सनातन धर्म में एकादशी को काफी महत्वपूर्ण बताया गया है। वैसे तो महीने में दो एकादशी आती है। वहीं वैसाख माह में आने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहते हैं। इसे सौभाग्य प्राप्त करने वाली एकादशी कहा जाता है। जिसमें लोग भगवान विष्णु की अराधना करते हैं।
इस साल वरुथिनी एकादशी 18 अप्रैल को पड़ रही है। माना जाता है इस दिन व्रत करने वाले दीर्घायु होते हैं। उन्हें कभी किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। आइए आपको बताते हैं क्या है इस व्रत का महत्व।
परलोक में भी होती है पुण्य की प्राप्ति
वैसाख महीने में दो एकादशी आती है। इसमें एक कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहते हैं। माना ये भी जाता है कि वरुथिनी एकादशी पर व्रत करने वालों को लोक के साथ परलोक में भी पुण्य की प्राप्ति होती है। वरुथिनी एकादशी व्रत कथा का महत्व पौराणिक ग्रंथों में भी मिलता है।
वरुथिनी एकादशी व्रत - 18 अप्रैल 2020
एकादशी तिथि आरंभ - 08: 03 PM (17 अप्रैल )एकादशी तिथि समाप्त - 10:17 PM (18 अप्रैल)
एकादशी पू्जा विधि
इस एकादशी में विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए।सुबह उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।इसके बाद कलश की स्थापना करें।कलश के ऊपर आम के पल्लव, नारियल, लाल चुनरी बांधकर रखें।धूप, दीप जलाकर बर्फी और खरबूजे के साथ आम का भोग लगाएं।इसके बाद विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें।दिन भर व्रत रख अगले दिन व्रत का पारण करें।