आधुनिक रामायण के रचयिता रामानंद सागर से जुड़ी 10 बातें 

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: December 29, 2017 12:47 IST2017-12-29T08:41:38+5:302017-12-29T12:47:26+5:30

रामानंद सागर ने अपना फिल्मी दुनिया में 1932 में क्लैपर-ब्वॉय के रूप में शुरू किया था।

Ramanand Sagar Birth Anniversary: Know 10 Interesting Facts about Maker of Blockbuster TV Serial Ramayana | आधुनिक रामायण के रचयिता रामानंद सागर से जुड़ी 10 बातें 

आधुनिक रामायण के रचयिता रामानंद सागर से जुड़ी 10 बातें 

आज की पीढ़ी के लिए रामायण के क्रेज को समझना थोड़ा मुश्किल है। वीडियो और इंटरनेट रिवोल्यूशन के जमाने में इस बात पर यकीन करना भी थोडा़ मुश्किल ही है कि दूरदर्शन पर आने वाले किसी टीवी सीरियल को देखने के लिए भारत के शहरों की सड़कें और गाँवों की गलियाँ सूनी हो जाती थीं। लेकिन ये सच है। 25 जनवरी 1987 को भारतीय टेलीविजन पर पहली बार प्रसारित हुए रामायण धारावाहिक देश की जनता को मंत्रमुग्ध कर दिया था। ये धारावाहिक 31 जुलाई 1988 तक प्रसारित होता रहा और इसने आधुनिक भारत को रामकथा से परिचित कराया। वाल्मीकि के रामायण और तुलसीदास के रामचरितमानस के बाद अगर हिन्दी पट्टी में किसी को रामकथा के प्रचार-प्रसार का श्रेय दिया जाना जा सकता है तो वो निस्संदेह इस सीरियल के लेखक-निर्देशक रामानंद सागर हैं। आज 29 दिसंबर को उन्हीं रामानंद सागर का जन्मदिन है। आइए इस मौके पर हम आपको बताते हैं उनके जीवन से जुड़ी 10 बातें-

1- रामानंद सागर का जन्म भारत की आजादी से पहले  29 दिसंबर 1917 को लाहौर में हुआ था। उनका असली नाम चंद्रमौली चोपड़ा था। उन्हें उनके  नाना-नानी ने गोद ले लिया था और उन्होंने ही उनका नाम बदलकर रामानंद रखा था। 

2- रामानंद सागर ने महज 16 साल की उम्र में अपना लेखकीय जीवन शुरू कर दिया था। उन्होंने किशोरावस्था में ही "प्रतीम प्रतीक्षा" नामक गद्य-काव्य लिखा था। ये गद्य-काव्य श्रीनगर के श्री प्रताप कॉलेज मैगजीन में प्रकाशित हुआ था।

3- रामानंद सागर को मायानगरी मुंबई में सफलता पाने से पहले काफी कड़ा संघर्ष करना पड़ा था। विभिन्न रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने चपरासी, ट्रक-क्लीन, साबुन विक्रेता इत्यादि के तौर पर काम किया था। वो दिन में काम करते थे और रात में पढ़ाई करते थे।

4- रामानंद सागर का पेशेवर करियर लाहौर के "डेली-मिलान" से शुरू हुआ। वो सब-एडिटर के रूप में डेली-मिलान से जुड़े और बाद में इसके न्यूज एडिटर बने। पत्रकारिता के दौरान भी वो कविता, कहानी, नाटक इत्यादि लिखते रहे। इस दौरान उन्होंन कई नामों का प्रयोग किया। वो रामानंद चोपड़ा, रामानंद बेदी और रामानंद कश्मीरी नाम से लिखा करते थे।

5- फिल्मी दुनिया में उनका करियर 1932 में क्लैपर-ब्वॉय के रूप में शुरू हुआ। उन्होंने "रेडर्स ऑफ द रेल रोड" नामक साइलेंट फिल्म में क्लैपर-ब्वॉय का काम किया था।  

6- भारत विभाजन के बाद 1949 में वो मुंबई (तब बॉम्बे) आ गये। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार तब उनके पास केवल पाँच आना पैसे और अपनी लिखी हुई रचनाओं की प्रति थी।

7- हिन्दी फिल्मों में उन्हें पहला बड़ा ब्रेक राज कपूर की फिल्म बरसात (1949) से मिला। उन्होंने इस फिल्म के संवाद और पटकथा लिखी थी।

8- रामानंद सागर ने 1950 में अपना प्रोडक्शन हाउस "सागर आर्ट कोऑपरेशन" बनाया। उन्होंने घूंघट, पैगाम, आँखें, गीत, भागवत, ललकार, कोहिनूर, जिंदगी और आरजू जैसी करीब 25 हिन्दी फिल्में अपने बैनर के तले बनाईं। 

9- टीवी धारावाहिक निर्माण के क्षेत्र में उन्होंने 1985 में कदम रखा। सागर आर्ट ने विक्रम और बेताल, रामायण और श्री कृष्णा, लव कुश, अलिफ लैला जैसे हिट सीरियल बनाए। साल 2005 में उन्होंने अपना आखिरी टीवी धारावाहिक साई बाबा बनाया। रामानंद सागर को दो फिल्मफेयर पुरस्कार मिले थे। उन्हें हिन्दी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद से साहित्य वाचस्पति की उपाधी मिली थी। भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया था।

10- कहा जाता है कि दूरदर्शन ने पहले रामायण धारावाहिक को नकार दिया था। प्रसारण के बाद इस धारावाहिक ने धार्मिक सीरियलों का सिलसिला शुरू कर दिया। जून 2003 में लिम्बा बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने इसे दुनिया का सबसे ज्यादा देखा गया मिथकीय कथा वाला धारावाहिक घोषित किया था।  87 साल की उम्र में दिसंबर 2005 में उन्होंने मुंबई में आखिरी सांसें लीं।

Web Title: Ramanand Sagar Birth Anniversary: Know 10 Interesting Facts about Maker of Blockbuster TV Serial Ramayana

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