देखे जा सकेंगे।

मुझे उम्मीद है कि राजधानी के समस्त सहित्यप्रेमी इस जलसे में ज़रूर शिरकत करेंगे। कुछ निजी कारणों से मैं नहीं आ पाउँगा।

मेरे बाबा कहते थे, भविष्य का भविष्य में देखेंगे और भविष्य में यह देखा-देखी तभी हो पाएगी अगर ये “भविष्य के लेखक”, इनके प्रायोजक और मेरे जैसे आलोचक भविष्य में बचे रह पाएंगे।

Web Title: Hindi publisher and Hindi writer chutzpah

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