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Sawan Purnima 2024: श्रावण पूर्णिमा पर इस बार बन रहे हैं 3 दुर्लभ संयोग, जानें, तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

By रुस्तम राणा | Updated: August 13, 2024 15:25 IST

इस वर्ष श्रावण पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त, सोमवार को पड़ रही है। ज्योतिष गणना के मुताबिक इस दिन शोभन योग करण योग इसके साथ ही लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण भी हो रहा है।

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Sawan Purnima 2024 date and time: हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही लोग पुण्य फल प्राप्ति के लिए पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान और जप,तप, दान आदि के कार्य करते हैं। इसी क्रम में श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि और भी खास हो जाती है। क्योंकि इस दिन भाई-बहन के प्रेम, त्याग और विश्वास को समर्पित पर्व रक्षाबंधन मनाया जाता है। 

कब है श्रावण पूर्णिमा 2024?

इस वर्ष श्रावण पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त, सोमवार को पड़ रही है। ज्योतिष गणना के मुताबिक इस दिन शोभन योग करण योग इसके साथ ही लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण भी हो रहा है। इस शुभ तिथि पर भगवान विष्णु की उपासना और दान पुण्य करने से जातक को भगवान विष्णु का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

श्रावण पूर्णिमा 2024 तिथि

श्रावण पूर्णिमा तिथि प्रारंभ -  19 अगस्त को तड़के 03:04 बजे तकश्रावण पूर्णिमा तिथि समाप्त - 19 अगस्त को रात्रि 11:55 बजे तकब्रह्म मुहूर्त - 04:24 ए एम से 05:08 ए एमअभिजीत मुहूर्त - 11:57 ए एम से 12:50 पी एमअमृतकाल मुहूर्त - 08:24 पी एम से 09:50 पी एमसर्वार्थ सिद्धि योग - 05:52 ए एम से 08:10 ए एमविजय मुहूर्त - 02:34 पी एम से 03:26 पी एमचंद्र दर्शन का समय- 06:55 पी एम

श्रावण पूर्णिमा 2024 पर दुलर्भ योग

सावन की पूर्णिमा पर बन रहे दुर्लभ संयोग शोभन योग का निर्माण देर रात्रि 12:45 तक रहेगा। शोभन योग को शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा आराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। 

इसके साथ ही सावन की पूर्णिमा पर बन रहे कारण योग के निर्माण से इस दिन का महत्व और अधिक हो जाता है। इस योग में लक्ष्मी नारायण की पूजा करने से घर में सुख और समृद्धि के साथ खुशहाली का भी आगमन होता है।

श्रावण पूर्णिमा पूजन विधि

पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान से पहले व्रत का संकल्प लें। इस दिन सुबह जल्दी स्नान कर भगवान विष्णु का व्रत रखना चाहिए। सत्य नारायण कथा का पाठ करना चाहिए। रात में चंद्रमा को दूध और शहद मिलाकर अर्घ्य देना चाहिए। इससे भक्तों के सभी रोग और कष्ट दूर हो जाते हैं। इससे श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना पूरी होती है और उन्हें जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रहती है। अंत में ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देना चाहिए। 

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