Somvati Amavasya 2023: श्रावण सोमवती अमावस्या व्रत कब? जानिए तिथि, पूजा मुहूर्त और उपाय
By रुस्तम राणा | Published: July 15, 2023 01:54 PM2023-07-15T13:54:25+5:302023-07-15T13:54:25+5:30
सावन माह में इस बार सोमवती अमावस्या का योग बन रहा है। श्रावण माह की अमावस्या 17 जुलाई, सोमवार के दिन पड़ रही है। इस दिन दिन श्राद्ध कर्म, तर्पण इत्यादि करने से व्यक्ति को सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Somvati Amavasya 2023: हिन्दू धर्म में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है। सावन माह में इस बार सोमवती अमावस्या का योग बन रहा है। यूं तो श्रावण मास में पड़ने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इसे श्रावणी अमावस्या भी कहते हैं। दरअसल, सावन में चारो तरफ धरा हरियाली चादर ओढ़ लेती है। खेत खलिहान सब हरेभरे हो जाते हैं इसलिए इसे हरियाली अमावस्या कहा जाता है। श्रावण माह की अमावस्या 17 जुलाई, सोमवार के दिन पड़ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सोमवती अमावस्या के दिन श्राद्ध कर्म, तर्पण इत्यादि करने से व्यक्ति को सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है।
सोमवती अमावस्या 2023 शुभ मुहूर्त
श्रावण मास की अमावस्या तिथि प्रारंभ - 16 जुलाई रात 10:08 बजे से
श्रावण मास की अमावस्या तिथि समाप्त - 17 जुलाई रात्रि 12:01 बजे तक
श्रावण अमावस्या के दिन पितृ शांति के उपाय
1. शास्त्रों के अनुसार, श्रावण अमावस्या पर कुछ विशेष चीजों का दान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसे में हरियाली यानी की सावन की अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए गरीबों को कपड़े और अन्न का दान करना चाहिए।
2. श्रावण अमावस्या पर वृक्षारोप जरूर करें। इससे आपके पितरों आत्मा को शांति मिलती है और वे आपको खुशहाली का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इस दिन पीपल, बड़, आंवले, नीम का पौधा लगाएं और उसकी देखभाल का संकल्प लें।
3. श्रावण अमावस्या के दिन आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं। साथ ही नदी में काले तिल प्रवाहित करें। इससे आपके दिवंगत पूर्वजों की आत्मा को तृप्ति मिलेगी।
4. श्रावण अमावस्या के दिन पितरों का ध्यान कर पीपल के पेड़ में जल में काले तिल, चीनी, चावल और फूल डालकर अर्पित करें और ऊं पितृभ्य: नम: मंत्र का जाप करें. ये उपाय शुभ फल प्रदान करता है।
5. सोमवती अमावस्या के दिन सोमवार व्रत का भी संयोग बन रहा है। इसलिए इस विशेष दिन पर भगवान शिव की उपासना करने से साधक को रोग, दोष और भय से मुक्ति प्राप्त होती है