Somvati Amavasya 2025: आज ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि है। चूंकि सोमवार के दिन पड़ी है तो इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस शुभ दिन पर दिवंगत पूर्वजों को याद किया जाता है और भोजन और जल अर्पित किया जाता है। सोमवती अमावस्या हर साल अत्यंत समर्पण और भक्ति के साथ मनाई जाती है। इसका बहुत धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस दिन विभिन्न पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं जो हमारे पूर्वजों और पितरों को समर्पित होते हैं।
सोमवती अमावस्या तिथि
ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि आज दोपहर 12:11 मिनट से आरंभ होगी और अगले दिन यानी 27 मई को शाम 8:31 मिनट तक चलेगी।
सोमवती अमावस्या की पूजा विधि
इस दिन जल्दी उठें और पवित्र स्नान से दिन की शुरुआत करें। फिर अपने पितरों के लिए घी का दीपक जलाएं। पितृ दोष से मुक्ति के लिए पितृ तर्पण करने के लिए ब्राह्मणों को आमंत्रित करें। इस दिन पितरों की शांति के निमित्त हवन और यज्ञ भी कराएं। दिवंगत आत्माओं के लिए भगवद गीता पाठ का भी आयोजन करें।ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को कपड़े, भोजन और दक्षिणा वितरित करें।
सोमवती अमावस्या पर पितरों को ऐसे करें प्रसन्न
अमावस्या के दिन पितरों के नाम जल में तिल डालकर दक्षिण दिशा में तर्पण करें। इस दिन तर्पण करने से पितरों को तृप्ति मिलती है और वे आशीर्वाद देते हैं।अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करें। दूध चढ़ाएं और सात बार परिक्रमा लगाएं। पीपल के नीचे दीपक जलाएं। ऐसा करने से परिवार में खुशहाली आती है।आज के दिन भगवान विष्णु की पूजा करें। इस दिन पितरों के निमित्त गीता के सातवें अध्याय का पाठ करना चाहिए।पितरों का ध्यान करते हुए सोमवती अमावस्या के दिन दान करें। सोमवती अमावस्या के दिन पीपल का एक पौधा लगाएं। ऐसा करने से पितर खुश होते हैं और आर्थिक स्थिति सुधरती है।
सोमवती अमावस्या का महत्व
ज्येष्ठ माह की सोमवती अमावस्या का दिन आत्मशुद्धि, पितृ तर्पण और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक शुभ अवसर है। यदि इस दिन विधिपूर्वक पूजा और उपाय किए जाएं तो घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। इस पावन अवसर का महत्व समझते हुए इसे पूरे श्रद्धा और आस्था के साथ मनाना चाहिए। पितृ दोष निवारण के लिए दिन अत्यंत शुभ माना गया है। इस अमावस्या पर किए गए दान-पुण्य और तीर्थ स्नान से अक्षय पुण्य मिलता है। मन शांत होता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं, इस तिथि पर अपने-अपने क्षेत्रों की पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए और क्षेत्र के पौराणिक महत्व वाले तीर्थों के, मंदिरों के दर्शन करना चाहिए।