Shattila Ekadashi Vrat 2025: षटतिला एकादशी कब है? जानें तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व और व्रत पारण का समय
By रुस्तम राणा | Updated: January 21, 2025 14:08 IST2025-01-21T14:08:31+5:302025-01-21T14:08:31+5:30
इस वर्ष षटतिला एकादशी व्रत 25 जनवरी, शनिवार को रखा जाएगा। शास्त्रों में एकादशी व्रत का बड़ा महत्व माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु की तिल चढ़ाते हैं और तिल से बनी खिचड़ी का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

Shattila Ekadashi Vrat 2025: षटतिला एकादशी कब है? जानें तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व और व्रत पारण का समय
Shattila Ekadashi Vrat 2025 date and timing: षटतिला एकादशी व्रत प्रत्येक वर्ष माघ मास कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस वर्ष षटतिला एकादशी व्रत 25 जनवरी, शनिवार को रखा जाएगा। शास्त्रों में एकादशी व्रत का बड़ा महत्व माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु की तिल चढ़ाते हैं और तिल से बनी खिचड़ी का प्रसाद चढ़ाया जाता है। षटतिला एकादशी व्रत में तिल का उपयोग करना उत्तम फलदाई माना जाता है। इस दिन तिल का दान, स्वर्ण दान के बराबर होता है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने वाले को धनधान्य, तेज, सौन्दर्य प्राप्त होता है। आइए जानते हैं एकादशी व्रत का पूजा मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व।
षटतिला एकादशी तिथि 2025
एकादशी तिथि प्रारम्भ - जनवरी 24, 2025 को 07:25 पी एम बजे
एकादशी तिथि समाप्त - जनवरी 25, 2025 को 08:31 पी एम बजे
षटतिला एकादशी 2025 व्रत पारण समय
पारण (व्रत तोड़ने का) समय - जनवरी 26, 2025 को 07:11 ए एम से 09:20 ए एम
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 08:54 पी एम
षटतिला एकादशी व्रत-पूजा विधि
एकादशी की सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
भगवान विष्णु का ध्यान करें व्रत का संकल्प लें।
पूजा में गंगा जल, तुलसी, चने दाल, गुड़, तिल, फूल आदि सभी सात्विक चीजों का उपयोग करें।
ये सभी चीजें भगवान नारायण को अर्पित करें।
संध्या काल में दीपदान और दान-दक्षिणा भी करें।
अगले दिन सुबह पारण मुहूर्त में व्रत खोलें।
ध्यान रखने योग्य बात
एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिये। जो श्रद्धालु व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी चाहिये। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि है। व्रत तोड़ने के लिये सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल होता है। व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्याह्न के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिये। कुछ कारणों की वजह से अगर कोई प्रातःकाल पारण करने में सक्षम नहीं है तो उसे मध्याह्न के बाद पारण करना चाहिये।
षटतिला एकादशी का महत्व
हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है। एकादशी व्रत रखने से घर में सुख-शांति आती है। जातक के सारे दुख समाप्त होते हैं। कहा जा रहा है कि एकादशी का व्रत करने से हजारों सालों की तपस्या जितना पुण्य प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार, षटतिला एकादशी व्रत करने वाले जातकों को कन्यादान और हजारों वर्षों की तपस्या करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन दिल का दान करने से पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।