यूरोप-अमेरिका के जैसे स्मार्टफोन-टैबलेट के लिए हो एक ‘कॉमन चार्जर’- सरकार कर रही है इस पर विचार, ई-कचरा कम करना उद्देश्य

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 11, 2022 11:42 IST2022-08-11T11:21:27+5:302022-08-11T11:42:00+5:30

भारत में भी सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए एक ‘कॉमन चार्जर’ लाने की चर्चा हो रही है। इस पर बोलते हुए एक अधिकारी ने कहा, ‘‘अगर मोबाइल कंपनियां यूरोप और अमेरिकी बाजारों में एक चार्जिंग प्रणाली अपना सकती हैं, तो फिर वे ऐसा भारत में क्यों नहीं कर सकती हैं?’’

Like Europe American there should be common charger smartphone-tablet the govt considering aiming reduce e-waste | यूरोप-अमेरिका के जैसे स्मार्टफोन-टैबलेट के लिए हो एक ‘कॉमन चार्जर’- सरकार कर रही है इस पर विचार, ई-कचरा कम करना उद्देश्य

यूरोप-अमेरिका के जैसे स्मार्टफोन-टैबलेट के लिए हो एक ‘कॉमन चार्जर’- सरकार कर रही है इस पर विचार, ई-कचरा कम करना उद्देश्य

Highlightsभारत सरकार स्मार्टफोन और टैबलेट के लिए एक ‘कॉमन चार्जर’ लाने पर विचार कर रही है। इस पर सरकार का कहना है कि अगर यूरोप-अमेरिकी के बाजार में संभव है तो भारत में क्यों नहीं है। ऐसे में सरकार अगले हफ्ते इसे लेकर बैठक भी करने वाली है।

सरकार स्मार्टफोन और टैबलेट जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए एक ही चार्जर लाने की संभावनाएं तलाश रही है। इसपर चर्चा के लिए सरकार ने अगले हफ्ते हितधारकों की बैठक भी बुलाई है। 

सरकार के इस कदम के पीछे ग्राहकों को अलग-अलग चार्जर लेने के वजह से होने वाले खर्चे और ई-कचरा को कम करने का उद्देश्य है। अगर सब कुछ सही रहा तो जल्द ही भारत के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को उपयोग करने वाले ग्राहक भी अलग-अलग चार्जर के बजाय एक ‘कॉमन चार्जर’ को इस्तेमाल कर पाएंगे। 

अलग-अलग के बजाय एक ही चार्जर हो- उपभोक्ता मामलों के वरिष्ठ अधिकारी 

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि अलग-अलग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए अलग-अलग चार्जर की जरूरत खत्म करने के लिए एक ही चार्जर लाने की संभावनाएं तलाशी जाएंगी। 

उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर न केवल उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ कम पड़ेगा बल्कि ई-कचरा कम करने में भी मदद मिलेगी। 

अगर यूरोप-अमेरिकी में एक ‘कॉमन चार्जर’ है तो भारत में क्यों नहीं- अधिकारी

अधिकारी के मुताबिक, ‘कॉमन चार्जर’ की संभावनाएं तलाशने के लिए 17 अगस्त को मोबाइल फोन विनिर्माताओं और इस क्षेत्र से जुड़ी उपकरण बनाने वाली कंपनियों को बैठक के लिए बुलाया गया है। 

इस अधिकारी ने कहा, ‘‘अगर मोबाइल कंपनियां यूरोप और अमेरिकी बाजारों में एक चार्जिंग प्रणाली अपना सकती हैं, तो फिर वे ऐसा भारत में क्यों नहीं कर सकती हैं? स्मार्टफोन और टैबलेट जैसे पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में एक कॉमन चार्जर होना चाहिए।’’ 

बदलाव नहीं होने पर उपकरणों को भारत में डंप किया जा सकता है- अधिकारी

इस पर आगे बोलते हुए अधिकारी ने कहा कि अगर भारत इस तरह के बदलाव के लिए जोर नहीं देता है तो इस तरह के उपकरणों को भारत में लाकर डंप किया जा सकता है। यूरोपीय संघ ने हाल ही में छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए वर्ष 2024 तक यूएसबी-सी पोर्ट वाले कॉमन चार्जिंग मानक को लागू करने की घोषणा की है। इस तरह की मांग अमेरिका में भी जोर पकड़ रही है। 

गौरतलब है कि मौजूदा समय में किसी भी नए स्मार्टफोन या टैबलेट की खरीदारी के समय उपभोक्ताओं को अलग से चार्जर भी खरीदना पड़ता है। इसकी वजह यह है कि पुराना चार्जर नए उपकरण के साथ काम नहीं कर पाता है।

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