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हो जाए सावधान! सिर्फ 140 रुपये में बेचा जाता है आपका पर्सनल डेटा, ऐसे लगती है कीमत

By जोयिता भट्टाचार्या | Updated: May 22, 2019 15:12 IST

आपके पर्सनल डेटा इंटरनेट के डार्क हिस्सों में बेचा जा रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि आपके डेटा को सिर्फ हैकर्स ही नहीं बल्कि बड़ी कंपनियां और मार्केट रिसचर्स भी खरीद रहे हैं।

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ठळक मुद्देआपका पसर्नल डेटा इंटरनेट के ‘Dark Web’ में बेचा जा रहा हैरोजाना के हिसाब से सिर्फ 140 रुपये में यह बेचा जा रहा हैइंटरनेट के इस छिपे हिस्से में, हैकर्स इंटरनेट यूजर की जानकारी मुहैया करा रहे हैं

इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। क्या आपको पता है कि आपके निजी डेटा को दूसरी कंपनियों तक बेचा जाता है। जी हां, आपके पर्सनल डेटा इंटरनेट के डार्क हिस्सों में बेचा जा रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि आपके डेटा को सिर्फ हैकर्स ही नहीं बल्कि बड़ी कंपनियां और मार्केट रिसचर्स भी खरीद रहे हैं।

बता दें कि आपका पसर्नल डेटा इंटरनेट के ‘Dark Web’ में बेचा जा रहा है। इसके अलावा, अगर आप अपने डेटा की कीमत के बारे में जानना चाहते हैं तो बता दें कि रोजाना के हिसाब से सिर्फ 140 रुपये में यह बेचा जा रहा है। इंटरनेट के इस छिपे हिस्से में, हैकर्स इंटरनेट यूजर की जानकारी मुहैया करा रहे हैं। इनमें पासवर्ड, टेलिफोन नंबर और ईमेल आईडी जैसी जानकारियां शामिल हैं।

क्या है Dark Web

अगर आप डार्क वेब के बारे में जानना चाहते हैं तो हम आपको जानकारी दे रहे हैं। डार्क वेब को Dark net भी कहा जाता है जिसे सर्च इंजन भी नहीं दिखाते हैं। डार्क वेब को सिर्फ कुछ खास किस्म के सॉफ्टवेयर्स की मदद से ही देखा जा सकता है। इसके चलते इंटरनेट ऑपरेटर्स के लिए ट्रेस करना आसान नहीं होता है।

Web Privacy Breach

'डार्क वेब' नाम की यह दुनिया रेगुलर ब्राउजर्स के ज़रिए ऐक्सेस नहीं कर सकती। सिर्फ टॉर जैसे ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर जो कि अनजान कम्युनिकेशन की अनुमति देते हैं, उनके जरिए ही डार्क वेब को ऐक्सेस किया जा सकता है।

क्या है Tor?

टॉर एक सॉफ्टवेयर है जो यूजर्स की पहचान और इंटरनेट एक्टिविटी को खुफिया एजेंसियों की नजरों से बचाता है। यानी की इसके जरिए यूजर्स अपनी एक्टिविटी को ट्रेस होने से बचा सकता है। यूजर्स इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल अपना आईपी एड्रेस छिपाने के लिए करते हैं।

250 कंपनियों का डेटा मौजूद है डार्क वेब पर

डार्क वेब पर 250 से ज्यादा लोकप्रिय वेबसाइट्स का डेटा मौजूद है। यहां कई छोटी साइट्स के 7 से 8 हजार डेटाबेस भी हैं। हैकर्स इस डेटा पर साइबर अटैक करने के इरादे से खरीदते हैं। कई कंपनियां अपने प्रतिद्वंदी के कंज्यूमर बेस की जानकारी निकालने के लिए भी इस डेटा को खरीदती हैं। इस डेटा को इकठ्‌ठा करके किसी यूजर का पूरा प्रोफाइल तैयार किया जाता है, जिसे फिर बेच दिया जाता है।

डेटा की ऐसी लगती है कीमत

इस डेटा की कीमत 1 रुपये से शुरू होती है। अगर प्रोफाइल किसी एक्टर और नेताओं जैसे हाई-प्रोफाइल की है तो डेटा की कीमत 500 रुपये से 2000 रुपये तक की लगती है। यह डेटा कई पैकेज में बेचा जाता है। पैकेज की कीमत रोजाना के 140 रुपये से लेकर 4,900 रुपये तीन माह हो सकता है। ग्राहक इस डेटा के लिए  बिटकॉइन, लाइटकॉइन, डैश, रिपल और Zcash जैसी क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल करते हैं।

Web Privacy Breach

इस तरह रख सकते हैं अपने डेटा को सुरक्षित

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसी हैकर को एक यूज़र के मल्टीपल पासवर्ड मिल जाते हैं तो वह किसी प्रोफाइल को मिनटों में बिक्री के लिए उपलब्ध करा सकता है। कई यूजर्स अकसर मल्टीपल अकाउंट्स के लिए एक ही पासवर्ड का इस्तेमाल करते हैं, इससे उनके बिहेव का अनुमान लगाया जा सकता है।

यूजर डेटा को ट्रैक करना इंटरनेट पर किसी व्यक्ति के ऐक्टिविटी लेवल पर ही निर्भर करता है। क्विक हील में चीफ टेक्नॉलजी ऑफिसर संजय काटकर का कहना है कि यूजर को मजबूत पासवर्ड इस्तेमाल करने के साथ ही फिशिंग और स्पैम मेल खोलने से बचना चाहिए।

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