Ram Navami Ayodhya: भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या में मंदिर निर्माण के बाद पहली रामनवमी मनाई जा रही है। रामनवमी के पावन अवसर पर मंदिर में भव्य तैयारियां की गई है। आज रामलला का सूर्य की किरणों से भव्य सूर्य तिलक होने वाला है जिसे देखने के लिए भक्तों की भारी भीड़ जमा हुई है।
रामनवमी जो रामलला की जन्म का प्रतीक है और यह दिन चैत्र माह के नवमी को आता है। इस साल यह शुभ अवसर राम लला के 'सूर्य अभिषेक' से और भी खास हो जाएगा, जब दोपहर के समय सूर्य की किरणें भगवान की मूर्ति के माथे पर पड़ेंगी।
कब होगा सूर्य तिलक?
अयोध्या के सूर्यवंशी राजा रामलला के ललाट पर सूर्य किरण 12 बजकर 16 मिनट पर करीब पांच मिनट तक पड़ेगी। इसके लिए तकनीकी व्यवस्था की गई है। जिसके माध्यम से सूर्य की किरणों को ऑप्टिकल उपकरणों की एक श्रृंखला के माध्यम से कैप्चर और डायवर्ट किया जाएगा। अगले चार मिनट तक सूर्य की किरणें रामलला के माथे पर 75 मिलीमीटर तक गोलाकार रूप में चमकती रहेंगी।
परियोजना से जुड़े सीएसआईआर-सीबीआरआई रूड़की के वैज्ञानिक डॉक्टर एसके पाणिग्रही ने कहा, "माथे के केंद्र पर तिलक लगाने की सही अवधि लगभग तीन से साढ़े तीन मिनट है जिसमें दो मिनट की पूर्ण रोशनी होती है।"
कैसे देख सकते हैं लाइव?
जो लोग अयोध्या में मौजूद नहीं हैं वह घर बैठकर भी इस समारोह को लाइव देख सकते हैं। दूरदर्शन और अपने मोबाइल पर सूर्य तिलक का सीधा प्रसारण भक्त देख सकते हैं। इसके अलावा, राम मंदिर ट्रस्ट की साइट पर जाकर भी भक्त कार्यक्रम को देख सकते हैं।
गौरतलब है कि अयोध्या में राम मंदिर बुधवार को सुबह 3.00 बजे मंगला आरती से शुरू होकर दोपहर तक 19 घंटे तक खुला रहेगा और भगवान को चार 'भोग' चढ़ाने के दौरान पांच-पांच मिनट के लिए मंदिर के पर्दे खींचे जाएंगे।
इस अवसर के लिए की गई तैयारियों के बारे में विस्तार से बताते हुए, राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी, आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा, “यह भव्यता के साथ मनाया जा रहा है क्योंकि भगवान राम अब अपने नए निवास में हैं… मंदिर को सजाया गया है… अनुष्ठान खुले हैं और होंगे आज रात 3 बजे से शुरू...रामलला पीले वस्त्र पहनेंगे। उन्हें 56 भोग लगाया जाएगा। तीन तरह की पंजीरी भी पेश की जाएगी। पंचामृत भी अर्पित किया जाएगा... दर्शन सुबह 3 बजे से 12 बजे तक जारी रहेंगे।"
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने विशिष्ट अतिथियों से 19 अप्रैल के बाद ही रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या आने की अपील जारी की है। इसने 16 से 18 अप्रैल के बीच राम लला के दर्शन और आरती के लिए सभी विशेष पास बुकिंग भी रद्द कर दी है। ट्रस्ट ने कहा, सभी को राम मंदिर में प्रवेश करने के लिए अन्य भक्तों के समान मार्ग का पालन करना होगा।
कैसे होगा रामलला का सूर्य तिलक?
भगवान राम का सूर्य तिलक केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एक विस्तृत तंत्र द्वारा संभव हुआ, जिसमें दर्पण और लेंस शामिल थे। सीबीआरआई के विशेषज्ञ भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान-बेंगलुरु के वैज्ञानिकों के सहयोग से मंदिर के भूतल पर एक ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम लगाने के लिए पहले से ही अयोध्या में डेरा डाले हुए हैं। इस प्रणाली का परीक्षण वैज्ञानिकों ने मंगलवार को किया।
मानक ऑप्टोमैकेनिकल सेटअप एक फैब्री-पेरोट कैविटी है, जहां एक दर्पण गतिशील होता है, ताकि इनपुट लेजर की आवृत्ति/तरंगदैर्घ्य में परिवर्तन के लिए ऑप्टिकल सिस्टम की प्रतिक्रिया को अधिकतम किया जा सके। फैब्री-पेरोट कैविटी का उपयोग करते हुए, सूर्य की किरणों को राम नवमी के ठीक दोपहर के समय भगवान के माथे को रोशन करने के लिए अत्यधिक सटीकता के साथ निर्देशित किया जाएगा।
जानकारी के अनुसार, हर साल श्री राम नवमी के दिन सूर्य की स्थिति बदलती है। विस्तृत गणना से पता चलता है कि श्री रामनवमी की तिथि सदैव दोहराई जाती है।