महाशिवरात्रि विशेष: कुंवारी कन्याएं क्यों नहीं कर सकतीं शिवलिंग पूजा, वजह आपको हैरान कर देगी
By गुलनीत कौर | Published: February 28, 2019 05:15 PM2019-02-28T17:15:51+5:302019-02-28T17:15:51+5:30
हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव को समर्पित होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ था। अन्य मान्यताओं के अनुसार इसीदिन भगवान शिव का देवी पार्वती से विवाह हुआ था। इसदिन व्फ्रत और शिवलिंग पूजा की जाती है।
4 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व है और शिव मंदिरों में अभी से तैयारियां शुरू हो गई हैं। 4 मार्च को शाम 4 बजकर 28 मिनट से महाशिवरात्रि के पूजन का शुरू मुहूर्त प्रारंभ हो जाएगा हो कि अगले दिन 5 मार्च की शाम 7 बजकर 7 मिनट तक चलेगा। इस बीच पूर्ण विधि विधान से महाशिवरात्रि का व्रत एवं पूजन किया जा सकता है।
महाशिवरात्रि पर शिव भक्त भगवान शिव के नाम का व्रत करते हैं और उनके अंश शिवलिंग की पूजा करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुंवारी कन्याएं शिवलिंग पूजा नहीं कर सकती हैं? वे केवल शिव के लिए व्रत कर सकती हैं मगर शिवलिंग की पूजा या उसे छू भी नहीं सकती हैं।
इतना ही नहीं, एक मान्यता के अनुसार शिवलिंग पूजा सिर्फ पुरुष के द्वारा संपन्न होनी चाहिए न कि नारी के द्वारा। महिलाओं को शिवलिंग की पूजा से दूर ही रखा जाता है। खासतौर पर अविवाहित स्त्री के लिए शिवलिंग पूजा पूर्ण रूप से वर्जित मानी गई है। परन्तु ऐसी मान्यताएं क्यों बनाई गई हैं? क्यों कन्याओं को शिवलिंग पूजा से दूर रखा जाता है?
इसके पीछे कई धार्मिक एवं लोकप्रचलित मान्यताएं भी प्रसिद्ध हैं जिनका पालन करते हुए सालों से कुंवारी कन्याओं को शिवलिंग पूजा से दूर रखा गया है। धार्मिक किंवदंतियों की मानें तो कुंवारी कन्या को शिवलिंग के करीब जाने की आज्ञा नहीं है। आमतौर पर शिवलिंग की पूजा करने के बाद श्रद्धालु इसके आसपास घूमकर परिक्रमा करने को सही मानते हैं, लेकिन कुंवारी कन्या को ऐसा करने की भी इजाज़त नहीं दी जाती।
इसका केवल एक कारण है कि कहीं शिव की तपस्या ना भंग हो जाए। पौराणिक काल में भी जब देवी-देवता या अप्सराओं द्वारा शिव पूजा में कठोर नियमों का पालन किया जाता था। यदि शिव तपस्या में लीन हैं तो कोई भी विवाहित या अविवाहित स्त्री, अप्सरा को उनके आसपास होने की भी आज्ञा नहीं दी जाते थी।
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ऐसा इसलिए क्योंकि तपस्या भंग हो जाने पर शिव बेहद क्रोधित होकर अपना रौद्र रूप ग्रहण कर लेते हैं। जिसे शांत कर सकना किसी असंभव कार्य के समान है। इसी कारण से महिलाओं को शिव पूजा न करने के लिए कहा जाता है। किन्तु वे शिव की पूजा नहीं कर सकतीं ऐसा नहीं कहा गया।
स्त्रियां या कुंवारी कन्याएं शिवलिंग पूजा ना करें, किन्तु शिव की मूर्ति की पूजा कर सकती हैं। शिव-पार्वती दोनों की एकसाथ पूजा करें। ऐसा करने से अनेकों लाभ होते हैं। भगवान शिव के 16 सोमवार व्रत करने से कुंवारी कन्या को अच्छे वर की प्राप्ति होती है। विवाहित महिला यदि 10 सोमवार व्रत करे तो उसके वैवाहिक जीवन में खुशियाँ बनी रहती हैं।