Sheetla Ashtami 2020: शीतला अष्टमी आज, नहीं पकाया जाता घरों में ताजा भोजन, जानिए क्या है मुहूर्त और पूजा विधि

By विनीत कुमार | Published: March 16, 2020 08:13 AM2020-03-16T08:13:53+5:302020-03-16T08:17:28+5:30

Sheetla Ashtami 2020: शीतला अष्टमी के दिन शीतला माता की पूजा के समय उन्हें खास मीठे चावलों का भोग चढ़ाया जाता है। शीतला माता को ठंडी चीजें बहुत प्रिय हैं।

Sheetla Ashtami 2020: sheetla mata puja vidhi and why food is not cooked on this day | Sheetla Ashtami 2020: शीतला अष्टमी आज, नहीं पकाया जाता घरों में ताजा भोजन, जानिए क्या है मुहूर्त और पूजा विधि

Sheetla Ashtami 2020: जानिए पूजा विधि और क्यों नहीं पकाते भोजन

HighlightsSheetla Ashtami 2020: चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को किया जाता है ये व्रतरोगों का नाश करती हैं शीतला माता, मौसम में बदलाव का भी सूचक है ये दिन, आज से बासी खाने बंद हो जाते हैं

Sheetla Ashtami 2020: शीतला अष्टमी का व्रत आज है। इसे आमतौर पर होली के आठवें दिन मनाया जाता है। चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाये जाने वाले शीतला अष्टमी को ही कई जगहों पर बसौड़ा या बसोरा भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि शीतला अष्टमी के दिन घर में ताजे भोजन के लिए चूल्हा नहीं जलाना चाहिए। इ पर्व का वैज्ञानिक महत्व भी है। दरअसल, शीतला अष्टमी का व्रत मौसम में परिवर्तन का भी सूचक है। आम तौर पर इसके बाद गर्मी की शुरुआत होने लगती है और इसलिए आज के बाद बासी खाना बंद कर दिया जाता है।

Sheetla Ashtami: शीतला अष्टमी पूजन और शुभ मुहूर्त

शीतला अष्टमी तिथि की शुरुआत 16 मार्च को तड़के 03.19 बजे से हो रही है। इसका समापन 17 मार्च को सुबह 02.59 बजे होगा। शीतला माता का आशीर्वाद पाने के लिए सप्तमी और अष्टमी दोनों दिन व्रत किया जाता है। ऐसे में शीतला अष्टमी पर पूजा के शुभ मुहूर्त की बात करें तो ये सुबह 6:46 बजे से शाम 06:48 बजे तक है।

शीतला अष्टमी के दिन कई घरों में चूल्हा नहीं जलाने की परंपरा है। साथ ही इस दिन एक दिन पहले का बना हुआ बासी भोजन शीतला माता को भोग के तौर पर चढ़ाया जाता है। शीतला माता अपने हाथों में कलश, सूप, मार्जन (झाड़ू) और नीम के पत्ते धारण किए होती हैं। वे रोगों को नष्ट करने वाली देवी मानी गई हैं।

Sheetla Ashtami 2020: शीतला अष्टमी पूजा विधि

शीतला अष्टमी के दिन सुबह जल्दी जगें। स्नान आदि के बाद पूजा की थाली तैयार करें। थाली में दही, पुआ, रोटी, बाजरा, सप्तमी के दिन बने मीठे चावल, मठरी आदि को रखें। एक दूसरी थाली भी लें। उसमें आटे से बना दीपक, रोली, वस्त्र, अक्षत, हल्दी, मोली, सिक्के और मेहंदी रखें। दोनों थाली के साथ ठंडे पानी का लोटा भी रखें।

अब शीतला माता की पूजा करें और दीपक को बिना जलाए मंदिर में रखें। माता को सभी चीजें एक-एक कर चढ़ाएं और विधिवत पूजा करें। घर में पूजा के बाद मंदिर में पूजा करें। अंत में जल चढ़ाए और बचे हुए जल को घर के सभी सदस्यों के आंखों पर लगाए। कुछ जल घर के हिस्सों में भी छिड़के। बचे हुए पानी को घर आकर पूजा के स्थान पर रखें। अगर पूजा सामग्री बच जाए तो गाय या ब्राह्मण को दें। 

Sheetla Ashtami 2020: शीतला माता पर चढ़ाया जाता है बासी प्रसाद

शीतला अष्टमी के दिन शीतला माता की पूजा के समय उन्हें खास मीठे चावलों का भोग चढ़ाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि शीतला माता को ठंडी चीजें बहुत प्रिय हैं। उनके लिए चावल गुड़ या गन्ने के रस से बनाए जाते हैं। इन्हें सप्तमी की रात को बनाया जाता है। 

इसी कारण इस व्रत को बसौड़ा भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि ये व्रत करने से परिवार के सदस्यों को त्वचा रोग संबंधी बीमारियां नहीं होती हैं। ये दिन ऋतु परिवर्तिन का भी संकेत देता है। ऐसा कहते हैं कि इस अष्टमी के बाद बासी खाना नहीं खाया जाना चाहिए।

Web Title: Sheetla Ashtami 2020: sheetla mata puja vidhi and why food is not cooked on this day

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