Varuthini Ekadashi 2020: वरुथिनी एकादशी आज, सूर्यास्त के बाद करें इन दो चीजों की पूजा-भगवान विष्णु की बरसेगी कृपा

By मेघना वर्मा | Published: April 18, 2020 06:05 AM2020-04-18T06:05:09+5:302020-04-18T06:05:09+5:30

भगवान विष्णु की मन से उपासना करने वाले कभी किसी प्रकार की समस्या नहीं करनी पड़ती।

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Varuthini Ekadashi 2020: वरुथिनी एकादशी आज, सूर्यास्त के बाद करें इन दो चीजों की पूजा-भगवान विष्णु की बरसेगी कृपा

Highlightsमान्यता है कि वरुथिनी एकादशी करने वालों को दीर्घायु प्राप्त होती है। वैसाख माह में आने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहते हैं।

आज वरुथिनी एकादशी है। हिन्दू धर्म में इस एकादशी को काफी महत्वपूर्ण बताया गया है। हिन्दू पंचाग के अनुसार हर महीने दो एकादशी आती है मगर वैसाख माह में आने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहते हैं। जिसे सौभाग्य प्राप्त करने वाली एकादशी भी कहा जाता है। इसमें लोग भगवान विष्णु की उपासना करते हैं। 

मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी करने वालों को दीर्घायु प्राप्त होती है। भगवान विष्णु की मन से उपासना करने वाले कभी किसी प्रकार की समस्या नहीं करनी पड़ती। वरुथिनी एकादशी के व्रत में भगवान विष्णु और लक्ष्मी के साथ तुलसी और शालीग्राम की पूजा करना भी शुभ होता है। 

वरुथिनी एकादशी व्रत - 18 अप्रैल 2020
एकादशी तिथि आरंभ - 08: 03 PM (17 अप्रैल )
एकादशी तिथि समाप्त - 10:17 PM (18 अप्रैल)

एकादशी पू्जा विधि

1. इस एकादशी में विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए।
2. सुबह उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
3. इसके बाद कलश की स्थापना करें।
4. कलश के ऊपर आम के पल्लव, नारियल, लाल चुनरी बांधकर रखें।


5. धूप, दीप जलाकर बर्फी और खरबूजे के साथ आम का भोग लगाएं।
6. इसके बाद विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें।
7. दिन भर व्रत रख अगले दिन व्रत का पारण करें।

सूर्यास्त के बाद करें तुलसी की परिक्रमा

एकादशी की शाम को सूरज ढलने के बाद तुलसी पर दीया जलाना भी शुभ माना जाता है। आप तुलसी की परिक्रमा भी कर सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें सूरज ढलने के बाद तुलसी को स्पर्श ना करें।इस पूजा में शालिग्राम भी रखना चाहिए। तुलसी के सामने बैठकर तुलसी की माला से मंत्र जाप करें। 

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