Vijaya Ekadashi 2022: विजया एकादशी पर इस विधि से रखें व्रत, जानें महत्व, कथा और उपाय
By रुस्तम राणा | Updated: February 26, 2022 19:59 IST2022-02-26T19:59:08+5:302022-02-26T19:59:42+5:30
धार्मिक मान्यता है कि जो जातक विजया एकादशी व्रत को विधि-विधान के साथ रखता है। वह प्रत्येक क्षेत्र में विजय प्राप्त करता है।

Vijaya Ekadashi 2022: विजया एकादशी पर इस विधि से रखें व्रत, जानें महत्व, कथा और उपाय
Vijaya Ekadashi 2022: विजया एकादशी व्रत 27 फरवरी को रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी कहते हैं। धार्मिक मान्यता है कि जो जातक विजया एकादशी व्रत को विधि-विधान के साथ रखता है। वह प्रत्येक क्षेत्र में विजय प्राप्त करता है। उसके जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इस बार विजया एकादशी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है।
विजया एकादशी व्रत विधि
प्रात: स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण करें।
हाथ में जल लेकर विजया एकादशी व्रत एवं पूजा का संकल्प लें
विष्णु पूजा के लिए कलश स्थापना करें।
भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापना करें
अब भगवान विष्णु का पीले फूल, वस्त्र, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, तुलसी पत्ता, पंचामृत, फल, चंदन, हल्दी, रोली आदि से पूजन करें।
पूजा के दौरान ओम् भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जप करें।
विष्णु चालीसा और विजया एकादशी व्रत कथा का पाठ करें
पूजा के अंत में क्षमा प्रार्थना मंत्र पढ़ें और कपूर या घी के दीपक से भगवान विष्णु की आरती करें।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान श्रीराम लंका पर चढ़ाई करने के लिए समुद्र तट पर पहुंचे, तो श्री राम ने समुद्र देव से मार्ग देने की प्रार्थना की। परन्तु समुद्र देव ने भगवान राम को लंका जाने का मार्ग नहीं दिया, तब भगवान राम ने मुनि की आज्ञा के अनुसार विजय एकादशी का व्रत किया, मान्यता है जिसके प्रभाव से समुद्र ने मार्ग प्रदान किया। साथ ही भगवान श्री राम से रावण से निर्णायक युद्ध से पहले भी विजया एकादशी पर व्रत विधि पूर्वक किया था और रावण को युद्ध में परास्त किया था।
करें ये उपाय
विजया एकादशी के दिन विष्णु जी को तुलसी की माला अर्पित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से वे प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं। भगवान विष्णु को कमल का फूल प्रिय है, इसदिन मंदिर जा कर भगवान कृष्ण या भगवान राम की मूर्ति पर कमल का फूल चढ़ाएं। द्वादशी के दिन किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर, दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें।