शनिदेव को आखिर तेल क्यों चढ़ाया जाता है, क्या है इसके पीछे का कारण?
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 6, 2019 08:06 AM2019-07-06T08:06:58+5:302019-07-06T08:06:58+5:30
शनिदेव से लोग उनसे डरते हैं और यह कोशिश करते हैं शनि देवता उनसे खुश रहे। इसी में एक उपाय शनिवार को शनि मंदिर में तेल चढ़ाना है। आखिर तेल चढ़ाने के पीछे क्या कारण है?
Shani Dev Puja: शनिदेव के बारे में कहा जाता है कि अगर उनकी वक्र दृष्टी अगर किसी पर पड़ जाए तो उसके लिए जीवन बेहद कठिन हो जाता है। ऐसे व्यक्ति को हर मोर्चे पर चुनौतियों और मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसलिए लोग उनसे डरते हैं और यह कोशिश करते हैं शनि देव उनसे खुश रहे। इसी में एक उपाय शनिवार को शनि मंदिर में तेल चढ़ाना है। शनिदेव पर सरसों के तेल का दीपक जलाया जाता है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों है? तेल और शनिदेव के बीच आखिर क्या संबंध है? जानिए इसके पीछे क्या है कारण
शनिदेव को तेल चढ़ाने के पीछे हैं दो पौराणिक कहानियां
शनिदेव को तेल चढ़ाने की एक कहानी रामायण काल से जुड़ी है। पौराणिक कथा के अनुसार रावण इतना बलशाली था कि उसने अपने फायदे के लिए सभी ग्रहों को बंधक बना लिया था। इसमें शनिदेव भी शामिल थे। रावण ने शनिदेव को बंधक बनाकर उलटा लटका दिया था। इसी दौरान सीता की खोज करते हुए हनुमान लंका गये हुए थे। हनुमान माता सीता से मिले और भगवान राम का संदेश दिया। इसके बाद उन्होंने लंका के खूबसूरत बाग-बगीचों और नगर में खूब उत्पात मचाया। रावण ने यह देख उन्हें बंधक बना लिया और सजा देने के लिए उनकी पूंछ में आग लगवा दी।
हनुमान जी भी कहां मानने वाले थे। उन्होंने अपनी पूंछ में लगी आग से ही सारी लंका नगरी में आग लगा दी। इस मौके का फायदा उठाकर सभी ग्रह आजाद हो गये लेकिन उलटा बंधे होने के कारण शनिदेव आजाद नहीं हो पा रहे थे। ऐसे में हनुमान जी उन्हें आजाद कराया पर कई दिनों तक उलटा बंधे होने के कारण शनिदेव की पीठ में असहनीय दर्द हो रहा था। इसके बाद हनुमान जी ने शनिदेव की पीठ में तेल लगाकर उसे ठीक किया। मान्यता है कि शनिदेव इससे बहुत प्रसन्न हुए और कहा कि जो भी अब उन्हें तेल चढ़ायेगा उस पर उनकी कृपा हमेशा बनी रहेगी। इसेक बाद से शनिदेव पर तेल चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई थी।
हनुमानजी-शनिदेव में युद्ध की कथा भी है प्रचलित
एक और कथा के अनुसार एक बार शनिदेव को अपने शक्ति पर बहुत घमंड हो गया। उसी दौरान उन्होंने हनुमान जी के बल और कौशल के बारे में सुना। शनिदेव से रहा नहीं गया और वे अपनी शक्ति साबित करने के लिए हनुमानजी से युद्द करने निकल पड़े। हनुमानजी तब भगवान श्रीराम की भक्ति में लीन होकर बैठे हुए थे। शनिदेव ने उन्हें देख युद्ध के लिए ललकारा पर हनुमान जी ने अनसुना करते हुए उन्हें समझाने की कोशिश की। हालांकि, शनिदेव नहीं माने और युद्ध की जिद पर अड़े रहे। इसके बाद दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ जिसमें शनिदेव को हार का सामना करना पड़ा और उनके पूरे शरीर में दर्द होने लगा।
इसके बाद हनुमानजी ने तेल लगाकर उनके दर्द को गायब कर दिया। कथा के अनुसार शनिदेव ने इसके बाद कहा कि जो भी सच्चे मन और श्रद्धा से तेल चढ़ायेगा वे उसकी पीड़ा हर लेंगे। इसके बाद शनिदेव पर तेल चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई जो अब भी कायम है। शनिवार को तेल चढ़ाने की खास मान्यता इसलिए भी है क्योंकि इसे शनिदेव का दिन माना गया है।