सीता नवमी 2020: जीवन भर कष्ट सहने वाली माता सीता का ऐसे हुआ था जन्म, राजा जनक ने जोता था हल-पढ़े मां सीता की जन्म कथा
By मेघना वर्मा | Published: April 30, 2020 08:49 AM2020-04-30T08:49:29+5:302020-04-30T08:49:29+5:30
Sita Birth Story: हिन्दू पंचांग के अनुसार, माता सीता का प्राकट्य त्रेतायुग में वैशाख शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था।
श्रीराम की पत्नी और देवी सीता की जिंदगी से सभी को प्रेरणा मिलती है। माता सीता का त्याग और बलिदान वाला स्वरूप सभी के दिलों में हैं। राजा जनक की प्रथम पुत्री सीता को जानकी के नाम से भी जाना गया है। हर साल माता सीता का प्राकट्योत्सव मनाया जाता है।
मान्यता है कि माता सीता इसी दिन राजा जनक को मिली थीं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता सीता को मां लक्ष्मी का अवतार माना गया है। उनका विवाह राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र श्रीराम से हुआ था। विवाह के बाद दोनों को 14 साल का वनवास भी झेलना पड़ा था। आइए आपको बताते हैं माता सीता के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा-
कब है सीता नवमी?
सीता नवमी 2020 का मुहूर्त
सीता नवमी मुहूर्त - सुबह 10:58 से दोपहर 01:38 बजे तक (2 मई 2020)
कुल अवधि - 02 घंटे 40 मिनट
नवमी तिथि प्रारंभ - दोपहर 01:26 बजे से (01 मई 2020)
नवमी तिथि समाप्त - सुबह 11:35 तक (02 मई 2020)
सीता जन्म की पहली पौराणिक कथा
माता सीता के जन्म को लेकर पौराणिक कथा प्रचलित हैं। कथा के अनुसार एक बार मिथिला राज्य में भयंकर सूखा पड़ गया था। जिसे देख राजा जनक बहुत परेशान थे। उस समस्या से छुटकारा पाने के लिए उन्हें ऋषियों ने यज्ञ करने को कहा। यज्ञ के खत्म होने के बाद राजा जनक ने धरती पर हल भी चलाया।
मान्यता है कि जब राजा जनक हल चला रहे थे तभी अचानक उन्हें धरती में से सोने का संदूक मिला। संदूक में मिट्टी में लिपटी हुई एक सुंदर कन्या दिखी। राजा जनक ने उस कन्या को उठाकर हाथों में लिया। कन्या का स्पर्श होते ही उन्हें पिता प्रेम की अनुभूति हुई। राजा जनक की कोई संतान नहीं थी, इसलिए उन्होंने उस कन्या को अपनी पुत्री बनाने का निर्णय लिया और उसे 'सीता' का नाम दिया।