सावन का पहला शनि प्रदोष व्रत आज, जानें महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

By गुणातीत ओझा | Published: July 18, 2020 08:25 AM2020-07-18T08:25:23+5:302020-07-18T10:56:44+5:30

सावन के शनि प्रदोष व्रत और शिवजी व शनिदेव की पूजा से सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। इस साल सावन में दो शनि प्रदोष पड़ रहे हैं, अब 2027 में ऐसा संयोग बनेगा।

sawan shani pradosh vrat 2020 date muhurat puja vidhi and significance | सावन का पहला शनि प्रदोष व्रत आज, जानें महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

सावन में शनि प्रदोष व्रत करने से दूर हो जाती हैं परेशानियां।

Highlightsसावन के शनि प्रदोष व्रत और शिवजी व शनिदेव की पूजा से सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।इस साल सावन में दो शनि प्रदोष पड़ रहे हैं, अब 2027 में ऐसा संयोग बनेगा।

Sawan Pradosh Vrat 2020: आज सावन महीने का पहला शनि प्रदोष व्रत है। सावन में शनि प्रदोष का ये विशेष योग शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए बेहद खास है। ऐसा 10 साल बाद होगा जब सावन के महीने में दो शनि प्रदोष पड़ रहे हैं। अगला शनि प्रदोष व्रत 1 अगस्त को है। इससे पहले सावन के दोनों पक्षों में शनि प्रदोष का योग 7 और 21 अगस्त 2010 में बना था। अब 7 साल बाद ऐसा संयोग 31 जुलाई व 14 अगस्त 2027 के श्रावण महीने में बनेगा। शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और पीपल को जल देने का फल अपार बताया गया है। ब्रह्मपुराण में कहा गया है कि शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का स्पर्श करके जो व्यक्ति 108 बार ओम नम: शिवाय मंत्र का जप करता है उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं। शनि दोष की पीड़ा और जीवन में चल रही कठिनाइयों से भी व्यक्ति को छुटकारा मिलता है।

शनि प्रदोष व्रत का मुहूर्त

सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 17 जुलाई को देर रात 12 बजकर 33 मिनट से हो रहा है, जो 18 जुलाई की देर रात 12 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा सूर्यास्त के बाद होती है। ऐसे में इस बार शनि प्रदोष की पूजा शाम 07 बजकर 20 मिनट से रात 09 बजकर 23 मिनट तक की जा सकती है। प्रदोष पूजा के लिए कुल 2 घंटे 03 मिनट का समय मिल रहा है।

प्रदोष व्रत एवं पूजा विधि

सावन कृष्ण त्रयोदशी के दिन आप प्रात:काल स्नान आदि से निवृत होकर प्रदोष व्रत एवं पूजा का संकल्प लें। फिर दिन में भगवान शिव की सावन में होने वाली नियमित पूजा करें। दिनभर फलाहार करते हुए व्रत के नियमों का पालन करें। इसके बाद शाम को बताए गए मुहूर्त में पूजा के लिए तैयारी कर लें। स्नान आदि से निवृत होकर मुहूर्त के समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। भगवान शिव का पहले जलाभिषेक करें। फिर बेल पत्र, सफेद चंदन, अक्षत्, धतूरा, भांग, मदार, गाय का दूध, शक्कर, धूप, दीप, फल, फूल आदि अर्पित करें। अब माता पार्वती की पूजा करें। इसके बाद शिव चालीसा का पाठ कर लें तथा प्रदोष व्रत की कथा सुनें। पूजा के अंत में भोलेनाथ और माता पार्वती की आरती करें। इसके पश्चात प्रसाद परिजनों में वितरित कर दें। अर्पित की गई वस्तुएं किसी ब्राह्मण को दान देने के लिए रख दें। प्रसाद स्वयं भी ग्रहण करें और रात में भोजन कर व्रत को पूरा करें।

क्या है प्रदोष व्रत की महिमा

शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत रखने से पुण्य की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत को लेकर पौराणिक मान्यता के अनुसार एक दिन जब चारों ओर अधर्म की स्थिति होगी, अन्याय और अनाचार का एकाधिकार होगा, मनुष्य में स्वार्थ भाव अधिक होगा, व्यक्ति सत्कर्म करने के स्थान पर नीच कार्यों को अधिक करेगा, उस समय में जो व्यक्ति त्रयोदशी का व्रत रख, शिव की आराधना करेगा, उस पर शिव की कृपा होगी। इस व्रत को रखने वाला व्यक्ति जन्म-जन्मान्तर के फेरों से निकल कर मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़ेगा। उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है।

शनि प्रदोष व्रत से दूर हो जाती हैं परेशानियां

प्रदोष व्रत करने से शनि सहित दूसरे अशुभ ग्रहों के प्रभाव से जीवन में चल रही दिक्कतें दूर हो जाती हैं। इस व्रत को लेकर एक कथा है कि एक राजा का पुत्र बचपन में ही परिवार से अलग हो गया था। उसका राज-काज सब छिन गया था। वह गरीबी में पलकर बड़ा हुआ और एक दिन इस व्रत के प्रभाव से उसे गंधर्वों का साथ मिला और वह अपना खोया यश पाने में सफल हुआ। शनि प्रदोष व्रत साल में कभी भी आए तो इसका फल अन्य प्रदोष व्रत से अधिक होता है लेकिन सावन में अगर प्रदोष व्रत शनिवार को मिल जाए तो इसे छोड़ना नहीं चाहिए। इस दुर्लभ संयोग का लाभ उठाकर व्रत करना चाहिए। अगर व्रत करना संभव न हो तब इस दिन पीपल के पेड़ को जल जरूर देना चाहिए और भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए।

Web Title: sawan shani pradosh vrat 2020 date muhurat puja vidhi and significance

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