Facebook प्राइवेसी को लेकर एक और बड़ा खुलासा, कंपनी ने विप्रो को उपलब्ध कराए थे यूजर्स के पर्सनल इन्फो
By जोयिता भट्टाचार्या | Published: May 7, 2019 06:23 PM2019-05-07T18:23:21+5:302019-05-07T18:23:21+5:30
विप्रो में कई महीनों तक इस प्रोजेक्ट पर काम किया गया। फेसबुक के इस प्रोजेक्ट पर काम करने का उद्देश्य वेबसाइट में लगातार बदलती सर्विस का इस्तेमाल करने वाले लोग इस पर किस तरह की चीजें पोस्ट करते हैं, ये जानना था। इससे फेसबुक को कई फायदे हो सकते हैं। कंपनी को इससे अपने सर्विस या नए फीचर डेवलपर करने में मदद मिल सकती है। साथ ही इससे कंपनी की कमाई भी बढ़ती है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Facebook अपने यूजर्स के डेटा लीक को लेकर एक बार फिर से मुश्किल में घिर गया है। कंपनी ने एक बार फिर से यूजर्स की प्राइवेसी में सेंधमारी की है। कंपनी ने बेंगलुरू में विप्रो की एक टीम से लेबलिंग का काम करवाया था, जिसके तहत 2014 में विप्रो के कर्मचारियों ने यूजर्स के पर्सनल फोटोज, स्टेट्स अपडेट को खंगाला था। इस बात की जानकारी इस प्रोजेक्ट पर काम करने वाले विप्रो के कर्मचारियों ने रॉयटर्स को दी।
विप्रो में कई महीनों तक इस प्रोजेक्ट पर काम किया गया। फेसबुक के इस प्रोजेक्ट पर काम करने का उद्देश्य वेबसाइट में लगातार बदलती सर्विस का इस्तेमाल करने वाले लोग इस पर किस तरह की चीजें पोस्ट करते हैं, ये जानना था। इससे फेसबुक को कई फायदे हो सकते हैं। कंपनी को इससे अपने सर्विस या नए फीचर डेवलपर करने में मदद मिल सकती है। साथ ही इससे कंपनी की कमाई भी बढ़ती है।
विप्रो में चला फेसबुक का प्रोजेक्ट नया विवाद खड़ा कर सकता है
फेसबुक की ओर से विप्रो में चला यह प्रोजेक्ट दुनियाभर में फैले 200 कंटेंट लेबलिंग प्रोजेक्ट्स में से एक था। इस प्रोजेक्ट पर हजारों लोग काम करते हैं। बता दें कि यह ज्यादातर प्रोजेक्ट सॉफ्टवेयर ट्रेनिंग से जुड़े थे जो यह तय करता है कि यूजर्स के न्यूज फीड में क्या दिखाया जाए। यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की क्षमता भी बढ़ाता है।
विप्रो का यह खुलासा फेसबुक के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है। यूजर्स की प्राइवेसी के साथ यह खिलवाड़ कंपनी को भारी पड़ सकता है। बता दें कि Facebook पहले से ही यूजर्स की प्राइवेसी को लेकर सवालों के घेरे में हैं। कंपनी पर आरोप है कि इसने कई देशों में यूजर्स के डाटा अपने बिजनेस पार्टनर को दिए हैं।