नामवर सिंह के निधन पर पीएम मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, सीएम केजरीवाल ने व्यक्त किया गहरा दुख
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 20, 2019 11:23 AM2019-02-20T11:23:46+5:302019-02-20T11:29:13+5:30
नामवर सिंह का 19 फ़रवरी 2019 को रात करीब 11.40 पर नई दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में हो गया। नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1926 को वाराणसी के जीयनपुर गाँव में हुआ था। वो हिन्दी के शीर्षस्थ बुद्धिजीवी और आलोचक माने जाते थे।
हिन्दी के मूर्धन्य आलोचक एवं विद्वान नामवर सिंह का 92 वर्ष की आयु में मंगलवार देर रात नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। हिन्दी जगत के लेखकों और पाठकों के बड़े समुदाय के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवार, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने शोक व्यक्त किया है।
नीचे पढ़ें नामवर सिंह के निधन पर सोशल मीडिया पर व्यक्त की गयी शोक संवेदनाएँ-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी-
हिन्दी साहित्य के शिखर पुरुष नामवर सिंह जी के निधन से गहरा दुख हुआ है। उन्होंने आलोचना के माध्यम से हिन्दी साहित्य को एक नई दिशा दी। ‘दूसरी परंपरा की खोज’ करने वाले नामवर जी का जाना साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे और परिजनों को संबल प्रदान करे।
हिन्दी साहित्य के शिखर पुरुष नामवर सिंह जी के निधन से गहरा दुख हुआ है। उन्होंने आलोचना के माध्यम से हिन्दी साहित्य को एक नई दिशा दी। ‘दूसरी परंपरा की खोज’ करने वाले नामवर जी का जाना साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे और परिजनों को संबल प्रदान करे।
— Narendra Modi (@narendramodi) February 20, 2019
गृहमंत्री राजनाथ सिंह
प्रख्यात साहित्यकार एवं समालोचक डा. नामवर सिंह के निधन से हिंदी भाषा ने अपना एक बहुत बड़ा साधक और सेवक खो दिया है। वे आलोचना की दृष्टि ही नहीं रखते थे बल्कि काव्य की वृष्टि के भी विस्तार में उनका बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने हिंदी साहित्य के नए प्रतिमान तय किए और नए मुहावरे गढ़े।
प्रख्यात साहित्यकार एवं समालोचक डा. नामवर सिंह के निधन से हिंदी भाषा ने अपना एक बहुत बड़ा साधक और सेवक खो दिया है। वे आलोचना की दृष्टि ही नहीं रखते थे बल्कि काव्य की वृष्टि के भी विस्तार में उनका बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने हिंदी साहित्य के नए प्रतिमान तय किए और नए मुहावरे गढ़े।
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) February 20, 2019
डा. नामवर सिंह का जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति भी है। विचारों से असहमति होने के बावजूद वे लोगों को सम्मान और स्थान देना जानते थे। उनका निधन हिंदी साहित्य जगत एवं हमारे समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है। मैं उनके परिवार के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूँ।
डा. नामवर सिंह का जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति भी है। विचारों से असहमति होने के बावजूद वे लोगों को सम्मान और स्थान देना जानते थे। उनका निधन हिंदी साहित्य जगत एवं हमारे समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है। मैं उनके परिवार के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूँ।
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) February 20, 2019
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
हिंदी के प्रख्यात आलोचक और साहित्यकार नामवर सिंह जी अब हमारे बीच नहीं रहे।
हिंदी साहित्य में आलोचना को एक नया आयाम और नई ऊंचाई देने वाले नामवर सिंह जी को विनम्र श्रद्धांजलि।
परमात्मा उनकी आत्मा को शांति और उनके परिजनों को यह दुख सहन करने की शक्ति दें।
हिंदी के प्रख्यात आलोचक और साहित्यकार नामवर सिंह जी अब हमारे बीच नहीं रहे।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) February 20, 2019
हिंदी साहित्य में आलोचना को एक नया आयाम और नई ऊंचाई देने वाले नामवर सिंह जी को विनम्र श्रद्धांजलि।
परमात्मा उनकी आत्मा को शांति और उनके परिजनों को यह दुख सहन करने की शक्ति दें।
हरीश रावत, उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री
हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार और समालोचक डॉ० #NamvarSingh जी का निधन साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। मैं नामवर सिंह जी के निधन पर अपना गहरा दु:ख व्यक्त करता हूं और दिवंगत पुण्य आत्मा की शांति के लिए व शोक संतप्त परिजनों को संबल प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना करता हूं।
हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार और समालोचक डॉ० #NamvarSingh जी का निधन साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। मैं नामवर सिंह जी के निधन पर अपना गहरा दु:ख व्यक्त करता हूं और दिवंगत पुण्य आत्मा की शांति के लिए व शोक संतप्त परिजनों को संबल प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना करता हूं। pic.twitter.com/OZuY45Mk8J
— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) February 20, 2019
योगेंद्र यादव, स्वराज अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष
नामवर सिंह बोलते थे तो हिंदी की भाषाई समृद्धि और गौरव झलकता था, चाहे सुनने वाला हिंदी का एक शब्द ना समझता हो।
आपने हिंदी का कद ऊंचा किया
इसके शब्द संसार का विस्तार किया
आलोचना को बारीकी और गहराई दी
शत शत नमन! अलविदा!
नामवर सिंह बोलते थे तो हिंदी की भाषाई समृद्धि और गौरव झलकता था, चाहे सुनने वाला हिंदी का एक शब्द ना समझता हो।
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) February 20, 2019
आपने हिंदी का कद ऊंचा किया
इसके शब्द संसार का विस्तार किया
आलोचना को बारीकी और गहराई दी
शत शत नमन! अलविदा! https://t.co/AjyJQPJFzo
सीताराम येचुरी, सीपीएम महासचिव
हिन्दी साहित्य के शिखर पुरुष नामवर सिंह जी के निधन से गहरा दुख हुआ है। उन्होंने आलोचना के माध्यम से हिन्दी साहित्य को एक नई दिशा दी। ‘दूसरी परंपरा की खोज’ करने वाले नामवर जी का जाना साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे और परिजनों को संबल प्रदान करे।
डॉ नामवर सिंह का साहित्य की दुनिया में बहुत विशेष स्थान था। उनका काम और उनका योगदान, उनके जाने के बाद भी कई पीढ़ियों को प्रभावित करेगा। उन्हें श्रधांजलि। https://t.co/Tom8bW2GC4
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) February 20, 2019
हेमंत शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार
यह हिन्दी साहित्य की तीसरी परम्परा का अवसान है। पहला परम्परा आचार्य रामचंद्र शुक्ल की दूसरी आचार्य हज़ारी प्रसाद द्विवेदी की और तीसरी परम्परा गुरूवर नामवर जी की।
नामवर जी आचार्य हज़ारी प्रसाद जी को गुरू मानते थे। एक बार द्विवेदी जी से पूछा गया। आपकी सर्वश्रेष्ठ कृति कौन सी है। द्विवेदी जी ने कहा नामवर सिंह।
नामवर जी के न रहने से मेरी गुरू परम्परा का भी अवसान हुआ है। पिता तुल्य गुरू ,हिन्दी आलोचना का शिखर पुरूष ,गम्भीर अध्येता, रसिक अडीबाज के जाने से भयानक ख़ालीपन है।
उनका न रहना हिन्दी आलोचना की सबसे सजग, सतर्क, बहुपठित और संवादी परम्परा का अवसान है। पूरे तीस बरस से मैं नामवर के होने का मतलब ढूँढ रहा था और अब उनके न होने के मायने ढूँढने बैठा हूँ। एक बड़ा शून्य है।