शरद पूर्णिमा की महीम शास्त्रों में सबसे अधिक बताई गई है। प्राचीन काल से ही शरद पूर्णिमा का त्योहार लोग पूरी विधि-विधान से मनाते चले आ रहे हैं। अश्विन मास की पूर्णिमा को पड़ने वाली इस शरद पूर्णिमा की अलग-अलग मान्यताएं हैं। माना जाता है कि इसी दिन से सर्दियों की शुरुआत भी हो जाती है।
सिर्फ यही नहीं मान्यता ये भी है कि इस दिन आकाश से अमृत की वर्षा होती है। इसी शरद पूर्णिमा पर कुछ आसान से उपाय करके आप यश और धन्य-धान्य का आशीर्वाद भी पा सकते हैं।
इस बार शरद पूर्णिमा 13 अक्टूबर को पड़ रही है। इसे अश्विन पूर्णिमा भी कहा जाता है। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी अपने वाहन, उल्लू पर सवार होकर जमीन पर आती हैं। इसीलिए शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी जी की उपासना भी की जाती है। इस दिन लक्ष्मी जी की विशेष कृपा भी उनके भक्तों पर बरसती है।
कर सकते हैं ये आसान उपाय
1. शरद पूर्णिमा के दिन सफेद फूल जैसे गुलाब, चंपा, चमेली, चांदनी, या सफेद फल, सफेद चमकीली चीजें और अनाज जैसे चावल और सफेद मिठाई को श्रीकृष्ण को अर्पित करना चाहिए। इससे उनकी कृपा साल भर भक्तों पर बनी रहती है।
2. महालक्ष्मी की उपासना करने के लिए शरद पूर्णिमा वाले दिन पीली और लाल सामग्री उनको अर्पित करना चाहिए। भूलकर भी महालक्ष्मी पर किसी भी खट्टे खाद्य पद्वार्थ चढ़ाने से बचें।
3. लक्ष्मी जी को गुलाब की माला अर्पित करें और रात में उनके पास घी का दीया जरूर जलाएं। इसके बाद 11 बार ॐ ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद महालक्ष्मये नमः का जाप करें। मान्यता है कि ऐसा करने से आपके पास कभी धन का अभाव नहीं होगा।
शरद पूर्णिमा की व्रत विधि
शरद पूर्णिमा के दिन सुबह में इष्ट देव का पूजन करना चाहिए। इस दिन इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए। ब्राह्माणों को खीर खिलाकर या भोजन कराना भी शुभ माना जाता है। लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है। रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए। मंदिर में खीर आदि दान करने का विधि-विधान है।